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पर्यावरण के क्वेश्चन आंसर | Environment GK in Hindi

आज की इस पोस्ट में पर्यावरण से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी है।पर्यावरण question and answer pdf, पर्यावरण question and answer 2019, पर्यावरण के क्वेश्चन आंसर, पर्यावरण question and answer 2018, पर्यावरण वस्तुनिष्ठ प्रश्न, पर्यावरण प्रश्नोत्तरी 2018, पर्यावरण परीक्षा प्रश्न, पर्यावरण वस्तुनिष्ठ प्रश्न pdf. इसको पूरा जरूर पढ़ें :-
  • पृथ्‍वी पर पाए जाने वाले भूमि, जल, वायु, पेड़-पौधों एवं जीव-जंतुओं का समूह जो हमारे चारों ओर है, सामूहिक रूप से कहलाता है – पर्यावरण
  • सतत विकास लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने की प्रगति की दिशा में विभिन्‍न देशों द्वारा किए गए प्रयासो की प्रगति जानने हेतु निर्माण किया गया है – सस्‍टेनेबल डेवलपमेंट इंडेक्‍स का
  • ‘विश्‍व पर्यावरण दिवस’ मनाया जाता है – 5 जून को
  • देश की प्राकृतिक पूंजी में सम्मिलित किए जाते हैं – वन, जल तथा खनिज
  • वे संसाधन, जो हमें प्रकृति द्वारा प्रदत्‍त होते हैं, कहलाते हैं – प्राकृतिक पूंजी अथवा प्राकृतिक संसाधन
  • वर्ष 1972 में आयोजित किया गया था – स्‍टॉकहोम अंतरराष्‍ट्रीय शिखर सम्‍मेलन
  • सौर विकिरण की सबसे महत्‍वपूर्ण भूमिका है – जल चक्र में
  • राष्‍ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी शोध संस्‍थान (NEERI) अवस्थित है – नागपुर में
  • NEERI कार्य करता है – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन
  • पर्यावरण किसी जीव के चारों तरफ घिरे भौतिक एवं जैविक दशाएं एवं उनके साथ अंत:क्रिया को सम्मिलित करता है – पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की परिभाषा के अनुसार।
  • पर्यावरणीय सुरक्षा से संबंध नहीं है – गरीबी कम करने का
  • भारत में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम पारित हुआ – वर्ष 1986 में
  • पर्यावरण बनता है – जीवीय घटकों, भू-आकृतिक घटकों, तथा अजैव घटकों से
  • पर्यावरण के कुछ कारक संसाधन के रूप में कार्य करते हैं तथा कुछ कारक कार्य करते हैं -नियंत्रक के रूप में। 
  • धारणीय विकास के उपयोग के संदर्भ में अंतर-पीढ़ीगत संवेदनशीलता का विषय है – प्राकृतिक संसाधन
  • विकास की वह अवधारणा जिसके तहत वर्तमान की आवश्‍यकताओं के साथ-साथ भविष्‍य की आवश्‍यकताओं को भी ध्‍यान में रखाता है – धारणीय विकास
  • वर्ष 2002 में जोहॉन्‍सबर्ग में आयोजित पृथ्‍वी सम्‍मेलन का मुख्‍य मुद्दा था – सतत विकास
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने सतत विकास लक्ष्‍यों (Sustainable Development Goals-SDGS) का निर्धारण किया है, वे हैं कुल – 17
  • ‘सतत् विकास लक्ष्‍य’, 2017 के सूचकांक में भारत का स्‍थान है – 116वां
  • वर्षा की मात्रा निर्भर करती है – वायुमंडल में नमी पर
  • जलमंडल, स्‍थलमंडल, जैवमंडल तथा जीवोम में से पृ‍थ्‍वी का सर्वाधिक बृहद पारिस्थितिक तंत्र है – जैवमंडल
  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल (एन.जी.टी.) की भारत सरकार द्वारा स्‍थापना की गई थी – वर्ष 2010 में
  • पर्यावरण से अभिप्राय है – भूमि, जल, वायु, पौधों एवं पशुओं की प्राकृतिक दुनिया जो इनके चारों ओर अस्त्‍तत्‍व में है। उन संपूर्ण दशाओं का योग जो व्‍यक्ति को एक समय बिन्‍दु पर घेरे हुए होती है। भौतिक, जैविकीय एवं सांस्‍कृतिक तत्‍वों की अंत:क्रियात्‍मक व्‍यवस्‍था जो अंत:संबंधित होती है।
  • E.A. से आशय है – नेशनल इन्‍वायरमेंट अथॉरिटी
  • ग्रीन पीस इंटरनेशलन का मुख्‍यालय अवस्थित है – एम्‍सटर्डम में
  • ‘इकोमार्क’ उन भारतीय उत्‍पादों को दिया जाता है, जो – पर्यावरण के प्रति मैत्रीपूर्ण हों
  • ब्‍यूरो ऑफ इंडियन स्‍टैंडर्ड्स द्वारा वर्ष 1991 से दिया जा रहा है – ‘इकोमार्क’ प्रमाण पत्र
  • पर्यावरण अनुकूल उपभोक्‍ता-उत्‍पादों को चिन्हित करने के लिए सरकार ने आरंभ किया है – इकोमार्क
  • धारणीय कृषि (Sustainable Agriculture) का अर्थ है – भूमि का इस प्रकार प्रयोग कि उसकी गुणवत्‍ता अक्षुण्‍ण बनी रहे
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP-United Nations Environment Programme) की स्‍थापना हुई थी – वर्ष 1972 में
  • सतत विकास के लिए आवश्‍यक है – जैविक विविधता का संरक्षण, प्रदूषण का निरोध एवं नियंत्रण तथा निर्धनता को घटाना
  • पृथ्‍वी शिखर सम्‍मेलन का योजन किया गया था – रियो में
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ द्वारा पर्यावरा एवं सतत विकास पर पहला पृथ्‍वी शिखर सम्‍मेलन आयोजित किया गया – वर्ष 1992 में रियो डी जनेरिया (ब्राजील) में
  • पृथ्‍वी सम्‍मेलन में 21वीं सदी के लिए पर्यावरणीय विकास हेतु कार्यक्रम निर्धारित किए गए। इन कार्यक्रमों को नाम दिया गया – एजेंडा-21
  • रियो-20 घोषणा पत्र का शीर्षक था – द फ्यूचर वी वांट
  • पृथ्‍वी के चारों ओर गैसों के समूह को कहते हैं – वायुमंडल
  • वायु है, एक – मिश्रण
  • नाइट्रोजन (78%), ऑक्‍सीजन (21%), ऑर्गन (0.93%), कार्बन डाइऑक्‍साइड (0.038%), इत्‍यादि गैसें पाई जाती हैं – वायुमंडल (Atmisphere) में
  • नोबल गैसों में से वह गैस जो वायु में नहीं पाई जाती है – रेडॉन
  • वातावरण में सर्वाधिक प्रतिशत है – नाइट्रोजन का।
  • यदि पृथ्‍वी पर पाई जाने वाली वनस्‍पतियां (पेड़-पौधे) समाप्‍त हो जाएं, तो वह गैस जिसकी कमी होगी –ऑक्‍सीजन
  • वह कार्य जो पेड़ पौधों का नहीं है – वायु का प्रदूषण
  • पृथ्‍वी के कार्बन चक्र में कार्बन डाईऑक्‍साइड की मात्रा को नहीं बढ़ाता है – प्रकाश संश्‍लेषण
  • अपक्षय का विचार संबंधित है –एक प्राकृतिक क्रिया से जो चट्टानों को सूक्ष्‍म कणों में विभक्‍त करती है
  • विश्‍व मौसम विाान संगठन का मुख्‍यालय अवस्थित है – जेनेवा में
  • विश्‍व मौसम विज्ञान अभिसमय (World Meteorogical Convention) लागू हुआ – 23 मार्च, 1950 को
  • यू.एन.ई.पी. का मुख्‍यालय अवस्थित है – नैरोबी में
  • UNEP के वर्तमान प्रमुख हैं – एरिक सोल्‍हेम
  • EPA का पूर्ण रूप है – इन्‍वायरमेंटल प्रोटेक्‍शन एजेंसी
  • EPA (Environmental Protection Agency) संयुक्‍त राष्‍ट्र अमेरिका की संघीय एजेंसी है, जिसकी स्‍थापना की गई थी – 2 दिसंबर, 1970 को
  • राष्‍ट्रीय हरित न्‍यायाधिकरण अधिनियम, 2010 भरतीय संविधान के जिस प्रावधान के आनुरूप्‍य अधिनियमित हुआ था/हुए थे – स्‍वस्‍थ पर्यावरण के अधिकार के आनुरूप्‍य, जो अनुच्‍छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार का अंग माना जाता है
  • राष्‍ट्रीय हरित न्‍यायाधिकरण (National Green Tribunal) के अध्‍यक्ष हैं – जस्टिस आदर्श कुमार गोयल
  • राष्‍ट्रीय हरित न्‍यायाधिकरण की स्‍थापना राष्‍ट्रीय हरित न्‍यायाधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत की गई– 18 अक्‍टूबर, 2010 को
  • ‘हरित विकास’ (ग्रीन डेवलपमेंट) पुस्‍तक के लेखक हैं – डब्‍ल्‍ूय. एम. एडम्‍स
  • आम तौर पर समाचारों में आने वाला रियो + 20 (Rio+20) सम्‍मेलन है – धारणीय विकास (सस्‍टेनेबल डेवलपमेंट) पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन
  • वर्ष 1972 में स्‍टाकहोम में आयोजित संयुक्‍त राष्‍ट्र के प्रथम मानव पर्यावरण सम्‍मेलन के निर्णयों को कार्यान्वित करने के उद्देश्‍य से भारत सरकार ने पारित किया –पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986
  • जेनेटिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समिति (Genetic Engineering Approval Committee) का नाम बदल दिया गया है। ‘आनुवंशिक इंजीनियरिंग अनुमोदन समिति’ शब्‍दों के स्‍थान पर, जहां कहीं वे आते हैं, शब्‍द रखे जाएंगे – आनुवंशिक इंजीनियरिंग आकलन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee)
  • अपने वार्षिक सर्वेक्षण के परिणाम के रूप में नेशनल जियोग्राफिक सोसायटी एवं अंतरराष्‍ट्रीय मतदान कंपनी ग्‍लोबस्‍कैन ने ग्रीन-डेक्‍स, 2009 स्‍कोर के तहत भारत को शीर्ष स्‍थान दिया। वह स्‍कोर है –विभिन्‍न देशों में पर्यावरणीय रूप से धारणीय उपभोक्‍ता व्‍यवहार का मापक
  • विकास की वह अवधारणा जिसके तहत वर्तमान की आवश्‍यकताओं के साथ-साथ भविष्‍य की आवश्‍यकताओं को भी ध्‍यान में रखा जाता है – धारणीय विकास (Sustainable Development)
  • वैज्ञानिकों, अर्थविदों, सिविल सेवकों तथा व्‍यवसायियों की एक संस्‍था जो मानवता के समक्ष उपस्थित होने वाली वैश्विक चुनौतियों के समाधान हेतु सुझाव देती है – क्‍लब ऑफ रोम
  • अर्थ समिट या पृथ्‍वी शिखर सम्‍मेलन स्‍टॉकहोम सम्‍मेलन की 20वी वर्षगांठ मनाने के लिए आयोजित किया गया। इसमें सम्मिलित देशों ने धारणीय विकास के लिए एक कार्यवाही योजना स्‍वीकृत की, जिसे जाना जाता है – ‘एजेंडा 21‘ के नाम से
  • रियो + 20, धारणीय विकास पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन का लघु नाम है। यह सम्‍मेलन जून, 2012 में सम्‍पन्‍न हुआ था – रियो डी जनेरियो, ब्राजील में
  • पृथ्‍वी सम्‍मेलन+5 आयोि‍जत हुआ था – वर्ष 1997 में
  • पर्यावरण संतुलन के संरक्षण से संबंधित है – वन नीति, पर्यावरण (सुरक्षा) अधिनियम, 1986, औद्योगिक नीति तथा शिक्षा नीति
  • ‘जैव-विविधता पर अभिसमय’ एवं ‘जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र ढांचा अभिसमय’ के लिए वित्‍तीय क्रियाविधि के रूप में काम करता है – भूमंडलीय पर्यावरण सुविधा (GEF)
  • वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF-Global Environment Facility) की स्‍थापना की गई – रियो अर्थ समिट, 1992 के दौरान
  • UNFCCC के तहत अल्‍प विकसित देशों को अल्‍प विकसित देश निधि (Least Developed Countries Fund : LDCF) उपलब्‍ध कराता है – GEF
  • कई प्रतिरोपित पौधे इसलिए नहीं बढ़ते हैं, क्‍योंकि – प्रतिरोपण के दौरान अधिकांश मूल रोम नष्‍ट हो जाते हैं।
  • मूलरोम की कोशा-भित्ति मुख्‍यतया बनी होती है – सेलुलोज से
  • मूलरोम मृदा से चिपके रहते हैं – पेक्टिन के कारण
  • पर्यावरण अपकर्ष से अभिप्राय है – पर्यावरणीय गुणों का पूर्ण रूप से निम्‍नीकरण, मानवीय क्रिया-कलापों से विपरीत परिवर्तन लाना, पारिस्थितिकीय विभिन्‍नता के परिणामस्‍वरूप पारिस्थ्ज्ञितिकीय असन्‍तुलन।
  • भारत में टिकाऊ कृषि के लिए राष्‍ट्रीय मिशन चल रहा है – वर्ष 2014-15 से
  • भारत में ‘हरितगृह कृषि’ (Green House Farming) प्रारंभ करने वाला राज्‍य है – पंजाब
  • नगरीकरण एवं औद्योगीकरण हानिकारक है – संतुलित विकास के लिए, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के लिए, जैव-विविधता के संरक्षण के लिए
  • 23-27 जून, 1997 के मध्‍य संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने एक विशेष बैठक का आयोजन किया (जो रियो + 5 या पृथ्‍वी सम्‍मेलन +5 के नाम से जाना जाता है) – न्‍यूयॉर्क में
  • विशिष्‍ट जलवायु परिवर्तन निधि (The Special Climate Change Fund : SCCF) की स्‍थापना की गई – CoP-7 की बैठक माराकेश से प्राप्‍त निर्देशों के आधार पर
  • वर्तमान में GEF की कार्यकारी अधिकारी व अध्‍यक्षा हैं – नाओको इशी (Naoko Ishii)
  • पलाचीमाड़ा जो पर्यावरण की अपार क्षति के कारण चर्चा में था, अवस्थित है – केरल में
  • पर्यावरा सुरक्षा अधिनियम (EPA) को अन्‍य जिस नाम से जाना जाता है – छाता विधान
  • जीव से जैव मंडल तक जैविक संगठन का सही क्रम है – जनसंख्‍या –> समुदाय –> पारिस्थितिक तंत्र –> भू-दृश्‍य
  • स्‍वपोषी (स्‍वपोषज) स्‍तर पर उत्‍पादन को कहा जाता है – प्राथमिक उत्‍पादकता
  • परपोषी (विषम पोषणज) स्‍तर के उत्‍पादन के संदर्भ में आता है – द्वितीयक उत्‍पादकबता
  • एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा की मात्रा एक पोषण स्‍तर से अन्‍य स्‍तर में स्‍थानांतरण के पश्‍चात – घटती है
  • प्रकृति की एक कार्यात्‍मक इकाई (Functional Unit) के रूप में जानी जाती है – पारिस्थितिकी तंत्र
  • पारिस्थितिक तंत्र के संबंध में सही कथन हैं – पारिस्थितिकी तंत्र किसी निश्चित स्‍थान-समय इकाई के समस्‍त जीवों तथा भौतिक पर्यावरण का प्रतिनिधित्‍व करता है, यह एक कार्यशील इकाई है, इसकी अपनी उत्‍पादकता होती है।
  • पारिस्थितिक तंत्र के विषय में सही नहीं है – यह एक बंद तंत्र होता है।
  • पारितंत्र (ईकोसिस्‍टम) शब्‍द का सर्वोत्‍कृष्‍ट वर्णन है – जीवों (ऑर्गनिज्‍़म्‍स) का समुदाय और साथ ही वह पर्यावरण जिसमें वे रहते हैं।
  • भारत में कृषि के पर्यावरण अनुकूल, दीर्घस्‍थायी विकास के लिए जो रणनीति सर्वश्रेष्‍ठ है –मिश्र शस्‍यन, कार्बनिक खादें, नाइट्रोजन यौगिकीकर पौधो और कीट प्रतिराध शस्‍य किस्‍में
  • प्राकृतिक कषि का अन्‍वेषक है – मसानोबू फुफुका
  • पर्यावरण संरक्षण के लिए ‘ग्रीन आर्मी’ को प्रारंभ किया –ऑस्‍ट्रेलिया ने
  • 10 प्रति‍शत नियम संबंधित है – ऊर्जा का खाद्य के रूप में एक पोषी स्‍तर से दूसरे पोषी स्‍तर तक पहुंचने से
  • कुछ कारणोंवश यदि तितलियों की जाति (स्‍पीशीज) की संख्‍या में बड़ी गिरावट होती है तो इसके जो संभावित परिणाम हो सकते हैं, वे हैं – कुछ पौधों के परागण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण करों, मकडि़यों और पक्षियों की कुछ प्रजातियों की समष्टि में गिरावट हो सकती है।
  • पारिस्थितिकी पारस्‍परिक संबंधों का अध्‍ययन है – जीव और वातावरण के बीच
  • जीव विज्ञान की एक शाखाहै जिसमें जीव समुदायों तथा उनके वातावरण के मध्‍य पार‍स्‍परिक संबंधों का अध्‍ययन करते हैं – पारस्थितिकी
  • अर्नेस्‍ट हैकल ने पारिस्थितिकी (Ecology) शब्‍द का प्रयोग किया – Oikologie के नाम से
  • ‘जीवधारियों के कार्बनिक और अकार्बनिक वातावरण और पारस्‍परिक संबंधों के अध्‍ययन को पारिस्थितिकी अथवा पारिस्थितिकी-विज्ञान’ कहते हैं, यह बताया – अर्नेस्‍ट हैकल ने
  • पारिस्थितिकी प्रकृति की संरचना एवं प्रक्रिया का अध्‍ययन है, यह बताया – यूजीन ओडम ने
  • सर्वप्रथम ‘पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) की संकल्‍पना प्रस्‍तावित की गई – वर्ष 1935 में ए.जी.टांसले द्वारा
  • बिना पर्यावरण की रूकावट के प्रजनन की क्षमता कहलाती है – जैविक विभव (Biotic Potential)
  • एक पद, जो केवल जीव द्वारा ग्रहण किए गए दिक्‍स्‍थान का ही नहीं, बल्कि जीवों के समुदाय में उसकी कार्यत्‍मक भूमिका का भी वर्णन करता है – पारिस्थितिक कर्मता
  • पृथ्‍वी के सर्वाधिक क्षेत्र पर फैला हुआ पारिस्थितिकी तंत्र है – सामुद्रिक
  • पृथ्‍वी पर विद्यमान जलमंडल (Hydrosphere) में समुद्री जल होता है – लगभग 97 प्रतिशत भाग
  • पारिस्थितिकी निकाय में ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है – सौर ऊर्जा
  • पारितंत्र में खाद्य श्रृंखलाओं के संदर्भ में जिस प्राकर के जीव अपघटक जीव कहलाते हैं – कवक, जीवाणु
  • अपघटक वे जीव होते हैं, जो अपक्ष्‍य या सड़न की प्रक्रिया को तेज करते हैं जिससे पुन: चक्रीकरण हो सके – पोषक तत्‍वों का
  • निर्जीव कार्बनिक तत्‍वों को अकार्बनिक यौगिकों में तोड़ते हैं – अपघटक
  • सूक्ष्‍म जीवों की एक विस्‍तृत किस्‍म जैसे फफूंद, जीवाणु, गोलकृमि, प्रोटोजोआ और केंचुआ भूमिका अदा करते हैं – अपघटकों की
  • प्राथमिक उपभोक्‍ता हैं – चींटी तथा हिरण
  • कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र है – धान का खेत
  • घास स्‍थल, वन तथा मरूस्‍थल उदाहरण हैं – स्‍थलीय पारिस्थितिक तंत्र के
  • झील, दियां तथा समुद्र आते हैं – जलीय पारिस्थितिकीय तंत्र में
  • किसी निश्चित क्षेत्र में प्राणियों की संख्‍या की सीमा, जिसे पर्यावरण समर्थन कर सकता है, कहलाती है –वहन क्षमता
  • समुद्री जल में सर्वाधिक व्‍याप्‍त लवण है – सोडियम क्‍लोराइड
  • पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में मदद करता है – वनारोपण, वर्षा जल प्रबंधन तथा जैवमंडल भंडार
  • वन्‍य जीव संरक्षण एवं पर्यावरण में व्‍याप्‍त प्रदूषण का निवारण मददगार है – पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में
  • किसी क्षेत्र के सभी जीवधारी तथा वातावरण में उपस्थित अजैव घटक संयुक्‍त रूयप से निर्माण करते हैं –पारितंत्र (Ecosystem) का
  • कृत्रिम पारितंत्र हैं – खेत
  • भारत में पारिस्थितिक असंतुलन का एक प्रमुख कारण है – वनोन्‍मूलन
  • वह कार्य जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ता है – वृक्ष काटना
  • पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) में उच्‍चतम पोषण स्‍तर का स्‍थान प्राप्‍त है – सर्वाहारी(Omnivoous) को
  • पारिस्थितिकी तंत्र का एक जीवीय संघटक नहीं है – वायु
  • समुद्री वातावरण में मुख्‍य प्राथ‍मिक उत्‍पादक होते हैं – फाईटोप्‍लैन्‍कटॉन्‍स
  • पारिस्थितिक तंत्र के जैविक घटकों में उत्‍पादक घटक हैं – हरे पौधे
  • हरे पौधे सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके अपना आहार स्‍वयं निर्मित करते हैं – प्रकाश संश्‍लेषण की विधि द्वारा
  • प्रथम पोषक स्‍तर के अंतर्गत आते हैं – हरित पादप
  • किसी खाद्य श्रृंखला में मुख्‍यत: प्राथमिक उपभोक्‍ता की श्रेणी में आते हैं – शाकाहारी प्राणी
  • अपघटक (decomposer) तथा प्राथमिक उपभोक्‍ता दोनों की श्रेणी में आती हैं – चींटी
  • वे जीवधारी जो अपना भोजन प्राथमिक उत्‍पादकों (हरे पौधों) से प्राप्‍त करते हैं, कहलाते हैं – प्राथमिक उपभेक्‍ता
  • खाद्य श्रृंखला (फूड चेन) में मानव हैं – प्राथमिक तथा द्वितीयक उपभोक्‍ता
  • शाक-सब्जियों का सेवन करने पर मनुष्‍य प्राथमिक उपभोक्‍ता जबकि मांसभक्षी होने पर श्रेणी में आएगा – द्वितीयक उपभोक्‍ता की
  • स्‍थलीय पारिस्थितिकीय तंत्र में जीवभार का पिरामिड होता है – सीधा (Upright)
  • पारिस्थितिकीय तंत्र में DDT का समावेश होने के बाद किस एक जीव में उसका संभवत: अधिकतम सांद्रा प्रदर्शित होगा – सांप
  • बहते जल के आवास लोटिक (Lotic) आवास कहे जाते हैं, जैसे – नदी
  • दो भिन्‍न समुदायों के बीच का संक्रान्ति क्षेत्र कहलाता है – इकोटोन
  • सर्वाधिक स्‍थायी पारिस्थितिक तंत्र है – महासागर
  • सबसे स्‍थायी पारिस्थितिक तंत्र हैं – समुद्री
  • पारिस्थितिक तंत्र में तत्‍वों के चक्रण को कहते हैं – जैव भू-रासायनिक चक्र
  • जल चक्र को ओडम (Odum) ने सम्मिलित किया है – गैसीय चक्र में
  • आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं – घास, बकरी तथा मानव
  • जीवभार का पिरामिड, जिस पारिस्थितिक तंत्र में उलट जाता है, वह है – तालाब
  • पारिस्थितिकीय तंत्र के विभिन्‍न स्‍तरों के प्रति इकाई क्षेत्र में उपस्थित जीवभार के रेखाचित्रीय निरूपण को कहते हैं – जीवभार का पिरामिड
  • जब कुछ प्रदूषक आहार श्रृंखला के साथ सांद्रता में बढ़ते जाते हैं और ऊतकों में जमा हो जाते हैं, तो इस घटना को कहते हैं – जैविक आवर्धन (Biomagnification)
  • DDT जैसे प्रदूषक होते हैं – जैव अनिम्‍नीकरणीय (Non biodegradable)
  • पारिस्थितिकी मित्र नहीं है – यूकेलिप्‍टस
  • पौधे हरे रंग के लवक (क्‍लोरोफिल) की सहायता से करते हैं – प्रकाश संश्‍लेषण
  • जीवित घटकों में शामिल होने के कारण पारिस्थितिक तंत्र से संबंधित हैं – हरे पौधे
  • ऐसे पदार्थ जिनके ऑक्‍सीकरण के पश्‍चात जीवधायिों को ऊर्जा प्राप्‍त होती है, कहे जाते हैं –खाद्य(Food)
  • जीवों द्वारा ऊर्जा का प्रवाह होता है – एकदिशीय (Unidirectional)
  • यूकेलिप्‍टस को उसकी अत्‍यधिक जल ग्रहण शक्ति के कारण घोषित किया गया है – पर्यावरण शत्रु
  • वृक्ष जो पर्यावरणीय संकट माना जाता है – यूकेलिप्‍टस
  • ‘लैन्टिक आवास’ का उदाहरण है – तालाब एवं दलदल
  • स्थिर जल के आवास लैन्टिक आवास के अंतर्गत आते हैं, इनके उदाहरण हैं – आर्द्रभूमि, तालाब, झील, जलाशय
  • पारिस्थितिकी-तंत्र (Ecosystem) शब्‍द का प्रथम प्रयोग किया गया है – ए.जी.टांसले द्वारा
  • सूक्ष्‍मजीव जो मृत पौधों, जन्‍तुओं और अन्‍य जैविका पदार्थों को सड़ा-गला कर वियोजित करते हैं, कहलाते हैं – वियोजक (Decomposers)
  • पारितंत्रों की घटती उत्‍पादकता के क्रम में जो अनुक्रम सही है – मैंग्रोव, घासस्‍थल, झील, महासागर
  • अधिक‍ विविधता वाले पारितंत्र की उत्‍पादकता भी होगी – अधिक
  • खाद्य श्रृंखला उस क्रम का निदर्शन करती है जिसमें जीवों की एक श्रृंखला एक-दूसरे के आहार द्वारा होती है – पोषित
  • पारिस्थितिकी संतुलन से संबंध नहीं है – औद्योगिक प्रबंधन
  • ‘पारिस्थितिकी स्‍थायी मितव्‍ययिता है’ – यह जिस आंदोलन का नारा है – चिपको आंदोलन
  • नर्मदा नदी के ऊपर बनाई जा रही बहुउद्देशीय बांध परियोजना को रोकने के लिए चलाया गया आंदोलन है – नर्मदा बचाओ आंदोलन
  • दक्षिण भारत का पर्यावरण संरक्षण से संबंधित आंदोलन है – एपिका आंदोलन
  • ‘चिपको’ आंदोलन संबंधित है – पादप संरक्षण से
  • पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित प्रमुख कथन हैं – पारिस्थितिकी-तंत्र (Ecosystem) शब्‍द का प्रयोग सर्वप्रथम ए.जी.टांसले ने किया था, जो जीवन अपना भोजन स्‍वयं उत्‍पादित करते हैं, उन्‍हें स्‍वपोषित(Autotrops) कहते हैं।
  • हर पोषण स्‍तर पर उपलब्‍ध ऊर्जा की मात्रा – घटती जोती है
  • एक मनुष्‍य के जीवन को पूर्ण रूप से धारणीय करने के लिए आवश्‍यक न्‍यूनतम भूमि को कहते हैं –पारिस्थितिकी पदछाप
  • अविवेकशील जीवन शैली जिसमें पारिस्थितिक तंत्र के घटकों यथा-जल, ऊर्जा इत्‍यादि का आवश्‍यकता से अधिक दोहन किया जाता है, बढ़ा देती है – पदछाप के आकार को
  • ‘भारतीय वन्‍य जीव संरक्षण अधिनियम’ लागू किया गया – वर्ष 1972 में
  • पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, पर्यावरण के संरक्षण एवं सुधार के लिए लागू किया गया – वर्ष 1986 में
  • जनजातियों एवं अन्‍य पारंपरिक वन निवासियों के (वन अधिकारों को मान्‍यता) अधिनियम लागू किया गया – दिसंबर, 2006 में
  • जैवमंडलीय पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह होता है – एक दिशी
  • ऊर्जा का न तो सृजन हो सकता है और न ही उसे नष्‍ट किया जा सकता है। यह एक स्‍वरूप से दूसरे स्‍वरूप में परि‍वर्तित हो सकती है – ऊष्‍मागतिकी के पहले नियम के अनुसार
  • विभिन्‍न पारिस्थितिक तंत्रों में उत्‍पादकों की सकल उत्‍पादकता का ही शाका‍हारियों द्वारा स्‍वांगीकृत हो पाता है – लगभग 10 प्रतिशत भाग
  • सर्वप्रथम ‘गहन पारिस्थितिकी’ (डीप इकॉलोजी) शब्‍द का प्रयोग किया – अर्तीज नेस ने
  • पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का अंतरण क्रमबद्ध स्‍तरों की एक श्रृंखला में होता है, जिसे कहते हैं – खाद्य श्रृंखला
  • पारिस्थितिकी निशे (आला) की संकल्‍पना को प्रतिपादित किया था – ग्रीनेल ने
  • पारिस्थितिकीय पदछाप के माप की इकाई है – भूमंडलीय हेक्‍टेयर
  • जैव-वानिकी (Bionomics) के संबंध में सही हैं – यह पारिस्थितिकीय का पर्याय (Synonym) है,यह प्राकृतिक तंत्रों के मूल्‍य पर बल देता है, जो मानव तंत्रों को प्रभावित करते हैं।
  • जैव-वानिकी अर्थात बायोनॉमिक्‍स शब्‍द bio तथा nomic शब्‍दों से मिलकर बना है। bio शब्‍द का तात्‍पर्य जीव या जीवन से है जबकि nomics ग्रीक शब्‍द nomos से व्‍युत्‍पन्‍न है जिसका अर्थ है, (law) नियम। बायोनॉमिक्‍स शब्‍द का शब्दिक अर्थ – जीवन के नियम
  • किसी जल निकाय में घनत्‍व प्रवणता को दर्शाती है – पिक्‍नाक्‍लाईन
  • वन संरक्षण अधि‍नियम लागू किया गया – वर्ष 1980 में
  • ‘मिलेनियम इकोसिस्‍टम एसेसमेंट’ पारिस्थितिक तंत्र की सेवाओं के प्रमुखवर्गों का वर्णन करता है –व्‍यवस्‍था, समर्थन, नियंत्रण, संरक्षण और सांस्‍कृतिक
  • वह जो एक समर्थन सेवा है – पोषक चक्रण और फसल परागण
  • पारिस्थितिक संवेदी क्षेत्र वे क्षेत्र हैं, जिन्‍हें घोषित किया गया है – पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत
  • पारिस्थितिक संवेदी क्षेत्रों में कृषि को छोड़कर सभी मानव क्रियाओं का निषेध नहीं है, बल्कि कुछ पर प्रतिबंध लगाया गया है और कुछ को किया गया है – विनियमित
  • घासस्‍थलोंमें वृक्ष पारिस्थितिक अनुक्रमण के अंश के रूप में जिस कारण घासों को प्रतिस्‍थापित नहीं करते हैं, वह है – जल की सीमाओं एवं आग के कारण
  • किसी जल निकाय में लवणता प्रवणता को प्रदर्शित करती है – हैलोक्‍लाइन
  • किसी जल निकाय में गहराई के साथ तापमान परिवर्तन को दर्शाती है – थर्मोक्‍लाइन
  • पारितंत्र उत्‍पादकता के संदर्भ में समुद्री उत्‍प्रवाह (अपवेलिंग) क्षेत्र इसलिए महत्‍वपूर्णहैं, क्‍योंकि ये समुद्री उत्‍पादकता बढ़ाते हैं – पोषकों को सतह पर लाकर
  • वायु प्रवाह द्वारा समुद्र की सतह पर विद्यमान गर्म, पोषकरहित जल को सघन, ठण्‍डे तथा पोषण तत्‍वों से परिपूर्ण जल द्वारा स्‍थानांतरित कर दिया जाता है – समुद्री उत्‍प्रवाह द्वारा
  • वह प्राकृतिक विधि जिसके अंतर्गतएक ही निहित तथा निश्चित स्‍थान पर एक विशिेष समूह, दूसरे समूह द्वारा विस्‍थापित हो जाता है। – अनुक्रमण
  • राष्‍ट्रीय उद्यानों में आनुवंशिक विविधता का रख-रखाव किया जाता है – इन-सीटू संरक्षण द्वारा
  • TRAFFIC मिशन यह सुनिश्चित करता है कि वन्‍य पादपों और जंतुओं के व्‍यापार से खतरा न हो – प्रकृति के संरक्षण को
  • भौतिक वातावरण में किसी समुदाय का समय के साथ रूपांतरण ही कहलाता है – पारिस्थितिक अनुक्रमण
  • जैविक अनुक्रमण की प्रावस्‍थाओं का सही क्रम है – नग्‍नीकरण, प्रवास, आस्‍थापन, प्रतिक्रया, स्थिरीकरण
  • वर्ष 1916 में पौधों की विभिन्‍न प्रजातियों का अध्‍ययन किया तथा अनुक्रमण (Succession) की सर्वमान्‍य परिभाषा दी – एफ. क्लिमेंट (F. Clement) ने
  • जैव-विविधता का अर्थ है – एक निर्धारित क्षेत्र में विभिन्‍न प्रकार के पादप एवं जंतु
  • जैव-विविधता का सबसे महत्‍वपूर्ण पहलू है – पारिस्थितिक तंत्र का निर्वहन
  • आनुवंशिक, जाति, समुदाय व पारितंत्र के स्‍तर पर विभिन्‍न प्रकार के कार्य करके पारिस्थितिक तंत्र का निर्वहन करती है – जैव-विविधता
  • जैव-विविधता के नाश का कारण है – जीवों के प्राकृतिक आवास की कमी, पर्यावरणीय प्रदूषण, वनों का नाश
  • TRAFFIC की स्‍थापना वर्ष 1976 में की गई थी। यह रणनीतिकगठबंधन है – WWF एवं IUCN का
  • जैव-विविधता को इस प्रकार परिभाषित किया जाता है – किसी पर्यावरण में विभिन्‍न प्रजातियों की श्रेणी
  • जैव-विविधता अल्‍फा (α) , बीटा (β) तथा गामा (γ) नामक श्रेणियों में विभाजित की जाती है। यह विभाजन वर्ष 1972 में किया था –व्हिटैकर (Whittaker) ने
  • देश के पूर्वी और उत्‍तर-पूर्वी हिस्‍सों में यह खेती प्रचलित है जो कि खेती का अवैज्ञानिक तरीका है – झूम खेती
  • जैव-विविधता हॉटस्‍पॉट स्‍थलों में शामिल है –पूर्वी हिमालय (Eastern Himalayas)
  • भारत में जैव-विविधता के ‘ताप स्‍थल’ (हॉटस्‍पॉट) हैं – पूर्वी हिमालय व पश्चिमी घाट
  • जैव-विविधता हॉटस्‍पॉट केवल उष्‍णकटिबंधीय प्रदेशों में ही नहीं बल्कि पाए जाते हैं – उच्‍च अक्षांशीयप्रदेशों में भी
  • जैव-विविधता के ह्रास का मुख्‍य कारण है – प्राकृतिक आवा‍सीय विनाश
  • जैव-विविधता के कम होने का मुख्‍य कारण है – आवासीय विनाश
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ द्वारा जैव-विविधता के लिए संकट हो सकते हैं – वैश्विक तापन, आवास का विखंडन,विदेशी जाति का संक्रमण
  • जैव-विविधता के लिए बड़ा खतरा है – प्राकृतिक आवासों और वन‍स्‍पति का विनाश तथा झूम खेती
  • हॉटस्‍पॉट शब्‍दों का सर्वप्रथम प्रयोग वर्ष 1988 में किया – नार्मन मायर्स ने
  • जहां पर जातियों की पर्याप्‍तता तथा स्‍थानीय जातियों की अधिकता पाई जाती है लेकिन साथ ही इन जीव जातियों के अस्तित्‍व पर निरंतर संकट बना हुआ है। वह क्षेत्र कहलाता है – हॉटस्‍पॉट
  • सबसे लंबा जीवित वृक्ष है – सिकाया (Sequoia)
  • किसी प्रजाति को विलुप्‍त माना जा सकता है, जब वह अपने प्राकृतिक आवास में देखी नहीं गई है – 50 वर्ष से
  • भारत में चार जैव-विविधता हॉटस्‍पॉट स्‍थ्‍ाल हैं। ये हॉटस्‍पॉट हैं – पूर्वी हिमालय, पश्चिमी घाट, म्‍यांमार-भारत सीमा एवं सुंडालैण्‍ड
  • भारत में जैव-विविधता की दृष्टि से संतृप्‍त क्षेत्र है – पश्चिमी घाट
  • जैव-विविधता के संदर्भ में भारत में क्षेत्र ‘हॉटस्‍पॉट’ माना जाता है – अंडमान निकोबार द्वीप समूह
  • प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधन अंतरराष्‍ट्रीय संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा विलुप्ति के कगार पर खड़े संकटग्रस्‍त पौधों और पशु जातियों की सूचियां सम्मिलित की जाती है – रेड डाटा बुक्‍स में
  • ‘रेड डाटा बुक’ अथवा ‘रेड लिस्‍ट’ से संबंधित संगठन है – आई.यू.सी.एन.
  • प्राणी समूह जो संकटापन्‍न जातियों के संवर्ग के अंतर्गत आता है – महान भारतीय सारंग, कस्‍तूरी मृग, लाल पांडा और एशियाई वन्‍य गधा
  • किसी प्रजाति के विलोपन के लिए उत्‍तरदायी है – बड़े आकार वाला शरीर, संकुचित निच (कर्मता),आनुवांशिक भिन्‍नता की कमी
  • किसी प्रजाति के विलोपन के लिए उत्‍तरदायी नहीं है –व्‍यापकनिच(Broad Niche)
  • यद्यपि भारत की जनसंख्‍या तीव्र गति से बढ़ रही है, किन्‍तु पक्षियों की संख्‍या तेजी से घट रही है, क्‍योंकि –पक्षियों के वास स्‍थान पर बड़े पैमाने पर कटौती हुई है, कीटनाशक रासायनिक उर्वकरण तथा मच्‍छर भगाने वाली दवाओं का बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है
  • उत्‍तराखण्‍ड में जैव-विविधता के ह्रास का कारण नहीं है – बंजर भूमिका वनीकरण
  • सड़कों का विस्‍तार, नगरीकरण एवं कृषि का विस्‍तार उत्‍तरदायी कारकों में शामिल हैं – जैव-विविधता के ह्रास के लिए
  • सोन चिरैया या महान भारतीय सारंग (Great Indian Bustard), साइवेरियन सारस और सलेटी टिअहरी (Sociable lapwing) अति संकटग्रस्‍त श्रेणी में, कस्‍तूरी मृग संकटग्रस्‍त श्रेणी में और एशियाई वन्‍य गधा संकट के नजदीक (Near Threatened) श्रेणी में जबकि लाल पांडा शामिल है – संकटग्रस्‍त श्रेणी में
  • गोल्‍डन ओरिओल, ग्रेट इंडियन बस्‍टर्ड, इंडियन फैनटेल पिजियन तथा इंडियन सनबर्ड भारतीय पक्षियों में से अत्‍यधिक संकटापन्‍न किस्‍म है –ग्रेट इंडियन बस्‍टर्ड
  • जैव विविधता के संरक्षण के लिए महत्‍वपूर्ण रणनीति है – जैवमंडल रिजर्व
  • वह स्‍थल जो व‍नस्पिति संरक्षण हेतु स्‍वस्‍थान पद्धति (in-situ) नहीं है – वान‍स्‍पतिक उद्यान
  • क्रायो बैंक ‘एक्‍स-सीटू’ संरक्षण के लिए जो गैस सामान्‍यत: प्रयोग होती है, वह है – नाइट्रोजन
  • वनस्‍पतियों एवं जानवरों की विलुप्‍तप्राय प्रजातियों का संरक्षण उनके प्राकृतिक आवास से पृथक किया जाता है – एक्‍स-सीटू सरंक्षण द्वारा
  • वर्ष1975 में यह भारत का अभिन्‍न अंग बन गया था। इसे वनस्‍पति शास्त्रियों का स्‍वर्ग माना जाता है –सिक्किम
  • पूर्वी हिमालय के हॉटस्‍पॉट क्षेत्र में आता है – सिक्किम
  • जैव-विविधता के साथ-साथ मनुष्‍य के परंपरागत जीवन के संरक्षण के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण रणनीति जिस एक की स्‍थापना करने में निहित है, वह है – जीवमंडल निचय (रिज़र्व)
  • किसी निश्‍चत भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्‍या तथा उनकी विविधता को कहा जाता है –जैव-विविधता
  • सर्वाधिक जैव-विविधता पायी जाती है – उष्‍णकटिबंधीय वर्षा वन बायोम
  • प्राणियों और पादपों की जातियों में अधिकतम विविधता मिलती है – उष्‍ण कटिबंध के आर्द्र वनों में
  • प्रवाल-विरंजन समुद्री तापमान और अम्‍लता में वृद्धि, वैश्विक ऊष्‍मन सहित पर्यावरण दबाव के कारण होता है जिससे सहजीवी शैवाल का मोचन और साथ ही घटित होती हैं – प्रवालों की मृत्‍यु
  • जिनमें प्रवाल-भित्तियां हैं – अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, कच्‍छ की खाड़ी, मन्‍नार की खाड़ी
  • सर्वप्रथम ‘बायोडायवर्सिटी’ शब्‍द का प्रयोग किया था – वाल्‍टर जी. रोसेन ने
  • जैव-विविधता जिन माध्‍यम/माध्‍यमों द्वारा मानव अस्तित्‍व का आधार बनी हुई है –मृदा निर्माण, मृदा अपरदन की रोकथाम, अपशिष्‍ट का पुन:चक्रण, शस्‍य परागण
  • सर्वाधिक जैव-विविधता पाई जाती है – उष्‍ण कटिबंधीय वर्षा वनों में
  • उष्‍ण कटिबंधीय वर्षा वनों का विस्‍तार पाया जाता है – 100उ. तथा 100द. अक्षांशों के मध्‍य
  • इन क्षेत्रों में पादप तथा प्राणियों के विकास तथा वृद्धि के लिए अनुकूलतम दशाएं पायी जाती हैं, क्‍योंकि इसमें वर्ष भर रहता है – उच्‍च वर्षा तथा तापमान
  • रामसर कन्‍वेन्‍शन के अंतर्गत रामसर स्‍थल है – भोज आर्द्र स्‍थल
  • रामसर सम्‍मेलन संरक्षण से संबंधित था – नम भूमि के
  • वेटलैंड दिवस मनाया जाता है – 2 फरवरी को
  • भारत की सबसे बड़ी अंतर्देशीय लवणीय आर्द्रभूमि – गुजरात में
  • जीवमंडल आरक्षित परिरक्षण क्षेत्र है – आनुवंशिक विभिन्‍नता के क्षेत्र
  • ‘शान्‍त घाटी’ अवस्थित है – केरल में
  • ‘साइलेंट वैली परियोजना’ जिस राज्‍य से संबंधितहै, वह है – केरल
  • ‘फूलों की घाटी’ अवस्थित है – उत्‍तराखण्‍ड में
  • आर्द्र क्षेत्रों में जिन्‍हें रामसर का दर्जा प्राप्‍त है – चिल्‍का झील, लोकटक, केवलादेव तथा वूलर झील
  • रामसर सूची अंतरराष्‍ट्रीय महत्‍व की आर्द्र भूमियों की सूची है। इस सूची में वर्तमान में भारत के शामिल स्‍थल हैं – कुल 26 स्‍थल
  • जैव-विविधता में परिवर्तन होता है, क्‍योंकि यह – भूमध्‍य रेखा की तरु बढ़ती है
  • सर्वाधिक जैव-विविधता पाई जाती है – उष्‍ण कटिबंधीय क्षेत्रों में
  • शान्‍त घाटी, कश्‍मीर, सुरमा घाटी तथा फूलों की घाटी में से सर्वाधिक जैव-विविधता पाई जाती है – शान्‍त घाटी में
  • प्रवाल-विरंजन का सबसे अधिक प्रभावी कारक हैं – सागरीय जल के सामान्‍य तापमान में वृद्धि
  • सीवकथोर्न के विश्‍वव्‍यापी मार्केट की बड़ी सम्‍भावनाएं हैं। इस पेड़ के बेर में विटामिन और पोषक तत्‍व प्रचुर होते हैं। चंगेज खां ने इसका प्रयोग अपनी सेना की ऊर्जस्विता को उन्‍नत करने के लिए किया था। रूसी कॉस्‍मोनाटों ने इसकेतेल को कास्मिक विकिरण से बचाव के लिए किया था। भारत में यह पौधा पाया जाता है –लद्दाख में
  • भारत सरकार ‘सीबकथोर्न’की खेती को प्रोत्‍साहित कर रही है। इस पादप का महत्‍व है –यह मृदा-क्षरण के नियंत्रण में सहायक है और मरुस्‍थलीकरण को रोकता है। इसमें पोषकीय मान होता है और यह उच्‍च तुंगता वाले ठंडे क्षेत्रों में जीवित रहने के लिए भली-भांति अनुकूलित होता है।
  • भारत में लेह बेरी के नाम से लोकप्रिय एक पर्णपाती झाड़ी है – सीबकथोर्न
  • पिछले दस वर्षों में बिद्धों की संख्‍या में एकाएक बिरावट आई है। इसके लिए उत्‍तरदायी कारण एक साधारण सी दर्द निवारक दवा है, जिसका उपयोग किसानों द्वारा पशुओं के लिए दर्द निवारक के रूप में एवं बुखार के इलाज में किया जाता ह। वह दवा है – डिक्‍लाफिनेक सोडियम
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ द्वारा 2011-20 के लिए दशक निर्दिष्‍ट किया है –जै‍व-विविधता दशक
  • पारिस्थितक तंत्र की जैव-विविधता की बढ़ोतरी के लिए उत्‍तरदायी नहीं है – पोषण स्‍तरों की कम संख्‍या
  • पारिस्थितिकी तंत्र होता है – एक गतिकीय तंत्र
  • हिमालय पर्वतप्रदेश जाति विविधता की दृष्टि से अत्‍यन्‍त संमृद्ध हैं। इस समृद्धि के लिए जो कारण सबसे उपयुक्‍त है, वह है – यह विभिन्‍न जीव-भौगोलिक क्षेत्रोंका संगम है
  • भारतीय संसद द्वारा जैव-विविधता अधिनियम पारित किया गया – दिसंबर 2002 में
  • ‘भारतीय राष्‍ट्रीय जैविक-विविधता प्राधिकरण’ स्‍थापित किया गया – वर्ष 2003, चैन्‍नई (तमिलनाडु) में
  • राष्‍ट्रीय जैव-विविधता प्राधिकरण भारत में कृषि संरक्षण में सहायकहै, यह – जैव चोरी को रोकता है तथा देशी और परंपरागत आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण करता है, एन.बी.ए. की अनुशंसा के बिना आनुवंशिक/जैविक संसाधनोंसे संबंधित बौद्धिकसंपदा अधिकार हेतु आवेदन नहीं किया जा सकता है।
  • मॉरीशस में टम्‍बलाकोक (Tambalacoque), जिसे डोडा वृक्ष के नाम से भी जाना जाता है, प्रजनन में असफल रहा, जिसकी वजह से यह लगभग विलुप्‍त हो रहा है। इसका मुख्‍य कारण है – डोडो पक्षी की विलुप्ति
  • भारतीय वन्‍य जीवन के सन्‍दर्भ में उड्उयन वल्‍गुल (फ्लाइंग फॉक्‍स) है – चमगादड़
  • ‘ग्रेटर इंडियन फ्रूट बैट’ (Greater Indian Fruit Bat) के नाम से भी जाना जाता है – इंडियन फ्लाइंग फॉक्‍स
  • भारत में गिद्धों की कमी का अत्‍यधिक प्रमुख कारण है – जानवरों को दर्द निवारक देना
  • कुछ वर्ष पहले तक गिद्ध भारतीय देहातों में आमतौर से दिखाई देते थे, किंतु आजकलकभी-कभार ही नजर आते हैं। इस स्थिति के लिए उत्‍तरदायी है – गोपशु मालिकों द्वारा रुग्‍ण पशुओं के लिए उपचार हेतु प्रयुक्‍त एक औषधि
  • मॉरीशस में एक वृक्ष प्रजाति प्रजनन में असफल रही, क्‍योंकि एक फल खाने वाला पक्षी विलुप्‍त हो गया, वह पक्षी था – डोडा
  • जिन तीन मानकों के आधार पर पश्चिमी घाट-श्रीलंका एवं इंडो-बर्मा क्षेत्रों को जैव-विविधता के प्रखर स्‍थलों (हॉटस्‍पॉट्स) के रूप में मान्‍यता प्राप्‍त हुई है, वे हैं – जाति बहुतायता (स्‍पीशीज़ रिचनेस) स्‍थानिकता तथा आशंका बोध
  • ‘बर्डलाइफ इंटरनेशनल’ (BirdLife International) नामक संगठन के संदर्भ में कथन सही है – यह संरक्षण संगठनों की विश्‍वव्‍यापी भागीदारी है, यह ‘महत्‍वपूर्ण पक्षी एवं जैवविविधता क्षेत्र'(इम्‍पॉर्टैन्‍ट बर्ड एवं बॉयोडाइवर्सिटि एरियाज़)’ के रूप में ज्ञात/निर्दिष्‍ट स्‍थलों की पहचान करता है।
  • जैव-विविधता हॉटस्‍पॉट की संकल्‍पता दी गई थी – ब्रिटिश पर्यावरणविद् नॉर्मन मायर्स द्वारा
  • जैव-सुरक्षा पर कार्टाजेना उपसंधि (प्रोटोकॉल) के पक्षकारों की प्रथम बैठक (MOP) 23-27 फरवरी, 2004 के मध्‍य सम्‍पन्‍न हुई थी – मलेशिया की राजधानी क्‍वालालम्‍पुर में
  • डुगोन्‍ग नामक समुद्री जीव जो कि विलोपन की कगार पर है वह है एक – स्‍तरधारी (मैमल)
  • भारत में पाये जाने वाले स्‍तनधारी ‘ड्यूगोंग’ के संदर्भ में सही है/हैं – यह एक शाकाहारी समुद्री जानवर है, इसे वन्‍य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची । के अधीन विधिक संरक्षण दिया गया है।
  • यह एक समुद्रीस्‍तनधारी है और घास खाने की इनकी आदत के कारण इन्‍हें ‘समुद्री गाय’ भी कहा जाता है – ड्यूगोंग
  • जैव-सुरक्षा (बायो-सेफ्टी) का कार्टाजेना प्रोटोकॉल कार्यान्वित करता है – पर्यावरणएवं वन मंत्रालय
  • बलुई और लवणीय क्षेत्रएक भारतीय पशु जाति का प्राकृतिक आवास है। उस क्षेत्र में उस पशु के कोई परभक्षी नहीं है किंतु आवास ध्‍वंस होने के कारण उसका अस्तित्‍व खतरे में है। यह पशु है – भारतीय वन्‍य गधा
  • जैव-विविधता पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलनके दलों का दसवां सम्‍मेलन आयोजित किया गया था – नगोया में
  • जैव-विविधता पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन के दलों का ग्‍यारहवां सम्‍मेलन (CoP-11) 8-11 October 2012 के मध्‍य आयोजित किया गया – हैदराबाद, भारत में
  • UN-REDD+ प्रोग्राम की समुचित अभिकल्‍पना और प्रभावी कार्यान्‍वयन महत्वपूर्ण रूप से योगदान दे सकते हैं – जैव-विविधता का संरक्षण करने में वन्‍य पारिस्थितिकी की समुत्‍थानशीलता में तथा गरीबी कम करने में
  • भारत ने जैव-सुरक्षा उपसंधि (प्रोटोकॉल)/जैव-विविधता पर समझौते पर हस्‍ताक्षर किया था। – 23 जनवरी, 2001 को
  • जैव-सुरक्षा उपसंधि (प्रोटोकॉल) संबद्ध है – आनुवंशिक रूपांतरित जीवों से
  • जैव-सुरक्षा उपसंधि/जैव-विविधता पर समझौते का सदस्‍य नहीं है – संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका
  • प्रकृति एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अंतरराष्‍ट्रीय संघ (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्‍जर्वेशन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज़) (IUCN) तथा वन्‍य प्राणिजात एवं वनस्‍पतिजात की संकटापन्‍न स्‍पीशीज़ के अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार पर कन्‍वेंशन (कन्‍वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एन्‍डेंजर्ड स्‍पीशीज़ ऑफ वाइल्‍ड फॉना एंड फ्लोरा) (CITES) के संदर्भ में सही है – IUCN, प्राकृतिक पर्यावरण के बेहतर पर्यावरण के बेहतर प्रबंधन के लिए, विश्‍व भर में हजारों क्षेत्र-परियोजनाएं चलाता है। CITES उन राज्‍यों पर वैध रूप से आबद्धकर है जो इसमें शामिल हुए हैं,लेकिन यह कन्‍वेंशन राष्‍ट्रीय विधियों का स्‍थान नहीं लेता है।
  • IUCN, एक अंतरराष्‍ट्रीय संगठन है जो प्रकृति संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रयोग के क्षेत्र में कार्यरत है। यह अंग नहीं है – संयुक्‍त राष्‍ट्र का
  • दो महत्‍वपूर्ण नदियां जिनमेंसे एक का स्रोत झारखंड में है (और जो उड़ीसा में दूसरे नाम से जानी जाती है) तथा दूसरी जिसका स्रोत उड़ीसा में है – समुद्र में प्रवाह करनेसे पूर्व एक ऐसे स्‍थान पर संगम करती हैं, जो बंगाल की खाड़ी से कुछ ही दूर है। यह वन्‍य जीवन तथा जैव-विविधता का प्रमुख स्‍थल है और सुरक्षित क्षेत्र है। वह स्‍थल है – भितरकनिका
  • चीता को भारत से विलुप्‍त घोषित किया गया था – वर्ष 1952 में
  • समुद्र तल से 3000-4500 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है – हिम तेंदुआ
  • जम्‍मू एवं कश्‍मीर का राज्‍य पक्षी है – काली गर्दन वाला सारस
  • भारत में सर्वाधिक उड़न गिलहरी हैं – हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में
  • शीतनिष्क्रियता की परिघटना का प्रेक्षिण कियाजा सकता है – चमगादड़, भालू कृंतक (रोडेन्‍ट) में
  • समशीतोष्‍ण (Temperate) और शीतप्रधान देशों में रहने वाले जीवों की उस निष्क्रिय तथा अवसन्‍न अवस्‍था को जिसमें वहां के अनेक प्राणी जाड़े की ऋतु बिताते हैं। कहते हैं – शीतनिष्क्रियता(Hybernation)
  • गिलहरियां (Squirrels), छदूंदर (Must Rats), चूहे (Rats), मूषक (Mice) आदि स्‍तनधारी प्राणी आते हैं – कृंतक (Rodents) गण में
  • ‘पारितंत्र एवं जैव-विविधता का अर्थतंत्र’ (The Economics of Ecosystems and Biodiversity-TEEB) नामक पहल के संदर्भ में सही है/हैं – यह एक विश्‍वव्‍यापी पहल है, जो जैव-विविधता के आर्थिक लाभों के प्रति ध्‍यान आकषित करने पर केंद्रित है। यह ऐसा उपागम प्रस्‍तुत करता है, जो पारितंत्रों और जैव-विविधता के मूल्‍य की पहचान, निदर्शन और अभिग्रहण में निर्णयकर्ताओं की सहायता कर सकता है।
  • TEEB, संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme) के अंतर्गत कार्य करने वाली संस्‍था है। इसका कार्यालय है – जेनेवा, स्विट्जरलैंड में
  • सिंह-पुच्‍छी वानर (मॅकाक) अपने प्राकृतिक आवास में पाया जाता है – तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक में
  • भारत में प्राकृतिक रूप में पाए जाते हैं – काली गर्दन वाला सारस (कृष्‍णग्रीव सारस), उड़न गिलहरी (कंदली), हिम तेंदुआ
  • भारत में उत्‍तर पूर्व के सघन वनों में रहता है – स्‍लो लोरिस (Slow Loris)
  • वृक्षों पर रहने वाला वह स्‍तनधारी जिसका जूलॉजिकल नाम ऐलुरस फल्‍गेंस (Ailuras Fulgens) है –रेड पांडा
  • भारत में रेड पांडा प्राकृतिक रूप में पाया जाता है – उत्‍तर-पूर्वी भारत के उप-हिमालयी क्षेत्रों में
  • यह ज्ञान के विकास और संग्रहरण के लिए तथा व्‍यावहारिक अनुभव का बेहतर नीतियों हेतु पक्षसमर्थन करने के लिए क्षेत्र स्‍तर पर कार्य करता है – वेटलैंड्स इंटरनेशलन
  • ‘वेटलैंड्स इंटरनेशलन’ एक गैर-सरकारी एवं गैर-लाभकारी वैश्विक संगठन है जो आर्द्रभूमियों एवं उनके संसाधनों को बनाए रखने तथा उन्‍हें पुन: स्‍थापित करने हेतु कार्यरत हैं। इसका मुख्‍यालय स्थित है –नीदरलैंड्स में
  • उच्‍चतर अक्षांशों की तुलना में जैव-विविधतासामान्‍यत- अधिक होती है – निम्‍नतर अक्षांशों में
  • पर्वतीय प्रवणताओं (ग्रेडिएन्‍ट्स) में उच्‍चतर उन्‍नतांशों की तुलना में जैव-विविधता सामान्‍यत: अधिक होती है – निम्‍नतर अक्षांशों में
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पाया जाता है – लवण जल मगर
  • अंडमान और निकोबार के समुद्री जीव-जन्‍तुओं में डूगॉग्‍स, डॉल्फिन, व्‍हेल, साल्‍ट वाटर समुद्री कछुआ, समुद्री सांप आदि आमान्‍य रूप से बहुतायत से पाए जाते हैं। विशाल हिमालय श्रृंखला में पाए जाते हैं –श्रूएवं टैपीर
  • भारत रामसर अभिसमयका एक पक्षकार है और उसने बहुत से क्षेत्रों को रामसर स्‍थल घोषित किया है ताकि इन सभी स्‍थलों का, पारिस्थितिकी तंत्र उपागम से संरक्षण किया जाए और साथ-साथ अनुमति दी जाए। – उनके धारणीय उपयोग की
  • यदि अंतरराष्‍ट्रीय महत्‍व की किसी आर्द्रभूमि को ‘मॉन्ट्रियो रिकॉर्ड’ के अधीन लाया जाए, तो इससे अभिप्राय है – मानव हस्‍तक्षेप के परिणाम स्‍वरूप आर्द्रभूमि में पारिस्थितिक स्‍वरूप में परिवर्तन हो गया है, हो रहा है या होना संभावित है।
  • भारत रामसर अभिसमय (Ramsar Convention) का एक पक्षकार है और उसने बहुत से क्षेत्रों को रामसर स्‍थल घोषित किया है। वह कथन जो इस अभिसमय के संदर्भ में सर्वोत्‍तम रूप से बताता है कि इन स्‍थलों का अनुरक्षण कैसेकिया जाना चाहिए – इन सभी स्‍थलों का, पारिस्थितिकी तंत्र उपागम से संरक्षण किया जाए और साथ-साथ उनके धारणीय उपयोग की अनुमति दी जाए
  • भारत में तटीय आर्द्रभूमि का कुल भौगोलिक क्षेत्र, आंतरिक आर्द्रभूमि के कुल भौगोलिक क्षेत्र से – कम है
  • जैव द्रव्‍यमान का वार्षिक उत्‍पादन न्‍यूनतम होता है – गहरे सागर में
  • जैव द्रव्‍यमान के उत्‍पादन की दृष्टि से प्रथम स्‍थान पर आते हैं – उष्‍णकटिबंधीय वर्षा वन
  • ‘टुमारोज बायोडायवर्सिटी’ पुस्‍तक की लेखिका हैं – वंदना शिवा
  • यूरोपीय संघ (EU) द्वारा विकासशील देशों के साथ वार्तालाप एवं सहयोग से वर्ष 2007 में स्‍थापित की गई – भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन संधि (GCCA)
  • यह लक्ष्‍याधीन विकासशील देशों को उनकी विकास नीतियों और बजटों में जलवायु परिवर्तन के एकीकीरण हेतु प्रदान करती है – तहनीकी एवं वित्‍तीय सहायता
  • वायुमंडल के प्राकृतिक संतुलन के लिए कार्बन डाइऑक्‍साइड की उपयुक्‍त सांद्रता है – 03%
  • जलवायु परिवर्तन के प्र‍मुख कारक हैं – जीवाश्मिक ईंधन का अधिकाधिक प्रज्‍ववलन, तैल चालित, स्‍वचालितों की संख्‍या विस्‍फोटन तथा अत्‍यधिक वनोन्‍मूलन
  • जलीय तथा शुष्‍क स्‍थलीय पारिस्थितिकीय तंत्रके बीच के क्षेत्र कहलाते हैं – आर्द्र भू-क्षेत्र
  • आर्द्रभूमि के अंतर्गत देश का कुल भौगोलिक क्षेत्र अन्‍य राज्‍यों की तुलना में अधिक अंकित है – गुजरात में
  • जैव-विविधता से संबंध रखते हैं – खाद्य एवं कृषि हेतु पादप आनुवंशिक संसाधनों के विषय में अंतरराष्‍ट्रीय संधि, मरुभवन का सामना करने हेतु संयुक्‍त राष्‍ट्र अभिसमय, विश्‍व विरासत अभिसमय
  • वर्ष 1997 में विश्‍व पर्यावरण सम्‍मेलन आयोजित किया गया था – क्‍योटो में
  • जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ का कन्‍वेंशन ढांचा संबंधित है – ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन में कमी से
  • पारिस्थितिकीय निकाय के रूप में आर्द्र भूमि (बरसाती जमीन) उपयोगी है – पोषक पुनर्प्राप्ति एवं चक्रण हेतु पौधों द्वारा अवशोषण के माध्‍यम से भारी धातुओं को अवमुक्‍त करने हेतु, तलछट रोक कर नदियों का गादीकरण कम करने हेतु
  • जलवायु परिवर्तन पर झारखंड कार्ययोजना प्रकाशित हुई – वर्ष 2013 एवं 2014 में
  • झारखंड जलवायु परिवर्तन कार्ययाजना रिपोर्ट (2014) के अनुसार सबसे संवेदनशील जिला है –सरायकेला खारसवां
  • जलवायु परिवर्तन का कारण है – ग्रीन हाउस गैसें, ओजोन पर्त का क्षरण तथा प्रदूषण
  • जीवाश्‍म ईंधन के जलने से वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि तथा ओजोन परत का अवक्षय प्रमुख कारण है – जलवायु परिवर्तन का
  • वह देश जिसने ग्रीन हाउस गैस के उत्‍सर्जन में कमी करने हेतु वर्ष 2019 में ‘कार्बन टैक्‍स’ लगाने की घोषणा की – सिंगापुर
  • कार्बन डाइऑक्‍साइड के मानवोद्भवी उत्‍सर्जनों के कारण आसन्‍न भूमंडलीय तापन के न्‍यूनीकरण के संदर्भ में कार्बन प्रच्‍छादन हेतु संभावित स्‍थान हो सकते हैं – परित्‍यक्‍त और गैर-लाभकारी कोयला संस्‍तर, नि:शेष तेल एवं गैस भंडार एवं भूमिगत गंभीर लवणीय शैल समूह
  • एक प्राकृतिक प्रकिृया जिसके द्वारा किसीग्रह या उपग्रह के वातावरण में मौजूद कुछ गैसें ग्रह/उपग्रह के वातावरण के ताप को अपेक्षाकृत अधिक बनाने में मदद करती है – गैसों के वायुमंडल में जमा
  • ‘ग्रीन हाउस प्रभाव’ है – गैसों के वायुमंडल में जमा होने से पृथ्‍वी के वातावरण का गर्म होना
  • ग्रीन हाउस गैसों की संकल्‍पना की थी – जोसेफ फोरियर ने
  • ‘क्‍योटो प्रोटोकॉल’ संबंधित है – जलवायु परिवर्तन से
  • क्‍योटो प्रोटोकॉल एक अंतरराष्‍ट्रीय समझौता है, जो संबंद्ध है – UNFCCC (United Nations Framework Convention on Climate Change) से
  • वर्ष 2015 में 21वां जलवायु परिवर्तन सम्‍मेलन हुआ था –पेरिस में
  • ग्रीन हाउस इफेक्‍ट वह प्रक्रिया है – जिसमे वायुमंडलीय कार्बन डाईऑक्‍साइड द्वारा इन्‍फ्रारेड विकिरण शोषित कर लिए जाने से वायुमंडल का तापमान बढ़ता है।
  • कार्बन डायऑक्‍साइड का वायुमंडलीय जीवनकाल परिवर्तनीय है, जबकि सभी समयावधिओं के दौरान इसका वैश्विक तापन विभव 1 पाया गया है, वहीं दूसरी ओर मेथेन का 20 वर्ष के दौरान वैश्विक तापन विभव पाया गया – 72
  • पर्यावरण में ग्रीन हाउस प्रभाव में वृद्धि होती है – कार्बन डाइऑक्‍साइड के कारण
  • वायुमंडल में उपस्थित वह गैसें जो तापीय अवरक्‍त विकिरण की रेंज के अंतर्गत विकिरणों का अवशोषण एवं उत्‍सर्जन करती हैं – ग्रीन हाउस गैसें
  • ग्रीन हाउस गैस नहीं है– O2
  • सही कथन है – क्‍योटो उपसंधि वर्ष 2005 में लागू हुई। मेथेन, कॉर्बन डाईऑक्‍साइड की तुलना में ग्रीन हाउस गैस के रूप में अधिक हानिकारक है।
  • किसी गैस के अणुओंकी दक्षता एवं उस गैस के वायुमंडलीय जीवनकाल पर निर्भर करता है – गैस का वैश्विक तापन विभव (GWP: Global Warming Potential)
  • मई,2011 में विश्‍व बैंक के साथ हुए उत्‍सर्जन ह्रास क्रय समझौते के बारे में सही है – समझौता 10 वर्ष के लिए लागू रहेगा, समझौता हिमाचल प्रदेश की एक परियोजना के लिए कार्बन क्रेडिट सुनिश्चित करेन के लिए है, समझौते के अनुसार एक टन कार्बन डाईऑक्‍साइड एक क्रेडिटइकाई के समतुल्‍य होगी।
  • एक गैस जो धरती पर जीवन के लिए हानिकारक और लाभदायक दोनों है – कार्बन डाईऑक्‍साइड
  • आज कार्बन डाईऑक्‍साइड (CO2) के उत्‍सर्जनमें सर्वाधिक योगदान करने वाला देश है – चीन
  • वह देश जिसे दुनिया में ‘कार्बन निगेटिव देश’ के रूप में माना जाता है – भूटान
  • वे पदार्थ जो सार्वत्रिक तापन उत्‍पन्‍न करने में योगदान करते हैं – मेथेन, कार्बन डाइऑक्‍साइड तथा जलवाष्‍प
  • गैस समूह जो ‘ग्रीन हाउस प्रभाव’ में योगदान देता है – कार्बन डाइऑक्‍साइड तथा मेथेन
  • प्राकृतिक रूप में पाई जाने वाली ग्रीन हाउस गैस जो सर्वाधिक ग्रीन हाउस इफेक्‍ट करती है – जलवाष्‍प
  • वैश्विक ऊष्‍मन के लिए उत्‍तरदायी नहीं है – ऑर्गन
  • भूमंडलीय उष्‍णता (Global warming) के परिणामस्‍वरूप –हिमनदी द्रवीभूत होने लगी, समय से पूर्व आम में बौर आने लगा तथा स्‍वास्‍थ्‍य पर कुप्रभाव पड़ा।
  • वैश्विक ताप के असर को इंगित करते हैं – हिमानी का पिघलना, सागरीय तल में उत्‍थान, मौसमी दशाओं में परिवर्तन तथा ग्‍लोबीय तापमान में वृद्धि
  • भूमंडलीय ऊष्‍मन की आशंका वायुमंडल में जिसकी बढ़ती हुई सांद्रता के कारण बढ़ रही है – कार्बन डाइऑक्‍साइड की
  • ग्रीन हाउसर्गस नहीं है – हाइड्रोजन
  • हरित गृह गैस नहीं है – नाइट्रोजन
  • गैस जो ग्‍लोबल वार्मिंग के लिए ज्‍यादा जिम्‍मेदार है – कार्बन डाईऑक्‍साइड
  • कार्बन डाईऑक्‍साइड गैस ग्‍लाबल वार्मिंग के लिए सबसे ज्‍यादा जिम्‍मेदार है, क्‍योंकि वायुमंडल में इसकी सांद्रता अन्‍य ग्रीन हाउस गैसों की तुलनामें है – बहुत अधिक
  • मेथेन उत्‍सर्जन के प्राकृतिक स्रोत हैं –आर्द्रभूमि, समुद्र, हाइड्रेट्स (Hydrates)
  • मानव की क्रिया जो जलवायु से सर्वाधिक प्रभावित होती है – कृषि
  • जुगाली करने वाले पशुओं से जिस ग्रीन हाउस गैस का निस्‍सरण होता है, वह है – मैथेन
  • मेर्थन(CH4) गैसे को कहते हैं – मार्श गैस (Marsh Gas)
  • यह एक आंदोलन है, जिसमे ंप्रतिभागी प्रतिवर्ष एक निश्चित दिन, एक घंटे लिए बिजली बंद कर देते हैं तथा यह जलवायु परिवर्तन और पृथ्‍वी को बचाने की आवश्‍कता के बारे में जागरूकता लाने वाला आंदोलन है – पृथ्‍वी काल
  • एक सर्वाधिक भंगुर पारिस्थितिक तंत्र है, जो वैश्विक तापन द्वारा सबसे पहले प्रभावित होगा – आर्कटिक एवं ग्रीनलैंड हिमचादर
  • वायु में कार्बन डाइऑक्‍साइड की बढ़ती हुई मात्रा से वायुमंडल का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है, क्‍योंकि कार्बन डाइऑक्‍साईड – सौर विकिरण के अवरक्‍त अंश को अवशोषित करती है
  • प्रमुख ग्रीनहाउस गैस मेथेन के स्रोत हैं – धान के खेत, कोयले की खान, पालतू पशु, आर्द्रभूमि
  • यह सरकारएवं व्‍यवसाय को नेतृत्‍व देने वाले व्‍यक्तियों के लिए ग्रीन हाउस गैस उत्‍सर्जन को समझने, परिमाण निर्धारित करने एवं प्रबंधन हेतु एक अंतरराष्‍ट्रीय लेखाकरण साधन है – ग्रीन हाउस गैस प्रोटोकॉल (Greenhouse Gas Protocol)
  • ‘वर्ल्‍उ रिसोर्स इंस्‍टीट्यूट’ (WRI) तथा ‘वर्ल्‍ड बिजनेस काउंसिल ऑन सस्‍टेनेबलडेवलपमेंट’ (WBCSD) द्वारा किया गया है – ग्रीन हाउस गैस प्रोटोकॉल का विकास
  • क्‍योटो प्रोटोकॉल प्रभावीहुआ – वर्ष 2005 से
  • जापान के क्‍योटो शहर में हुए UNCCC के तीसरे सम्‍मेलन में क्‍योटो प्रोटोकॉल को स्‍वीकार किया गया –11 दिसंबर, 1997 को
  • जलवायु परिवर्तन और पृथ्‍वी को बचाने की आवश्‍यकता के बारे में जागरूकता लाने हेतु ‘वर्ल्‍ड वाइड फंड फॉर नेचर’ (WWF: World wide Fund for Nature) द्वारा आयोजित कियाजाने वाला एक विश्‍वव्‍यापी आंदोलन है – पृथ्‍वी काल (Earth Hour)
  • 50 से अधिक देशों द्वारा समर्थित संयुक्‍त राष्‍ट्र का मौसम परिवर्तन समझौता प्रभावी हुआ – मार्च 21, 1994 को
  • सी.डी.एम. के लिए सत्‍य नहीं है – यह विकसित देशों को विकासशील देशों की परियोजनाओं में पूंजी लगाने का निषेध करता है।
  • सी.डी.एम. (C.D.M. Clean Development Mechanism) ग्‍लोबल वार्मिंग में कमी के लिए हरित गृह गैस उत्‍सर्जन को नियंत्रित करने की प्रणाली है, जो सामने आई थी – क्‍योटो प्रोटोकॉल के तहत
  • CO2 उत्‍सर्जन एवं भूमंडलीय तापन के संदर्भ में UNFCCC के अंतर्गत उस बाज़ार संचालित युक्ति का नाम जो विकासशील देशों को विकसित देशों से निधियां/प्रोत्‍साहन उपलब्‍ध कराती हैं, ताकि वे अच्‍छी प्रौद्यिोगिकियां अपनाकर ग्रीन हाउस गैस उत्‍सर्जन कम कर सकें – स्‍वच्‍छ विकास युक्ति
  • कार्बन जमाओं (कार्बन क्रेडिट्स) के बारे मे स्‍वच्‍छ विकास युक्ति (CDM) है – क्‍योटो नवाचार युक्तिओं में से एक
  • क्‍योटो प्रोटोकॉल समझौते के अनुसार, अधिक ग्रीन हाउस गैसों का उत्‍सर्जन करने वाले देशों के लिए उत्‍सर्जनमें वर्ष 2008 से 2012 तक कटौती करने का प्रावधान किया गया था – 2% की
  • वर्ष 2015 में पेरिस में UNFCCC की बैठक मे ंविकसित देशों ने वैश्विक तापन में अपनी जिम्‍मेदारी स्‍वीकार की तथा साथ-ही-साथ कई देशों की सहायता से वर्ष 2020 में जलवायु निधि जमा करने की प्रतिबद्धता जताई – 100 अरब डॉलर
  • विश्‍व के तापमानों पर आंकड़े इकट्ठा करने के लिए वैश्विक वायुमंडल चौकसी स्‍टेशन स्‍थापित किया गया है – अल्‍जीरिया, ब्राजील तथा केन्‍या में
  • 1 टन कार्बन डाइऑक्‍साइड की मात्रा को घटाने से प्राप्‍त होती है – एक CER यूनिट
  • जैव-विविधता अभिसमय (Convention on Biological Diversity – CBD) का पूरक प्रोटोकॉल, जो जैव प्रौद्योगिकी द्वारा उत्‍पन्‍न जीवित संशोधित जीवों (Live Modified Organisms-LMO) द्वारा उत्‍पन्‍न संभावित खतरों से जैव-विविधता की रक्षा करने हेतु प्रतिबद्ध है – कार्टाजेना प्रोटोकॉल
  • आनुवंशिक संसाधनों (Genetic Resources) को प्राप्‍त करने एवं उनसे मिले लाभों के समुचित व निष्‍पक्ष बंटवारे से संबंधित है – नगोया प्रोटोकॉल
  • प्रथम विश्‍व जलवायु सम्‍मेलन – 1979
  • प्रथम पृथ्‍वी शिखर सम्‍मेलन – एजेंडा-21
  • एनेक्‍स-1 के विकसित देश गैर-एनेक्‍स-1 देखों में स्‍वच्‍छ विकास युक्ति परियोजनाएं कार्यान्वितकर प्राप्‍त कर सकते हैं – कार्बन क्रेडिट
  • CDM के अंतर्गत कार्यान्वित होने वाली एनेक्‍स-1 के देशों द्वारा कार्यान्वित की जाती है परन्‍तु इन परियोजनाएं को गैर-एनेक्‍स-1 विकासशील देशों में किया जाता है – क्रियान्वित
  • UNFCCC के क्‍योटो प्रो‍टोकॉल की धारा 12 के अंतर्गत वर्णित है –स्‍वच्‍छ विकास युक्ति (C.D.M. Clean Development Mechanism)
  • ‘बायोकार्बन फंड इनिशिएटिव फॉर सस्‍टेनेबल फॉरेस्‍ट लैंडस्‍केप्‍स’ (Biocarbon Fund Initiative for Sustainable Forest Landscapes) का प्रबंधन करता है – विश्‍व बैंक
  • ‘बायोकार्बन फंड इनिशिएटिव फॉर सस्‍टेनेबल फॉरेस्‍ट लैंडस्‍केप्‍स’ एक बहुपक्ष्‍ीय कोष है, यह कोष स्‍थलीय क्षेत्र (Land Sector) से कमी करने को बढ़ावा देता है – ग्रीनहाउस गैस उत्‍सर्जनों में
  • यह सरकारों, व्‍यवसायों, नागरिक समाज और देशी जनों (इंडिजिनस पीपल्‍स) की एक वैश्विक भागीदारी है, यह देशों की, उनके वनोन्‍मूलन और वन निम्‍नीकरण उत्‍सर्जन कर करने (रिड्यूसिंग एमिसन्‍स फ्रॉम डीफॉरेस्‍टेशन एंड फॉरेस्‍ट डिग्रेडेशन+) (REDD+) प्रयासों में वित्‍तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान कर मदद करती है – वन कार्बन भागीदारी सुविधा (फॉरेस्‍ट कार्बन पार्टनरशिप फेसिलिटी)
  • वन कार्बन भागीदारी सुविधा विश्‍व बैंक का एक कार्यक्रम है, जो प्रारंभ हुआ था – जून, 2008 में
  • पृथ्‍वी शिखर सम्‍मेलन प्‍लस-5 – 1997
  • क्‍योटो प्रोटोकॉल के तहत पर्यावरण में कार्बन उत्‍सर्जनों को कम करने के लिए लागू की गई थी – कार्बन क्रेडिट प्रणाली
  • अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कार्बन क्रेडिट का क्रय-विक्रय किया जाता है – उनके वर्तमान बाजार मूल्‍य के अनुसार
  • ‘कार्बन क्रेडिट’ का दृष्टिकोण शुरू हुआ – क्‍योटो प्रोटोकॉल से
  • ‘आईपीसीसी’ (Intergovernmental Panel on Climate Change) द्वारा प्रकाशित “Assessing Key Vulnerablilities and the risk from Climate Change” नामक रिपोर्ट के अनुसार, यदि विश्‍व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्‍तर से 20C बढ़ जाता, तो पृथ्‍वी के पारिस्थितिकी तंत्र का रूपां‍तरित हो जाएगा – 1/6 भाग
  • यदि विश्‍व का तापमान पूर्व-औद्योगिक स्‍तर से 30C से अधिक बढ़ जाता है तो स्‍थलीय जीवमंडल एक नेट कार्बन स्रोत्र की ओर प्रवृत्त होगा, साथ ही विलुप्‍त होने की कगार पर पहुंच जाएगी – 30% तक ज्ञात प्रजातियां
  • पिछली शताब्‍दी में पृथ्‍वी के औसत तापमान में वृद्धि देखी गई है – 80C की
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह है कि विश्‍व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्‍तर पर 20C से अधिक नहीं बढ़ना चाहिए। यदि विश्‍व तापमान पूर्व-औद्योगिक स्‍तर से 30C के परे बढ़ जाताहै, तो विश्‍व पर उसका संभावित असर होगा – स्‍थलीय जीवमंडल एक नेट कार्बन स्रोत्र की ओर प्रवृत्‍त होगा तथा विस्‍तृत प्रवाल मर्त्‍यता घटित होगी
  • जलवायु परिवर्तन के खगोलीय सिद्धांतों से संबंधित है – पृथ्‍वी की कक्षा की उत्‍केंद्रता (अंडाकार कक्षीय मार्ग), पृथ्‍वी की घूर्णन अक्ष की तिर्यकता (झुकाव), विषुवअयन (पृथ्‍वी की सूर्य से अपसौर या उपसौर की स्थिति)
  • जलवायु परिवर्तन से संबंधित सिद्धांत दिए जो कि पृथ्‍वी की लंबी अवि‍ध्‍ा के कक्ष्‍ीय स्थिति से संबंधित है – मिलुटिन मिलान्‍को‍विच (Milutin Milankovitch) ने
  • पृथ्‍वी का धुरी पर अवस्‍था बदलना जलवायु परिवर्तन के लिए एक कारण है, यह कथन है – मिलुटिन मिलान्‍को‍विच
  • हाल के वर्षों में मानव गतिविधियों के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्‍साइड की सांद्रता में बढ़ोतरी हुई है, किंतु उसमें से बहुत-सी वायुमंडल के निचले भाग में नहीं रहती, क्‍योंकि – समुद्रों में पादप प्‍लवक प्रकाश संश्‍लेशनकर लेते हैं
  • यदि किसी महासागर का पादप प्‍लवक किसी कारण से पूर्णतया नष्‍ट हो जाए, तो इसका प्रभाव होगा –कार्बन सिंक के रूप में महासागर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा एवं महासागर की खाद्य श्रृंखला पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
  • भारत सरकार की जलवायु कार्य योजना (क्‍लाइमेट एक्‍शन प्‍लान) के आठ मिशन में सम्मिलित नहीं है –आण्विक ऊर्जा
  • ग्‍लोबीय तापवृद्धि का सबसे महत्‍वपूर्ण परिणाम यह है कि इससे ध्रुवीय बर्फ की टोपियों के पिघलने के बाद वृद्धि होगी – समुद्र की सतह में
  • ग्‍लोबीय तावृद्धि से विश्‍व के समस्‍त द्वीप डूब जाएंगे – मूंगे के
  • यह सम्‍भावना है कि 2044 ई. तक फिजी डूब जाएगा और समुद्र तल के बढ़ने से इसी वर्ष तक एक गंभीर संकट छा जाएगा – नीदरलैंड्स पर
  • जलवायु परिवर्तन का क्रायोजेनिक संकेतक प्राप्‍त किया जाता है – आइस कोर से
  • किसी ग्‍लेशियर या बर्फ की चादर को छेदकर प्राप्‍त किया गया, एक बेलनाकार नमूना है – हिम तत्‍व (Ice Core)
  • भारत की जलवायु परिवर्तन पर प्रथम राष्‍ट्रीय क्रिया योजना प्रकाशित हुई –2008 ई.में
  • वैश्विक जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में जो पद्धतियां मृदा में कार्बन प्रच्‍छादन/संग्रहण में सहायक है –समोच्‍च बांध, अनुपद सस्‍यन एवं शून्‍य जुताई
  • युनाइटेड नेशन्‍स फ्रेमवर्क कन्‍वेन्‍शन ऑन क्‍लाइमेट चेंज (UNFCCC) एक अंतरराष्‍ट्रीय संधि है, जिसकागठन हुआ था – रियो डि जनेरियोमें 1992 में संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के पर्यावरण और विकास सम्‍मेलन (यू एन कॉन्‍फेरेंस ऑन एन्‍वायरनमेंट ऍण्‍ड डेवलपमेंट) में
  • अभीष्‍ट राष्‍ट्रीय निर्धारित अंशदान (Intended Nationally Determined Contributions) पद को कभी-कभी समाचारों में जिस संदर्भ में देखा जाता है, वह है – जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए विश्‍व के देशों द्वारा बनाई गई कार्ययोजना
  • IPCC के अनुसार, वर्ष 1900-2100 के बीच समुद्र सतह में वृद्धि का अनुमान है –33 से 0.45 मीटर वृद्धि का
  • मैनचेस्‍टर विश्‍वविद्यालय के वैज्ञानिकोंने हाल में भू-अभियंत्रण द्वारा पैसिफिक महासागर के ऊपर ‘चमकीले बादल’ उत्‍पन्‍न कर ग्‍लोबल वॉर्मिंग के बढ़ने पर रोक लगाने का सुझाव दिया है। इसकी पूर्तिके लिए वातावरण में छिड़का जाता है – समुद्री जल
  • डरबन में आयोजित जलवायु परिवर्तन सभा में स्‍थापना हुई थी – हरित जलवायु कोष (जी.सी.एफ.) की
  • विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन का सामना करने हेतु अनुकूलन और न्‍यूनीकरण पद्धतियों में सहायता देने के आशय से बनी है – हरित जलवायु निधि (ग्रीन क्‍लाइमेट फंड)
  • विश्‍व का पहला देश जिसने भूमंडलीय तापनके प्रतिकरण के लिए कार्बन टैक्‍स लगाने का प्रस्‍ताव रखा – न्‍यूजीलैंड
  • भारत की कार्ययोजना के तहत वृक्ष लगाकर कार्बन सिंक को बढ़ावा देना, प्रदूषण उपशमन, स्‍वच्‍छ ऊर्जा विशेषकर नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना, ऊर्जा दक्षता को बढ़ाना इत्‍यादि शामिल हैं – आईएनडीसीसी के लक्ष्‍यों में
  • कानकुन सम्‍मेलन में प्रावधान किया गया – एक ‘हरित जलवायु कोष’ (GCF) का
  • ओजान परत मुख्‍यत- जहां अवस्थित रहती है, वह है – स्‍ट्रेटोस्‍फीयर
  • स्‍ट्रेटोस्‍फीयर (समतापमंडल) के निचले हिस्‍से में पृथ्‍वी से लगभग 10 से 50 किमी की ऊँचाई पर अवस्थित रहती है – ओजोन परत
  • ओजोन परत पृथ्‍वी से करीब ऊँचाई पर है –20 किलोमीटर
  • क्‍लोरोफ्लोरोकार्बन के लिए सत्‍य नहीं है – यह ‘ग्रीन हाउस‘ प्रभाव में योगदान नहीं देती है
  • क्‍लोरीन, फ्लोरीन एवं कार्बन के मानव निर्मितयौगिक हैं – CFC
  • बड़े पैमाने पर चावल की खेती के कारण कुछ क्षेत्र संभवतया वैश्विक तापन में योगदान दे रहे हैं। इसके लिए कारण जिनको उत्‍तरदायी ठहराया जा सकता है – चावल की खेती से संबद्ध अवायवीय परिस्थितियां मेथेन के उत्‍सर्जन का कारक हैं, जब नाइट्रोजन आधारित उर्वरक प्रयुक्‍त किए जाते हैं, तब कृष्‍ट मृदा से नाइट्रस ऑक्‍साइड का उत्‍सर्जन होता है।
  • एशिया-पैसिफिक संघ के सदस्‍यों के संबंध में सही है – वे विश्‍व की 48% ऊर्जा का उपयोग करते हैं, वे विश्‍व की 48% हरित गृह गैसों के निस्‍सारण के लिए उत्‍तरदायीहैं, वे क्‍योटो प्रोटोकॉल को समर्थन देना चाहते हैं।
  • ओजोन परत मानव के लिये उपयोगी है, क्‍योंकि – वह सूर्य की अल्‍ट्रावायलेट किरणों को पृथ्‍वी पर नहीं आने देती
  • वायुमंडल में उपस्थित ओजोन परत अवशोषित करती है – अल्‍ट्रावायलेट किरणों को
  • सूर्य से आने वाला हानिकारक पराबैंगनी विकिरण कारण हो सकता है –त्‍वचीय कैंसर का
  • अधिक समय तक सूर्य के पराबैंगनी विकिरण के शरीर पर पड़ने पर हो सकता है – डीएनए में आनुवांशिक उत्‍परिवर्तन
  • ‘ओजोन परत संरक्षण दिवस’ मनाया जाता है – 16 सितंबर को
  • ओजोन छिद्र के लिए उत्‍तरदायी है – CFC
  • वायुमंडल में उपस्थित ओजोन द्वारा जो विकिन अवशोषित किया जाता है, वह है – पराबैंगनी
  • ऑक्‍सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली एक गैस है – ओजोन (O3)
  • ऊपरी वायुमंडल में ओजोन परत के रूप में पृथ्‍वी पर जीवन को बचाती है – अल्‍ट्रावायलेट किरणों से
  • ओजोन परत को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाला प्रदूषक है – क्‍लोरोफ्लोरोकार्बन
  • वायुमंडल में जिसकी उपस्थिति से ओजोनास्फियर में ओजोन परत का क्षरण होता है –क्‍लोरोफ्लोरोकार्बन
  • ओजोनपरत की क्षीणता के लिए उत्‍तरदायी नहीं है – विलायक के रूप में प्रयुक्‍त मेथिल क्‍लोरोफार्म
  • ओजोनपरत की क्षीणता के लिए उत्‍तरदायी गैसें हैं – सीएफसी, हैलोजन्‍स, नाइट्रस ऑक्‍साइड,ट्राइक्‍लोरोएथिलीन, हैनोन-1211, 1301
  • वह ग्रीन आउस र्गस जिसके द्वारा ट्रोपोस्फियर में ओजोन प्रदूषण नहीं होता है – कार्बन मोनो ऑक्‍साइड
  • ओजोन छिद्र का निर्माण सर्वाधिक है – अंटार्कटिका के ऊपर
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल जिसके रक्षण से संबंधित है, वह है – ओजोन परत
  • क्‍लोरीन, फ्लोरीन एवं ऑक्‍सीजन से बना मानव निर्मित गैसीय व द्रवीय पदार्थ है जो कि रेफ्रिजरेटर तथा वातानुकूलित यंत्रों में शीतकारक के रूप में प्रयोग किया जाता है – क्‍लोरोफ्लोरोकार्बन
  • वायुमंडल के ध्रुवीय भागों में ओजोन का निर्माण धीमी गति से होता है। अत: ओजोन के क्षरण का प्रभाव सर्वाधिक परिलक्षित होता है – ध्रुवों के ऊपर
  • 0 डिग्री C तथा 1 atm दाब पर शुद्ध ओजोन की 01 मिमी की मोटाई के बराबर होता है – 1 डॉबसन यूनिट
  • क्‍लोरोफ्लोरोकार्बन, जो ओज़ोन-ह्रासक पदार्थो के रूप में चर्चित हैं, उनका प्रयोग होता है – सुघट्य फोम के निर्माण में, ऐरोसॉल कैन में दाबकारी एजेंट के रूप में तथा कुछ विशिष्‍ट इलेक्‍ट्रॉनिक अवयवों की सफाई करने में
  • एक अत्‍यधिक स्‍थायी यौगिक जो वायुमंडल में 80 से 100 वर्षों तक बना रह सकता है –क्‍लोरोफ्लोरोकार्बन
  • क्‍लोरोफ्लोरोकार्बन, हैलोन्‍स तथा कार्बन टेट्राक्‍लोराइड तीनों ही पदार्थ हैं –ओजोन रिक्तिकारक
  • सीएफसी, हैलोन्‍स तथा अन्‍य ओजोन रिक्तिकराण रसायनों जैसे कार्बन टेट्राक्‍लोराइड के उत्‍पादन पर रोक लगाई गई है – मांट्रियल प्रोटोकॉल के अनुसार
  • 1 जनवरी, 1989 से प्रभावी हुआ था – मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
  • मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल संबंधित है – ओजोन परत के क्षय को रोकने से
  • ‘मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल’ संबंधित है –क्‍लोरोफ्लोरोकार्बन से
  • समतापमंडल में ओजोनके स्‍तर को प्राकृतिक रूप से विनियमित किया जाता है –नाइट्रोजन डाइऑक्‍साइड द्वारा
  • ओजोन परत की मोटाई मौसम के हिसाब से बदलती रहती है। बसंत ऋतु में इसकी मोटाई सबसे ज्‍यादा होती है तथा वर्ष ऋतु में रहती है – सबसे कम
  • ओजोन परत को मापा जाता है – डॉबसन इकाई (Dobson Unit-DU) में
  • प्रशीतक के रूप में बड़े संयंत्रों में प्रयुक्‍त होती है – अमोनिया
  • सर्वप्रथम वर्ष 1985 में ‘टोटल ओज़ोन मैपिंग स्‍पेक्‍ट्रोमीटर’ की मदद से अंटार्कटिका के ऊपर ओज़ोन छिद्र का पता लगाया था – ब्रिटिश दल ने
  • तिब्‍बत पठार के ऊपर वर्ष 2005 में ‘ओज़ोन आभामंडल’ (ओजोन हैलो) का पता लगाया – जी.डब्‍ल्‍यू. केंट मूर ने
  • मनुष्‍यों में खांसी, सीने में दर्द उत्‍पन्‍न करने के साथ-साथ फेफड़ों को भी क्षति पहुंचा सकता है – O3 का उच्‍च सांद्रण
  • अंटार्कटिक क्षेत्र में ओजोन छिद्र का बनना चिंता का विषय है। इस छिद्र के बनने का संभावित कारण है –विशिष्‍ट ध्रुवीय वाताग्र तथा समतापमंडलीय बादलों की उपस्थिति तथा क्‍लोरोफ्लोरोकार्बनों का अंतर्वाह
  • ऐसा माध्‍यम जहां क्‍लोरीन यौगिक ओजोन परत का विनाश करने वाले क्‍लोरीन कणों मे परिवर्तित हो जाते हैं – ध्रुवीयसमतापमंडलीय बादल
  • फ्रिजों में जो गैस भरी जाती है, वह है – मेफ्रोन
  • जिस पारिस्थितिकीय तंत्र में पौधों का जैविक पदार्थ अधिकतम है, वह है – उष्‍ण्‍ाकि‍टबंधीय वर्षा वन
  • अधिकतम पादप विविधता पाई जाती है – उष्‍णकटिबंधीय सदाबहार वनों में
  • यदि हम घडि़याल को उनके प्राकृतिक आवास में देखनाचाहते हैं, तो जिस स्‍थान पर जाना सही होगा, वह है – चंबल नदी
  • भारत में यदि कछुए की एक जाति का वन्‍य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची । के अंतर्गत संरक्षित घोषित किया गया हो तो इसका निहितार्थ है कि – इसे संरक्षण का वही स्‍तर प्राप्‍त है, जैसा कि बाघ को
  • सूर्य के उच्‍च आवृत्ति के पराबैंगनी प्रकाश की 93-99 प्रतिशत मात्रा अवशोषित कर लेती है (जो पृथ्‍वी पर जीवन के लिए हानिकारक है) – ओजोन परत
  • ओज़ोन का अवक्षय करने वाले पदार्थों के प्रयोगपर नियंत्रण करने और उन्‍हें चरणबद्ध रूप से प्रयोग-बाह्य करने (फेजि़ंग आउट) के मुद्दे से संबंद्ध हैं – मॉनिट्रयल प्रोटोकॉल
  • चमोली के रैणी गांव में वन-कटाई के विरोध में आंदोलन चलाया गया – गौरा देवी के नेतृत्‍व में
  • झारखंड राज्‍य में जंगलों को ‘सुरक्षित वन’ के रूप में वर्गीकृत करने का उद्देश्‍य है – बिना अनुमति सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध
  • भारत का वह राज्‍य जहां सर्वप्रथम ‘मुख्‍यमंत्रीजन वन योजना’ का प्रारंभी किया गया – झारखंड
  • सदाबहार वन पाए जाते हैं – पश्चिमी घाट में
  • उत्‍तर-पूर्व भारत और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के 200 सेमी से अधिक औसत वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाया जाता है – उष्‍णकटिबंधीय सदाबहार वनों का विस्‍तार
  • विषुवतीय-वनों की अद्वितीय विशेषता/विशेषताएं हैं – ऊँचे, घने वृक्षों की विद्यमानता जिनके कीरीट निरंतर वितान बनाते हों, बहुत-सी जातियों का सह-अस्तित्‍व हो, आधिपादपों की असंख्‍य किस्‍मों की विद्यमानता हो।
  • वन्‍य जीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 के अनुसार किसी व्‍यक्ति द्वारा, विधि द्वारा किए गए कतिपय उपबंधों के अधीन होने के सिवायजिस प्राणी का शिकार नहीं किया जा सकता, वह है – घडि़याल, भारतीय जंगली गधा एवं जंगली भैंस
  • जलवायु के प्रमुख घटक जो झारखंड राज्‍य के वन के क्षेत्र की जलवायु को प्रभावित कर रहे हैं – जंगल की आग
  • राष्‍ट्रीय वन नीति (1952) के अनुसार, जो वन का संवर्ग नहीं है – राष्‍ट्रीय उद्यान
  • वनों को वर्गीकृत किया गया है – (i) संरक्षित वन (ii) राष्‍ट्रीय वन (iii) ग्राम वन एवं (iv) वृक्ष-भूमि (Tree-Lands) – राष्‍ट्रीय वन नीति (1952) के अनुसार
  • देहरादून स्थित भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग उपग्रह चित्रण के माध्‍यम से ‘वन‍ स्थिति रिपोर्ट’ (The State of Forest Report) जारी करता है – प्रत्‍येक दो वर्ष पर
  • भारत में निर्वनीकरण का प्रभाव नहीं है – नगरीकरण
  • जो एक बार उपयोग होने के बाद पुन: उपयोग में लाए जा सकते हैं – नवीकरणीय संसाधन
  • वनों से पर्यावरण की गुणवत्‍ता बढ़ती है, क्‍योंकि वन पर्यावरण से कार्बन डायऑक्‍साइड का अवशोषण कर मुक्‍त करते हैं – ऑक्‍सीजन
  • विषुवतीय वन ऐसे उष्‍ण कटिबंध क्षेत्रों में मिलते हैं, जहां वर्षा होती है – 200 सेंमी से अधिक
  • विश्‍व भर की लगभग 80 प्रतिशत जैव-विविधता पाई जाती है – विषुवतीय वनों में
  • भारत में उपयुक्‍त पारिस्थितक संतुलन बनाए रखने के लिए वनाच्‍छादन हेतु न्‍यूनतम संस्‍तुत भूमि क्षेत्र है –33% 
  • राष्‍ट्रीय वन नीति में भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र के जितने प्रशित पर वन रखने का लक्ष्‍य है, वह है – एक तिहाई
  • मैंग्रोव वनस्‍पतियों का विकास अधिकांशत: होता है – तटों के सहारे
  • भारत में मैंग्रोव (ज्‍वारीय वन) वनस्‍पति मुख्‍यत: पाई जाती है – सुंदरबन में
  • ये डेल्‍टा प्रदेशों तथा समुद्र के ज्‍वार वाले भागों में होते हैं तथा इन्‍हें मैंग्रोव वनस्‍पति के नाम से भी जाना जाता है – ज्‍वारीय वन
  • मैंग्रोव वनस्‍पति का सर्वाधिक क्षेत्र सुंदरबन डेल्‍टा में पाया जाता है। यहांके वनों में विशेष रूप से उल्‍लेखनीय है – सुंदरी वृक्ष
  • एक संरक्षित कच्‍छ-वनस्‍पति क्षेत्र है – गोवा
  • भारत में मैंग्रोव वन, सदापर्णी वन और पर्णपाती वनों का संयोजन है – अंडमान और निकाबार द्वीपसमूह में
  • विकास के चरण के आधार प प्राकृतिक संसाधनों को निम्‍न समूहों में विभाजित किया जा सकता है – संभाव्‍य संसाधन, वा‍स्‍तविक संसाधन, आरक्षित संसाधन, स्‍टॉक संसाधन
  • जो एक क्षेत्र में स्थित हैं तथा भविष्‍य में भी प्रयोग में लाए जा सकते हैं – संभाव्‍य संसाधन
  • जिनका सर्वेक्षण किया गया है तथा उनकी मात्रा एवं गुणवत्‍ता का पता लगाया गया है और जिनका वर्तमान समय में प्रयोग किया जा रहा है – वास्‍तविक संसाधन
  • राष्‍ट्रीय सुदूर संवेदन अभिकरण (NRSA) प्रणाली से चित्रित वह भू क्षेत्र, जो वास्‍तव में वनाच्‍छादित होता है, कहलाता है – वनावरण
  • भारत में वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 लागू होने की तिथि है – 25 अक्‍टूबर, 1980
  • भारतीय वन्‍य जीव संस्‍थ्‍ज्ञान स्थित है – देहरादून में
  • वन अनुसंधान संस्‍थान स्‍थापित है – देहरादून में
  • वन अनुसंधान संस्‍थान की स्‍थापना उत्‍तराखंड के देहरादून जिले में की गई थी – वर्ष 1906 में
  • पर्यावरण से संबंधित है – विज्ञान और पर्यावरण केंद्र, भारतीय वनस्‍पति सर्वेक्षण संस्‍थान, भारतीय वन्‍यजीव संस्‍थान
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन राष्‍ट्रीय सर्वेक्षण और मानचित्रण के लिए भारत सरकार का एक प्राचीनतम विभाग है – भारतीय सर्वेक्षण विभाग
  • नागालैंड के पर्वत क्रमश: बंजर होते जा रहे हैं, उसका प्रमुख कारण है – झूम कृषि
  • वह राज्‍य जिसके द्वारा ‘अपना वन अपना धन’ योजना प्रारंभ की गई है – हिमाचल प्रदेश
  • भारत में वन्‍य जीव संरक्षण अधिनियम लागू किया गया था – वर्ष 1972 में
  • वन्‍य जीवों की तस्‍करी, अवैध शिकार से रक्षा एवं संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा पारित किया गया था – वन्‍यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972
  • भारत में वन संरक्षण अधिनियम कब पारित किया गया – वर्ष 1980 में
  • इसका वैज्ञानिक नाम ‘Ailuropoda melanoleuca’ है। इसका निवास स्‍थान मुख्‍यत: शीतोष्‍ण चौड़ी पत्‍ती वाले और मिश्रित वनों में मिलता है – जाइन्‍ट पाण्‍डा (Giant Panda)
  • गैवियलिस (घडि़याल) बहुतायत में पाया जाता है – गंगा में
  • घडि़याल (Gavialis) एक प्रजाति है – मगरमच्‍छ (Crocodilia) कुल की
  • भारत में पाए जोन वाला मगरमच्‍छ तथा हाथी हैं – संकटापन्‍न जातियां
  • ‘चिपको’ आंदोलन मूल रूप से विरुद्ध था – वन कटाई के
  • चिपको आंदोलन का नेता माना जाता है – सुंदरलाल बहुगुणा को
  • देश भर में वनों के विनाश के विरुद्ध हुए संगठित प्रतिरोध को चिपको आंदोलन का नाम दिया गया था –1970 के दशक में
  • जे.आर.बी. अल्‍फ्रेड (J.R.B.Alfred) की पुस्‍तक फॉनल डाइवर्सिटी इन इंडिया (Faunal Diversity in India) के अनुसार विश्‍व के कुल जंतु प्रजातियों (Animal Species) की संख्‍या का भारत में पाया जाता है – 28% भाग
  • भारत की सबसे बड़ी मछली है – व्‍हेल शार्क
  • यह भारत की ही नहीं पूरे विश्‍व की सबसे बड़ी मछली है तथा यह 50 फुट तक लंबी हो सकती है – व्‍हेल शार्क
  • वर्ल्‍ड वाइल्‍डलाईफ फंड (WWF) का प्रतीक जानवर है – जाइन्‍ट पाण्‍डा
  • राजीव गांधी वन्‍य जीव संरक्षण पुरस्‍कार दिया जाता है – शैक्षिक तथा शोध संस्‍थाओं, वन एवं वन्‍य जीव अधिकारियों तथा वन्‍य जीव संरक्षकों को
  • ‘नेशनल ब्‍यूरो ऑफ प्‍लांट जेनेटिक रिसोर्सेस’ स्थित है – नई दिल्‍ली में
  • पेड़-पौधों एवं जंतुओं की सर्वाधिक विविधता विशेषता है – ऊष्‍णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन
  • उष्‍ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन ऐसे क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां वर्षा होती है – 100 सेमी से 200 सेमी के मध्‍य
  • ‘चिपको’ आंदोलन के प्रणेता हैं – चंडीप्रसाद भट्ट
  • भारत में वन्‍य जीव सप्‍ताह मनाया जाता है – 2 से 8 अक्‍टूबर के मध्‍य
  • विश्‍व संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा के 68वें वार्षिक सत्र के दौरान प्रतिवर्ष ‘विश्‍व वन्‍य जीव दिवस’ (World Wildlife Day) के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया – 3 मार्च को
  • पगमार्क तकनीक का प्रयोग किया जाता है – विभिन्‍न वन्‍य जन्‍तुओं की जनसंख्‍या के आंकलन के लिए
  • वन ह्रास का मुख्‍य कारण है – औद्योगिक विकास
  • अमेजन वर्षा वन ‘पृथ्‍वी ग्रह के फेफड़ों’ के रूप में जाना जाता है क्‍योंकि इनकी वनस्‍पति लगातार कार्बन डाइऑक्‍साइडको अवशोषित कर मुक्‍त करती रहती है – आक्‍सीजन को
  • पृथ्‍वी की 20 प्रतिशत से अधिक ऑक्‍सीजन उत्‍पादित होती है – अमेजन वर्षा वनों द्वारा
  • वह महाद्वीप जिसमें उष्‍णकटिबंधीय पर्णपाती वनों का विस्‍तार अधिक है – एशिया
  • मानसूनी वन कहते हैं –उष्‍टकटिबंधीय पर्णपाती वनों को
  • समाचारों में कभी-कभी दिखाई देने वाले’रेड सैंडर्स’ (Red Sanders) – दक्षिण भारत के एक भाग में पाई जाने वाली एक वृक्ष जाति है।
  • बांस, शीशम, चंदन इत्‍यादित अन्‍य व्‍यावसायिक रूप से महत्‍वपूर्ण वृक्षप्रजातियां पाई जाती है –उष्‍णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन में
  • ये चौड़ी पत्तियों वाले नमी-युक्‍त वन हैं, जो दक्षिण अमेंरिका के अमेजन बेसिन के एक बड़े भू-भाग पर फैले हैं – अमेज़न वर्षा वन
  • मरुस्‍थलीकरण को रोकने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र अभिसमय (United Nations Convention to Combat Desertification) का/के क्‍या महत्‍व है/हैं – इसका उद्देश्‍य नवप्रवर्तनकारी राष्‍ट्रीय कार्यक्रमोंएवं समर्थक अंतरराष्‍ट्रीय भागीदारियों के माध्‍यम से प्रभावकारी कार्यवाही को प्रोत्‍साहित करनाहै,यह मरुस्‍थलीकरण को रोकने में स्‍थानीय लोगों की भागीदारी को प्रोत्‍साहित करने हेतु ऊर्ध्‍वगामी उपागम (बॉटम-अप अप्रोच) के लिए प्रतिबद्ध है।
  • इसका वैज्ञानिक नाम टेरोकार्पस सेंटेलिनस (Pterocarpus santalinus) है। यह पेड़ आंध्रप्रदेश के पालकोंडा व सेशाचलम पर्वत श्रेणियों में मुख्‍यतया पाया जाता है। इसकी लकड़ी सफेद होती है जो कालांतर में लाल रंग के चिपचिपे रस के स्राव के कारण लाल हो जाती है – रेड सैंडर्स (रक्‍त चंदन) Environment Notes For Prathmik Shikshak Samvida Varg 3
  • आयुर्वेद व सिद्धा दवाइयों को बनाने में, पूजा सामग्री में एवं पारंपरिक खिलौनों को बनाने में किया जाता है – रेड सैंडर्स का प्रयोग
  • राष्‍ट्रीय वन नीति के मुख्‍य उद्देश्‍य क्‍या थे – सामाजिक वानिकीको प्रोत्‍साहन देना, देश की कुल भूमि का एक-तिहाई वनाच्‍छादित करना
  • चीन, भारत, इंडोनेशिय तथा जापान में से जिसके भौगोलिक क्षेत्र का उच्‍चतम प्रतिशत वनाच्‍छादित है –जापान का
  • कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 70% भाग पर वन बनाए रखने का संवैधानिक प्रावधान है – भूटान में
  • एल्‍यु‍मीनियम को इसके पर्यावरणीय हितैषी स्‍वरूप और नवीकरणीय योग्‍य होने के कारण कहा जाता है –हरी धातु
  • पूर्वी दक्‍कन पठान में प्रमुखतया पाए जाते हैं – शुष्‍क सदाबहार वन
  • मरुस्‍थलीकरण को रोकने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र अभिसमय (United Nations Convention to Combat Desertification) की स्‍थापना की गई थी – वर्ष 1994 में
  • यह अकेला काूनन बाध्‍यकारी समझौता है, जो संयुक्‍त रूप से पेश करता है – पर्यावरण एवं विकास तथा टिकाऊ भूमि प्रबंधन को
  • भारत में जो नगर वृक्षारोपण में विशिष्‍टता रखता है – वालपराई
  • वालपराई नगर स्थित है – कोयंबटूर जिले में
  • वर्ष 2004 की सुनामी ने लोगों को यह महसूस करा दिया कि गरान (मैंग्रोव) तटीय आपदाओं के विरूद्ध विश्‍वसनीय सुरक्षा बाड़े का कार्य कर सकते हैं। गरान सुरक्षा बाड़े के रूप में जिस प्रकार कार्य करते हैं, वह है – गरान के वृक्ष अपनी सघन जड़ों के कारण तूफान और ज्‍वारभाटे से नहीं उखड़ते
  • चक्रवात अवरोधक के रूप में कार्य करते हैं – मैंग्रोव वन
  • ओडि़शा के केंद्रपाड़ा जिले में ब्राह्मणी, वैतरणी और महानदी डेल्‍टा क्षेत्र में स्थित है – भितरकनिका गरान
  • यह मैंग्रोव वनों के लिए प्रसिद्ध है। यह एक रामसर स्‍थल (वर्ष 2002 में घोषित) भी है – भितरकनिका गरान
  • ”वाणिज्यिक दृष्टि से लाभप्रद वृक्षों की एकपादप (Monoculture) कृषि …. की अनुपम प्राकृतिक छटा को नष्‍ट कर रही है। इमारती लकड़ी का विचारशून्‍य दोहन, ताड़ रोपन के लिए विशाल भूखंडोंका निर्वनीकरण,मैंग्रोवों का विनाश, आदिवासियों द्वारा लकड़ी की अवैध कटाईऔर अनाधिकार आखेट समस्‍या को अधिक ही जटिल बनाते हैं। अलवण जल को‍टरिकाएं (Fresh water pockets) त्‍वरित गति से सूख रही हैं, क्‍योंकि निर्वनीकरण और मैंग्रोवों का विनाश हो रहा है” इस उद्धरण में निर्देशित स्‍थान है – सुंदरवन
  • यूकेलिप्‍टस वृक्ष को कहा जाता है – पारिस्थितिक आतंकवादी
  • ये उष्‍ण कटिबंधीय जलवायु क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये मुख्‍यत: मध्‍य एवं दक्षिणी अमेरिका के सदाबहार वनों में पाए जाते हैं – स्‍पाइडर वानर
  • भारतीय प्राणिजात जो संकटापन्‍न हैं – घडि़याल, चर्मपीठ कूर्म (लेदरबैंक टर्टल) तथा अनूप मृग
  • भारत में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं – ताराकुछुआ, मॉनीटर छिपकली तथा वामन सुअर
  • भारत में पाई जाने वाली नस्‍ल ‘खाराई ऊँट’ के बारे में अनूठा क्‍या है –यह समुद्र-जल में तीन किमी तक तैरने में सक्षम है, यह मैंग्रोव (Mangroves) की चराई पर जीता है।
  • सही कथन हैं – टैक्‍सस वृक्ष हिमालय में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है, टैक्‍सस वृक्ष रेड डाटा बुक में सूचीबद्ध है, टैक्‍सस वृक्ष से ‘टैक्‍सॉल‘ नाम औषध प्राप्‍त की जाती है, जो पार्किन्‍सन रोग के विरुद्ध प्रभावी है।
  • सही कथन है – विश्‍व वन्‍य जीवन कोष की स्‍थापना 1961 में हुई, जुलाई, 2000 में उड़ीसा के नन्‍दन वन अभ्‍यारण्‍य में 13 शेरों की मृत्‍यु का कारण ट्राइपनासोमिएसिस रोग रहा, भारत का सबसे बड़ा जीवनशाला कोलकाता में अवस्थित है।
  • अमृता देवी स्‍मृति पुरस्‍कार दिया जाता है – वन एवं वन्‍यजीवों की सुरक्षा के लिए
  • विश्‍व बाघ शिखर सम्‍मेलन, 2010 आयोजित किया गया था – पीटर्सबर्ग में
  • विश्‍व का प्रथम बाघ शिखर सम्‍मेलन (Tiger Summit) सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) में आयोजित किया गया था – 21 से 24 नवंबर, 2010 में मध्‍य
  • ये ऊँट कच्‍छ (गुजरात) में पाए जाते हैं – खाराई ऊँट
  • इन ऊँटों को संकटग्रस्‍त प्रजाति (Endangered Species) घोषित किया गया है – खाराई ऊँट
  • ये वन जैव-विविधता के संरक्षक होने के साथ समुद्र और तट के बीच महत्‍वपूर्ण कड़ी का काम करते हैं और तट को समुद्र की ओर से आने वाली तीव्र लहरों के विनाश से बचाते हैं – मैंग्रोव (Mangroves)
  • चीड़ इन वनों को मुख्‍य वृक्ष है परंतु अधिक आर्द्रता वाले भागों में बांज या ओक (Oak) जैसे चौड़ी पत्‍ती वाले वृक्ष देखे जाते हैं – उपोष्‍ण कटिबंधीय वन
  • प्रत्‍येक वर्ष कतिपय विशिष्‍ट समुदाय/जनजाति, पारिस्थितक रूप से महत्‍वपूर्ण, मास-भर चलने वाले अभियान/त्‍यौहार के दौरान फलदार वृक्षें की पौध का रोपण करते हैं। वे समुदाय/जनजाति हैं – गोंड कौर कोर्कू
  • नेपाल एवं भारत में वन-जीवन संरक्षण प्रयासों के रूप में ‘सेव’ (SAVE) नामक एक नया संगठन प्रारंभ किया गया है। ‘सेव’ का उद्देश्‍य है संरक्षण करना – टाइगर का
  • टाइगर के खाल का प्रयोग आसन लगाने एवं सौन्‍दर्यीकरण के लिए किया जाता है – तिब्‍बती बौद्धों द्वारा
  • यदि आप हिमलय से होकर यात्रा करते हैं, तो आपको वहां जिन पादपों को प्राकृतिक रूप में उगतेहुए दिखने की संभावना हैं – बांज और बुरूंश
  • भारतीय पशु कल्‍याण बोर्ड देश में पशुओं के कल्‍याण को बढ़ावा देने तथा पशु कल्‍याण कानूनों पर है –एक ‘सांविधिक सलाहकारी निकाय'(Statutory Advisory Body)
  • राष्‍ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एक ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) – पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत
  • भारत की पहली राष्‍ट्रीय वन नीति प्रकाशित की गई – 1894 ई. में
  • भारत के एक विशेष क्षेत्र में, स्‍थ्‍ज्ञानीय लोग जीवित वृक्षों की जड़ों का अनुवर्धन कर इन्‍हें जलधारा के आर-पार सुदृढ़ पुलों में रूपांतरित कर देते हैं। जैसे-जैसे समय गुज़रता है, ये पुल और आधिक और अधिक मज़बूत होते जोते हैं। ये अनोखे ‘जीवित जड़ पुल’ पाए जाते हैं –मेघालय में
  • अगर किसी पेड़ को काटे बिना उससे पुल बना दिया जाए, तो उस पुल को कहते हैं – जीवित पुल या प्राकृतिक पुल
  • 10 प्रतिशत से कम वृक्ष घनत्‍व वालीनिम्‍नस्‍तरीय वन भूमि को वनावरण में शामिल नहींकिया जाता तथा इन्‍हें रखते हैं। – झाड़ी (Scrub) की श्रेणी में
  • ISFR-2017 के अनुसार, देश में झाडि़यों का क्षेत्रफल 45.79 वर्ग किमी है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का है –40 प्रतिशत
  • ISFR-2017 के अनुसार, देश में कुल वनावरण एवं वृक्षावरण देश के कुल भौगोलिक द्वात्र का है –40 प्रतिशत
  • सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाला राज्‍य/संघीय क्षेत्र – लक्षद्वीप
  • स्‍वतंत्र भारत की पहली राष्‍ट्रीय वन नीति तैयार हुई – वर्ष1952 में
  • देश के एक-तिहाई अथवा 33.33 प्रशितश क्षेत्र में (पहाड़ी क्षेत्रों में दो-तिहाई अथवा 66.67 प्रतिशत क्षेत्र में) वन अथवा वृक्षावरण होने आवश्‍यक हैं – राष्‍ट्रीय वन नीति, 1988 के अनुसार
  • जिनका वृक्ष छत्र घनत्‍व 40-70 प्रतिशत के बीच होता है – मध्‍यम सघन वन
  • जिनका वृक्ष छत्र घनत्‍व 10-40 प्रतिशत के मध्‍य होता है – खुले वन
  • ISFR-2017 के अनुसार, क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वनावरण वाले 5 राज्‍य क्रमश: – मध्‍यप्रदेश,अरुणाचल प्रदेश, छत्‍तीसगढ़, ओडिशा एवं महाराष्‍ट्र
  • क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिकवनावरण वाले 5 संघीय क्षेत्र क्रमश: – अंडमान एवं निकोबार, दादरा व नगर हवेली, दिल्‍ली, पुंडुचेरी तथा लक्षद्वीप
  • सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाले 5 राज्‍य/संघ्‍ज्ञीय क्षेत्र क्रमश: – लक्षद्वीप (90.33%), मिजोरम (86.27%), अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह (81.73%), अरुणाचलप्रदेश (79.96%), तथा मणिपुर (77.69%)
  • सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाले भारत के 5 राज्‍य क्रमश: –मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय तथा नागालैंड
  • सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाला राज्‍य – मिजोरम
  • कुल वृक्षावरण एवं वनावरण क्षेत्र की दृष्टि से सर्वाधिक क्षेत्रफल वाले 5 राज्‍य – मध्‍यप्रदेश > अरुणाचल प्रदेश > महाराष्‍ट्र > छत्‍तीसगढ़ > ओडिशा
  • इसी दृष्टि से भौगोलिकक्षेत्र के सर्वाधिक प्रतिशत वाले 4 राज्‍य/संघ्‍ज्ञीय क्षेत्र – लक्षद्वीप > मिजोरम > अंडमान एवं निकाबार > अरुणाचल प्रदेश
  • वृक्षावरण की दृष्टि से ISFR-2017 में सर्वाधिक क्षेत्रफल वाले 5 राज्‍य क्रमश: – महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, मध्‍यप्रदेश, गुजरात तथा जम्‍मू एवं कश्‍मीर
  • न्‍यूनतम क्षेत्रफल वाले 5 राज्‍य क्रमश: – सिक्किम, त्रिपुरा, मणिपुर, गोवा एवं नागालैंड
  • भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में सर्वाधिक वृक्षावरण वाले 5 राज्‍य क्रमश: – गोवा, केरल, गुजरात, झारखंड तथा तमिलनाडु
  • कुल वृक्षावरण एवं वनावरण क्षेत्र की दृष्टि से सर्वाधिक क्षेत्रफल वाले 5 राज्‍य क्रमश: – मध्‍यप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्‍ट्र, छत्‍तीसगढ़ एवं ओडिशा
  • न्‍यूनतम वनावरण क्षेत्र वाले 5 राज्‍य क्रमश: हैं – हरियाणा, पंजाब, गोवा, सिक्किम एवं बिहार
  • न्‍यूनतम वनावरण प्रतिशतता वाले भारत के 5 राज्‍य क्रमश: – हरियाणा, पंजाब, राजस्‍थान, उत्‍तरप्रदेश, गुजरात
  • सर्वाधिक वनावरण प्रतिशतता वाले भारत के 4 संघीय क्षेत्र है क्रमश: – लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार, दादरा एवं नगर हवेली तथा चंडीगढ़
  • लवण सहिष्‍णु वनस्‍पति समुदाय जो विश्‍व के ऐसे उष्‍णकटिबंधीय एवं उपोष्‍ण कटिबंधीय अंत:ज्‍वारीय (Intertidal) क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां वर्षा का स्‍तर 1000-3000 मि‍मी के मध्‍य एवं ताप का स्‍तर 26-350C के मध्‍य हो – मैंग्रोव (Mangrove)
  • ISFR-2017 के अनुसार, भारत में मैंग्रोव आवरण विश्‍व की संपूर्ण मैंग्रोव वन‍स्‍पति का है – लगभग 3.3 प्रतिशत
  • भारत में सर्वाधिक मैंग्रोव आच्‍छादित चार राज्‍य/संघ्‍ज्ञीय क्षेत्र क्रमश: – पश्चिम बंगाल (2114 वर्ग किमी), गुजरात (1140 वर्ग किमी), अंडमान एवं निकाबार द्वीपसमूह (617 वर्ग किमी) तथा आंध्रप्रदेश (404 वर्ग किमी)
  • भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत वाले 4 राज्‍य/संघीय क्षेत्र क्रमश: – लक्षद्वीप (97.00%), मिजोरम (88.49%), अंडमान एवं निकोबार (82.15%), तथा अरुणाचल प्रदेश (80.92%)
  • ISFR-2017 के अनुसार, देश के पहाड़ी जिलों में कुल वनावरण 283,462 वर्ग किमी है, जो कि इन जिलों के भौगोलिक क्षेत्रफल का –22%
  • ISFR-2017 के अनुसार, देश के 14 भू-आकृतिक क्षेत्रों (Physiographic Zones) में क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वृक्षावरण है –मध्‍य उच्‍च भूमियों का
  • उत्‍तर प्रदेश में सर्वाधिक वनावरण क्षेत्र वाले जिले – सोनभग्र, खीरी, मिर्जापुर
  • उत्‍तर प्रदेश में न्‍यूनतम वनावरण क्षेत्र वालेजिले – संत रविदास नगर, मऊ, संत कबीर नगर एवं मैनपुरी
  • उत्‍तर प्रदेश में सर्वाधिक वनावरण प्रतिशत वाले जिले – सोनभद्र, चंदौली, पीलीभीत
  • उत्‍तर प्रदेश में न्‍यूनतम वनावरण प्रतिशत वाले जिले – संत रविदास नगर, मैनपुरी, देवरिया
  • उत्‍तर प्रदेश में कुल वनावरण 14.679 वर्ग किमी हैं, जो राज्‍य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का है –09 प्रतिशत
  • उत्‍तर प्रदेश में कुल वृक्षवरण 7.442 वर्ग किमी है, जो राज्‍य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का है –09 प्रतिशत
  • राज्‍य में कुल वनावरण एवं वृक्षावरण 22.121 वर्ग किमी है, जो कि राज्‍य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का है –18 प्रतिशत
  • चार सर्वाधिक मैंग्रोव आच्‍छादित जिले क्रमश: – दक्षिण चौबीस परगना-प. बंगाल (2084 वर्ग किमी), कच्‍छ-गुजरात (798 वर्ग किमी), उत्‍तरी अंडमान-अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह (425 वर्ग किमी) तथा केंद्रपाड़ा-ओडि़शा (197 वर्ग किमी) हैं।
  • विश्‍व में मैंग्रोव का सर्वाधिक क्षेत्र – एशिया में
  • उत्‍तराखण्‍ड राज्‍य के जिस राष्‍ट्रीय पार्क को वर्ष 2016 में ‘प्रोजेक्‍स टाइगर परियोजना’ के अंतर्गत सम्मिलित किया गया – राजा जी राष्‍ट्रीय पार्क
  • उत्‍तराखण्‍ड के जिस वन्‍यजीव विहार समूह की स्थिति का पश्चिम से पूर्व की ओर का सही क्रम है, वह है –केदारनाथ-नंदा देवी-बिनसर-अस्‍कोट
  • M-STrIPES शब्‍द कभी-कभी समाचारों में जिस संदर्भ में देखा जाता है, वह है – बाघ अभ्‍यारण्‍यों का रख-रखाव
  • हाल ही में कुछ शेरों को गुजरात के उनके प्राकृतिक आवास से जिस एक स्‍थल पर स्‍थानांतरित किए जाने का प्रस्‍ताव हैं, वह है – कुनो पालपुर वन्‍यजीव अभ्‍यारणय
  • वन क्षेत्र के संदर्भ में शीर्ष 3 देश – रूसी संघ, ब्राजील, कनाडा
  • सर्वाधिक मैंग्रोव आच्‍छादित राज्‍य/संघीय क्षेत्र – पश्चिम बंगाल
  • ‘वैश्विक वन संसाधन आकलन’ (GFRA: Global Forest Resources Assessments) के तहत विश्‍व के वनों एवं उनके प्रबंधन की नियमित निगरानी करता है – संयुक्‍त राष्‍ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन(FAO)
  • अंतरराष्‍ट्रीय ‘टाईगर दिवस’ मनायाजाता है – 29 जुलाई को
  • भारत के अधिकांश वन्‍य जीव संरक्षित क्षेत्र घिरे हुए हैं – घने जंगलों से
  • भारत में आज ऐसे कितने राष्‍ट्रीय उद्यान है, जिन्‍हें देश के वन्‍य-प्राणियों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है– 103
  • सरकार की ‘बाघ परियोजना’ का उद्देश्‍य है – भारतीय बाघ को समाप्‍त होने से बचाना
  • भारतीय टाइगरों को बचाने के लिए प्रो‍जेक्‍स टाईगर प्रारंभ किया गया था – वर्ष 1973 में
  • भारती का राष्‍ट्रीय जैविक उद्यान स्थित है – नई दिल्‍ली में
  • पारिस्थितिक दृष्टिकोण से पूर्वी घाटों और पश्चिमी घाटों के बीच एक अच्‍छा संपर्क होने के रूप में जिसकामहत्‍व अधिक है, वह है – सत्‍यमंगलम बाघ आरक्षित क्षेत्र (सत्‍यमंगलम टाइगर रिजर्व)
  • झारखण्‍ड सरकार ने राज्‍य के विभिन्‍न वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍यों में वन्‍यजीव प्रबंधनयोजना शुरूकी है – 10 वर्ष की अवधि के लिए
  • महुआडांर अभ्‍यारण्‍य झारखंड के जिस जिले में है, वह है – लातेहार
  • भारत में सबसे बड़ा बाघ आवास पाया जाता है – आंध्रप्रदेश में
  • एशियाटिक बब्‍बर शेर (Asiatic Lion) का निवास कहां है – गिर वन
  • केवलादेव घाना राष्‍ट्रीय उद्यान जिसे पूर्व में भरतपुर पक्षी अभयारण्‍य के नाम से जाना जाता था, भरतपुर (राजस्‍थान) में स्थित है। यहां की संरक्षित प्रजाति नहीं है – शेर
  • जीवमंडल आरक्षित परिरक्षण क्षेत्र है – आनुवांशिक विभिन्‍नता के
  • भारत सरकार ने अब तक 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रस्‍थापित किए हैं, जिनमें यूनेस्‍को ने जैवमंडल आरक्षित क्षेत्रों के विश्‍व संजाल में सम्मिलित किया है – 10 को
  • भारत में स्‍थापित पहला राष्‍ट्रीय उद्यान है – जिम कॉर्बेट राष्‍ट्रीय उद्यान
  • राजीव गांधी नेशनल पार्क अवस्थित है – कर्नाटक में
  • पेरियार गेम अभ्‍यारण्‍य प्रसिद्ध है – जंगली हाथियों के लिए
  • बेतला राष्‍ट्रीय पार्क की स्‍थापना 1986 में हुई थी– तत्‍कालीन बिहार (वर्तमान झारखंड) में
  • राष्‍ट्रीय उद्यानकी सीमा रेखा परिभाषित होती है – विधान से
  • वन्‍य प्राणी अभ्‍यारण्‍य में अनुमति होती है – सीमित जीवीय हस्‍तक्षेप की
  • जिस वर्ग के आरक्षित क्षेत्रों में स्‍थानीयलोगों को जीवभार एकत्रित करने और उसके उपयोगकी अनुमति नहीं है – राष्‍ट्रीय उद्यानों में
  • जिस राष्‍ट्रीय उद्यान/अभ्‍यारण्‍य को ‘विश्‍व प्राकृतिक धराहर’ के नाम से जाना जाता है – केवलादेव राष्‍ट्रीय उद्यान, भरतपुर
  • भारत के विभिन्‍न जैव भंडारों में से जो गारो पहाडि़यों पर फैला हुआ है – नोकरेक
  • नंदादेवी जीव मंडल जिस राज्‍य में स्थित है, वह है – उत्‍तराखंड
  • ‘विश्‍व धरोहर’ स्‍थल (वर्ल्‍ड हैरिटेज साइट) घोषित है – नंदादेवी जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र
  • भारत के जैव मंडल रिज़र्व की सूवी में हाल ही में (वर्ष 2009 में) जोड़ा गया है – कोल्‍ड डेजर्ट (शीत रेगिस्‍तान) को
  • उधव पक्षी विहार अवस्थित है – साहेबगंज में
  • उत्‍तर प्रदेश, राजस्‍थान, मध्‍यप्रदेश व प.बंगालमें से जिसमें सर्वाधिक संख्‍या में वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य (नेशनल पार्क और अभ्‍यारण्‍य) हैं – मध्‍यप्रदेश में
  • सर्वाधिक राष्‍ट्रीय पार्कों की संख्‍या 9-9 हैं – अंडमान-निकाबार एवं मध्‍यप्रदेश में
  • साइबेरियन सारस के लिए आदर्श प्राकृतिक निवास है – राजस्‍थान
  • सरिस्‍का एवं रणथम्‍भौर जिस जानवर के लिए संरक्षित हैं – बाघ
  • हाथी परियोजनाशुरू की गई थी – फरवरी, 1992 में
  • जंगली गदहों का अभ्‍यारण्‍य है – गुजरात में
  • एक सींग वाला गैंडा पाया जाता है – काज़ीरंगा
  • गैंडे को पुनर्वासित करने का कार्य जिस राष्‍ट्रीय उद्यान में चल रहा है, वह है – दुधवा राष्‍ट्रीय उद्यान
  • 160 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला जयसमंद वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य स्थित है – राजस्‍थान के उदयपुर जिले में 
  • नाहरगढ़ वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य एक लघु अभ्‍यारण्‍य है, जो है – राजस्‍थान के बारां जिले में
  • भारत के टाईगर रिजर्व में से जो मिज़ोरम में अवस्थित है – दम्‍फा
  • बाघ आरक्षित क्षेत्रदो राज्‍यों में विस्‍तृत है – पेंच
  • व्‍याघ्र अभ्‍यारण्‍य है –कान्‍हा, रणथम्‍भौर, बांधवगढ़
  • काजीरंगा जाना जाता है – गैंडा के लिए
  • बाघों का प्रमुख रिज़र्व ‘सरिस्‍का’ जिस राज्‍य में अवस्थित है – राजस्‍थान (अलवर जिला)
  • ‘सलीम अली राष्‍ट्रीय उद्यान’ स्थित है – जम्‍मू और कश्‍मीर में
  • चन्‍द्रप्रभा वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य 78 वर्ग किमी क्षेत्रफल में विस्‍तारित है – उ.प्र. के चंदौली जिले में
  • करेरा वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य लगभग 202 वर्ग किमी क्षेत्र में स्थित है –म.प्र.के शिवपुरी जिले में
  • उत्‍तराखण्‍ड के तीन जिलों देहरादून, हरिद्वार और पोड़ी गढ़वाल में अवस्थित है – राजाजी राष्‍ट्रीय उद्यान
  • केवलादेव राष्‍ट्रीय उद्यान – भरतपुर
  • महान हिमालयी राष्‍ट्रीय उद्यान हिमाचल प्रदेश के मुल्‍लू क्षेत्र में, राजाजी राष्‍ट्रीय उद्यान उत्‍त्‍राखंड के देहरादून, हरिद्वार और पौड़ी गढ़वाल में, केवलादेव राष्‍ट्रीय उद्यान राजस्‍थान के भरतपुर जिले में तथा वन विहार राष्‍ट्रीय उद्यान विस्‍तारित है – मध्‍यप्रदेश राज्‍य के भोपाल जिले में
  • यलोस्‍थेन नेशनल पार्क स्थित है – संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका में
  • असम में मानस अभ्‍यारण्‍य जाना जाता है – बाघों के लिए
  • बस्‍तर क्षेत्र में अवस्थित है – इंद्रावती राष्‍ट्रीय उद्यान
  • मध्‍य प्रदेश के शहडोल मंडल के उमरिया जिले में स्थित है – बांधवगढ़ राष्‍ट्रीय उद्यान
  • दांडेली अभ्‍यारण्‍य स्थित है – कर्नाटक में
  • एक नेशनल पार्क इसलिएअनूठा है कि वह एक प्‍लवमान (फ्लोटिंग) वनस्‍पति से युक्‍त अनूप (स्‍वैंप) होने के कारण समृद्ध जैव-विविधता को बढ़ावा देता है –केइबुल लाम्‍जाओ नेशनल पार्क
  • चमकीले नीले धब्‍बों के साथ मखमली काले पंखों वाली ब्‍लू मारमॉन (Blue Mormin) तितली को सर्वप्रथम ‘राज्‍य तितली’ के रूप में घोषित किया है – महाराष्‍ट्र ने
  • सदर्न बर्डविंग (Southern Birdwing) भारत की सबसे बड़ी तितली है, जिसे ‘राज्‍य तितली’ का दर्जा दिया है – कर्नाटक ने
  • सागरीय राष्‍ट्रीय उद्यान है – मन्‍नार की खाड़ी में
  • यूनेस्‍को ने जुलाई, 2016 में भारत के जिस राष्‍ट्रीय उद्यान को विश्‍व धरोहर स्‍थल घोषित किया वह है – कंचनजंगा (खांगचेंग जोंगा) राष्‍ट्रीय उद्यान
  • कॉर्बेट तथा राजाजी राष्‍ट्रीय उद्यान में वन्‍य जीव प्रबंधन हेतु जिस पैमाने के हवाई छाया चित्र उपयुक्‍त हैं – लघु पैमाने वाले हवाई छाया चित्र
  • मेघालय स्थित गारो-खासी रेंज का एक भाग है – गारो पहाडि़यां
  • लोकटक झील भारत में ताजे पानी (मीठा पानी) की सगसे बड़ी झील है, जो स्थित है – मणिपुर में
  • यह पूर्वी हिमालय जैवविविधता हॉट स्‍पॉट एरिया में सबसेबड़ा संरक्षित क्षेत्र है – नामदफा राष्‍ट्रीय उद्यान
  • भारत का सोलहवां जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र ‘शीत मरुस्‍थल’ स्थित है – हिमाचल प्रदेश में
  • पांच मौसमों का बाग स्थित है –महरौली के समीप
  • समस्‍त विश्‍व में बाघों की आकलित संख्‍या 3000-4000 के मध्‍य है। भारत में बाघों की संख्‍या (नवीनतम बाघ गणना के अनुसार) आकलित है – 2226
  • यूनेस्‍को द्वारा ‘मैन एंड बायोस्‍फीयर प्रोग्राम’ (MAB) की शुरुआत हुई थी – 1971 में
  • ग्रेट हिमालय राष्‍ट्रीय पार्क जिसे यूनेस्‍को ने विश्‍व धरोहर स्‍थल घोषित किया है, स्थित है – हिमाचल प्रदेश में
  • नीलगिरि, नंदादेवी, सुंदरबन तथा मन्‍नार की खाड़ी में से यूनेस्‍को द्वारा प्रमाणित (क्षेत्रफल की दृष्टि से) भारत की वृहत्‍तम जैवमंडलीय निधि है – मन्‍नार की खाड़ी
  • पालपुर नामक स्‍थल पर अवस्थित कूनो वन्‍य जीव अभ्‍यारण्‍य (Kuno Wildlife Sanctuary) का एशियाई शेरों के पुनर्प्रवेश स्‍थल के रूप में चयन किया गया है – श्‍योपुर(मध्‍यप्रदेश) जिले में
  • निम्‍नलिखित युग्‍मों पर विचार कीजिए –
  • पूर्वोत्‍तर भारतके राज्‍यों में विशेषत: असम में पाए जाते हैं – हुलुक गिबन
  • ‘ग्रेटइंडियन हॉर्नबिल’ अपने प्राकृतिक आवासमें पाए जाने की सबसे अधिक संभावना कहां है –पश्चिमी घाट
  • जिस राष्‍ट्रीय उद्यान ने वन्‍यजीव प्रबंधन के लिए ड्रोन या मानव-रहित हवाई वाहन का उपयोग करना प्रारंभ कर दिया है – बांदीपुर टाइगर रिज़र्व
  • गिर के शेरों को रखे जाने हेतु जिस राष्‍ट्रीय पार्क/अभ्‍यारण्‍य का चयन किया गया है – पालनुर कूनो
  • कॉर्बेट राष्‍ट्रीय उद्यान अपना जल प्राप्‍त करता है – रामगंगा नदी से
  • नेशनल पार्कों में से जिसकी जलवायु उष्‍णकटिबंधीय से उपोष्‍ण, शीतोष्‍ण और आर्कटिक तक परिवर्तित होती है – नामदफा नेशनल पार्क
  • बुक्‍सा बाघ परियोजनाभारत के किस राज्‍य में स्थित है, वह है – पश्चिम बंगाल
  • शुक्‍लाफांटा वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य स्थित है – नेपाल में
  • कॉर्बेट राष्‍ट्रीय उद्यान से होकर प्रवाहित होती है – रामगंगा एवं कोसी नदियां
  • ब्रम्‍हपुत्र, दिफ्लु, मोरा दिफ्लु एवं मोरा धनसिरि नदियां प्रवाहित होती है – काजीरंगा राष्‍ट्रीय उद्यान से होकर
  • इसका प्राकृतिक आवास पश्चिमी घाट है। इस पक्षी का वैज्ञानिक नाम ब्‍यूसेरसबाइकार्निस (Buceros bicornis) है। यह पक्षी एक विशेष प्रकार का घोंसला बनाता है। वनों की कटाई होने से इस पक्षी की प्राकृतिक आवास नष्‍ट हो रहा है – ग्रेड इंडियन हॉर्नबिल
  • भारत का प्रथम तितली उद्यान, बन्‍नरघट्टा जैविकी उद्यान है, जो स्थितहै – बंगलुरू में
  • अस्‍कोट वन्‍य जीव सैंक्‍चुअरी जिस जनपद में हैं, वह जनपद है – पिथौरागढ़
  • आंध्रप्रदेश में कृष्‍णा और गोदावरी नदी के डेल्‍टा में स्थित ताजे पानी की झील है – कोलेरु झील
  • भारत के सर्वप्रथम एक समुद्री सैंक्‍चुअरी, जिसकी सीमाओं के अंतर्गत प्रवाल भित्तियां, मोलस्‍का, डॉल्फिन, कछुएऔर अनेक प्रकार के समुद्री पक्षी हैं, स्‍थापित किया गया है – कच्‍छ की खाड़ी में
  • नीलगिरि की ‘मेघ बकरियां’ पाई जा‍ती हैं –इरावीकुलम राष्‍ट्रीय पार्क में
  • जिसे मिनी काजीरंगा के नाम से भी जाना जाता है – ओरंग अभ्‍यारण्‍य-असम
  • चिनार वन्‍य जीव विहार अ‍वस्थित है – केरल में
  • सुल्‍तानपुर बर्ड सैंक्‍चुअरी स्थित है – गुड़गांव (गुरुग्राम) में
  • साइलैंट वैली राष्‍ट्रीय उद्यान से होकर गुजरती है – कुंतीपुजहा नदी
  • पंजाब प्रांत में व्‍यास और सतलुज के संगम पर स्थित है – हरिके आर्द्रभूमि
  • राजस्‍थान प्रांत के भरतपुर में गंभीर और बाणगंगा नदी के संगम पर स्थित है – केवलादेव घना राष्‍ट्रीय उद्यान
  • ‘सबके लिए सतत ऊर्जा दशक’ पहल है – संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की (वर्ष 2014-2024 तक)
  • ‘अंतरराष्‍ट्रीय सौर गठबंधन’ का प्रथम शिखर सम्‍मेलन संपन्‍न हुआ – नई दिल्‍ली में
  • सौ फीसदी सौर ऊर्जा पर चलने वाला भारत का पहला केंद्रशासित प्रदेश है – दीप
  • कभी-कभी समाचारों में दिखाई पड़ने वाले ‘घरेलू अंश आवश्‍यकता’ (Domestic content Requirement) पद का संबंध जिससे है, वह है – सौर शक्ति उत्‍पादन के विकास से
  • शैवाल आधारित जैव ईंधन उत्‍पादन को स्‍थापित करने और इंजीनियरी करने हेतु निर्माण पूरा होने तक जरूरत होती है – उच्‍च स्‍तरीय विशेषज्ञता/प्रौद्योगिकी की
  • ऊर्जा का एक नवीकरणीय स्रोत है – सौर ऊर्जा
  • तमिलनाडु का पक्षीविहार अवस्थित है – कारीकिली में
  • जिस देश में उसके कुल क्षेत्रफल का 30 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र राष्‍ट्रीय पार्क के अंतर्गत आता है – भूटान 
  • विश्‍व का सबसे बड़ा वानस्‍पतिक उद्यान स्थित है – क्‍यू (इंग्‍लैंड) में
  • बुंदाला जीव मंडल आरक्षित क्षेत्र है जो हाल ही में UNESCO के मानव तथा जीव मंडल (मैन एवं बायोस्फियर- MAB) तंत्र में सम्मिलित किया गया है, यह स्थित है – श्रीलंका में
  • जैविक मात्रा में सर्वाधिक उपयोग की जाती है – सौर ऊर्जा
  • सूर्य के प्रकाश को सौर ऊर्जा में परि‍वर्तित किया जाता है – फोटोवोल्‍टोइक तकनीक के द्वारा
  • पेट्रोलिय उत्‍पाद, वन उत्‍पाद, नाभिकीय विखंडन तथा सौर सेल में से सर्वोत्‍तम पर्यावरण अनुकूल है – सौर सेल
  • जीवाश्‍म ईंधन नहीं है – यूरेनियम
  • पौधे के वे उत्‍पाद जो कि हजारों वर्षों से पृथ्‍वी के नीचे दबे पड़े थे या पौधे के वे जीवाश्‍म जिनका उपयोग हम ईंधन के रूप में करते हैं, कहलाते हैं – जीवश्‍म ईंधन
  • सौर, पवन, ज्‍वारीय, पनबिजली ऊर्जा आदि प्राकृतिक संसाधन उदाहरण हैं – नवीकरणीय ऊर्जा के
  • कभी न समाप्‍त होने वाली तथा प्रदूषणरहित ऊर्जा है – सौर ऊर्जा
  • वैकल्पिक ऊर्जा का सबसे बड़ा संग्रहागार है – सौर ऊर्जा
  • सौर ऊर्जा प्राप्‍त होती है – सूर्य से
  • ऊर्जा संकट से तात्‍पर्य है – कोयला तथा पेट्रोल जैसे जीवाश्‍म ईंधन के समाप्‍त होनेका खतरा
  • कोयला, खनिज तेल एवं गैस, जल, विद्युत तथा परमाणु ऊर्जा में से भारत में धारणीय विकास के दृष्टिकोण से विद्युत उत्‍पाद का सबसे अच्‍छा स्रोतहै – जल विद्युत
  • सौर शक्ति, जैव पुंज शक्ति, लघु जल विद्युतशक्ति तथा अपशिष्‍ट से अर्जित ऊर्जा में से भारत में जो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतसर्वाधिक संभाव्‍यता वाला है – सौर शक्ति
  • जैव-ईंधन के संबंध में निम्‍न में से कथन सत्‍य हैं – जैव-ईधन पारिस्थितिकी अनुकूल होता है। जैव-ईंधन ऊर्जा संकट के समाधान में योगदान दे सकता है। जैव-ईंधन मक्‍का से भी बनता है।
  • बायोडीज़ल की फसल है – जैट्रोफा
  • नाभिकीय ऊर्जा उत्‍पादन हेतु कच्‍चे माल के रूप में प्रयुक्‍त किया जाता है – यूरेनियम
  • परमाणुओं के संयोजन अथवा विखंडन प्रक्रिया द्वारा उत्‍पन्‍न की जाती है – नाभिकीय ऊर्जा
  • न्‍यूनतम पर्यावरणीय प्रदूषण उत्‍पन्‍न करता है – हाइड्रोजन
  • हाइड्रोजन के महत्‍व को देखते हुए भारत में वर्ष 2003 में गठन किया गया है – राष्‍ट्रीयहाइड्रोजन बोर्ड का
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, भविष्‍य का ईंधन है – हाइड्रोजन
  • नाभिकीय शक्ति परियोजनाओं के अंतर्गत पर्यावरणीय प्रभाव, जिनका अध्‍ययन किया जाना तथा हल निकाला जाना है, वे हैं – वायु, मृदा एवं जल का रेडियोधर्मी प्रदूषण, वन अपरोपण तथा पेड़-पौधों एवं जंतु समूह की क्षति, रेडियोधर्मी अपशिष्‍ट का निस्‍तारण
  • अंरराष्‍ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) को प्रारंभ किया गया था – 2015 में संयुक्‍त राष्‍ट्र जलवायु परिवर्तन सम्‍मेलन में
  • कर्क रेखा व मकर रेखा के बीच स्थित 121 देशों का एक समूह है, जो अपनी ऊर्जा आवश्‍यकताओं के लिए सूर्य द्वारा प्राप्‍त ऊर्जा का उपयोग करने हेतु प्रतिबद्ध है – अंरराष्‍ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance-ISA)
  • एथेनॉल एक प्रसिद्ध एल्‍कोहल है। इसे ‘एथिल एल्‍कोहल’ भी कहते हैं, इसका प्रयोग होता है – हरति ईंधन के रूप में
  • पाइन, करंज, फर्न से भी किण्‍वीकरण कर एथेनॉल प्राप्‍त किया जाता है, इसे शामिल करते हैं – हरित ईंधन स्रोत में
  • जिसकी खेती एथेनॉल के लिए की जा सकती है, वह है – मक्‍का
  • जोट्रोफा, पौंगामिया और सूरजमुखी की खेतीकी जा सकती है – बायोडीजल के लिए
  • नारियल आवरण, मूंगफली का छिलका और धान की भूसी द्वारा उत्‍पन्‍न गैस का उपयोग, बिली पैदा करनेवाले जेनरेटर से जुड़े उपयुक्‍त रूप से डिजाइन किए गए अंतर्दहन इंजन में कियाजा सकता है – डीजल की जगह
  • बायोगैस में अप्रत्‍यक्ष रूप से पाई जाती है – सौर ऊर्जा
  • ‘फ्यूल सेल्‍स‘ (Fuel Cells) जिसमें हाइड्रोजन से समृद्ध ईंधन और ऑक्‍सीजन का उपयोग विद्युत पैदा करने के लिए होता है, से संबंधित सही कथन है – यदि शुद्ध हाइड्रोजन का उपयोग ईंधन के रूप में होता है,तो फ्यूल सेल उप-उत्‍पाद (बाइ-प्रोडक्‍स) के रूप में ऊष्‍मा एवं जल का उत्‍सर्जन करता है
  • फ्यूल सेल में एक रासायनिक अभिक्रिया के माध्‍यम से उत्‍पादन होता है, न कि दहन (Combustion) के माध्‍यम से – विद्युत का
  • फरीदाबाद, हरियाणा में है – ISA का सचिवालय
  • ऊष्‍मा रासायनिक परिवर्तन द्वारा ठोस बायोमास का, दहन योग्‍य गैस मिश्रण में रूपांतरण ही है – बायोमास गैसीकरण
  • जीवभार गैसीकरण को भारत में ऊर्जा संकट के धारणीय (सस्‍टेनेबल) हलों में से एक समझा जाता है। इस संदर्भ में कथन सही हैं – नारियल आवरण, मूंगफली का छिलका और धान की भूसी का उपयोग जीवभार गैसीकरण के लिए किया जा सकता है
  • जैव-परिवर्तनीय सबस्‍ट्रेट में उपलब्‍ध रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युतीय ऊर्जा में परिवर्तित कर देती हैं – सूक्ष्‍म जैविक ईंधन कोशिकाएं (MFC)
  • भारत में संप्रति उपलब्‍ध प्रौद्योगिक स्‍तर को देखते हुए सौर ऊर्जाका सुविधा से उपयोग किया जा सकताहै– आवा‍सीय भवनों को गर्म पानी की पूर्ति करने के लिए, लघु सिंचार्ठ परियोजनाओं हेतु जल की पूर्ति करने के लिए, सड़क प्रकाश व्‍यवस्‍था के लिए
  • भारत में जैविक डीजल के उत्‍पादन के लिए जोट्रोफा करकास के अलावा पौंगामिया पिनाटा केा भी क्‍यों एक उत्‍तम विकल्‍प मानाजाता है, क्‍योंकि – भारत के अधिकांश शुष्‍क क्षेत्रों में पौंगामिया पिनाटा प्राकृतिक रूप से उगता है। पौंगामिया पिनाटा के बीजों में लिपिड अंश बहुतायतमें होता है, जिसमेंसेलगभग आधा ओलीइक अम्‍ल होता है।
  • फ्यूल सेल से विद्युत उत्‍पादित होती है – दिष्‍ट धारा (DC) के रूप में
  • सल्‍फर डाइऑक्‍साइड के लिए उत्‍तरदायी है – कोयले में सल्‍फर की उपस्थिति
  • सूक्ष्‍म जैविक ईंधन कोशिकाएं (माइक्रोबियल फ्यूल सैल) ऊर्जा का धारणीय (सस्‍टैनेबल) स्रोत समझी जाती है क्‍योंकि – ये जीवित जीवों को उत्‍प्रेरक के रूप में प्रयुक्‍त कर कुछ सबस्‍ट्रेटोंसे विद्युतीय उत्‍पादन कर सकतीहैं। ये विविध प्रकार के अजैव पदार्थ सबस्‍ट्रेट के रूप में प्रयुक्‍त करती हैं। ये जल का शोधन और विद्युत उत्‍पादन करने के लिए अपशिष्‍ट जल शेधन संयंत्रों में स्‍थापित की जा सकती हैं।
  • जैव- मूल ऐस्‍फाल्‍ट (बायोऐस्‍फाल्‍ट) पर मूल सीमाशुल्‍क की पूरी छूट प्रदान की गई है, इस पदार्थ का महत्‍व है – पारंपरिक ऐस्‍फाल्‍ट के विपरीत, बायोऐस्‍फाल्‍ट जीवाश्‍म ईंधनों पर आधारित नहीं होता। बायोएस्‍फाल्‍ट जैव अपशिष्‍ट पदार्थों से निर्मित हो सकता है। बायोऐस्‍फाल्‍ट से सड़कों की ऊपरी सतह बिछाना पारिस्थितिकी के अनुकूल है।
  • बायोऐस्‍फाल्‍ट, डामर का विकल्‍प है जिसका निर्माण नवीकरणीय स्रोतो से किया जाता है– गैर-पेट्रोलियम आधारित
  • हवा में तैरते हुए श्‍वसनीय सूक्ष्‍म कणों का आकार होता है – 5 माईक्रोन से कम
  • जलवायु एवं स्‍वच्‍छ वायु गठबंधन (Climate and clean air coalition : CCAC) विभिन्‍न देशों, नागरिक समाजों (Civil Societies) व निजी क्षेत्रों का एक वैश्विकप्रयास है जो अल्‍पजीवी जलवायु प्रदूषकों को न्‍यूनीकृत कर प्रतिबद्ध है – वायु की गुणवत्‍ता को बेहतर बनानेहेतु
  • भू-तापीय ऊर्जा स्रोत नहीं पाए गए हैं – गंगा डेल्‍टा में
  • पृथ्‍वी की भूपर्पटी में पाए जाने वाले उष्‍ण जल से प्राप्‍त होने वाली वह ऊर्जा जिसका उपयोग मानव अपने विभिन्‍न कार्यों के लिए करता है, कहलाती है – भू-तापीय ऊर्जा
  • भारत में भू-तापीय ऊर्जा स्रोतके प्रमुख क्षेत्र हैं – हिमालय, खंभात बेसिन, सोनाटा (SO-NA-TA : Son-Narmada-Tapti), पश्चिमी घाट, गोदावरी बेसिन और महानदी बेसिन
  • मानव-जनित पर्यावरणीय प्रदूषण कहलाते हैं – एन्‍थ्रोपोजेनिक
  • वे पदार्थ जिनसे प्रदूषण फैलता है, कहलाते हैं – प्रदूषक
  • जैव निम्‍नीकरणीय रहित प्रदूषक मुख्‍यतया पर्यावरण में प्रवेश करते हैं – मानव-जनित (एंथ्रोजेनिक) प्रदूषण के कारण
  • जैव-विघटित प्रदूषक हैं – वाहित मल
  • ऐसे प्रदूषक जो सूक्ष्‍म जीवों जैसे-जीवाणु आदि के द्वारा समय के साथ प्रकृति में सरल, हानिरहित तत्‍वों में विघटित कर दिए जाते हैं, कहलाते हैं – जैव-विघटित प्रदूषक
  • कोयला, पेट्रोल, डीजल आदि का दहन मूल स्रोत है – वायु प्रदूषण का
  • यह प्रकृति में घटित होने वाली जैव निम्‍नीकरण प्रक्रिया का ही संवर्धन कर प्रदूषण को स्‍वच्‍छ करने की तकनीक है – जैवोपचारण (बायोरेमीडिएशन)
  • जैवोपचारण के लिए विशेषत: अभिकल्पित सूक्ष्‍म जीवों को सृजित करनेके लिए उपयोग किया जा सकता है – आनुवंशिक इंजीनियरी का (Genetic Engineering)
  • जैव अपघटनीय प्रदूषक हैं – सीवेज
  • प्रकाश-रसायनी धूम कोहरे के बनने के समय उत्‍पन्‍न होता है – नाइट्रोजन ऑक्‍साइड
  • प्रकाश रासायनिक घूम कोहरा (Smog) शब्‍द बना है – Smoke और Fog के मिलने से
  • जहां पर अधिक यातायात रहताहै, वहां पर भी गर्म परिस्थितियों तथा तेज सूर्य विकिरण से निर्माण होता है– प्रकाश-रासायनिक धूम्र कोहरे का
  • नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड (NOX), ओजोन (o3) तथा पेरॉक्‍सीएसीटिलनाइट्रेट से बनता है – प्रकाश-रासायनिक धूम्र कोहरा
  • सूर्य विकिरण वाले क्षेत्रों में या खास मौसम में धूम्र कोहरा अपूर्ण रूप से बनता है। ऐसी वायु को कहते हैं – भूरी वायु
  • जब मानवीय या प्राकृतिक कारणों से वायुमंडल में उपस्थित गैसों के निश्चित अनुपात में (विषाक्‍त गैसों या कणकीय पदार्थों की वजह से) अवांछनीय परिवर्तन हो जाता है, तो इसे कहते हैं – वायु प्रदूषण
  • वायु प्रदूषण के दो स्रोत्र हैं (i) प्राकृतिक स्रोत और (ii) मानवजनित स्रोत। वनाग्नि तथा ज्‍वालामुखी उद्गार, जैविक पदार्थों के सड़ने-गलने से निकलने वाली गैसें, जैसे- सल्‍फर डाइऑक्‍साइड (SO2), नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड (NOX) इत्‍यादि आते हैं – प्राकृतिक स्रोत में
  • इन अभिक्रियाओं को प्रकाश रासायनिक कहते हैं क्‍योंकि इनमें दोनों शामिल होते हैं –सूर्य का प्रकाश और रासायनिक प्रदूषक
  • ऑक्‍सीजन व नाइट्रोजन के मिलने से नाइट्रिक ऑक्‍साइड (NO) बनती है। यह गैस वायु से मिलकर नाइट्रोजन डाइ ऑक्‍साइड (NO2) का निर्माण करती है। (NO2) है – भूरे रंग की तीखी गैस
  • नवजात ऑक्‍सीजन (Nascent Oxygen) सूर्य के तीव्र प्रकाश की उपस्थिति में ऑक्‍सीजन के एक अणु (O2) से क्रिया करके बना लेती है – ओजोन (O3)
  • प्रकाश-रासायनिक धूम का बनना किनके बीच अभिक्रिया का परिणाम होता है – NO2, O3 तथा पेरॉक्‍सीऐसिटिलनाइट्रेट के बीच, सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में
  • गर्म, शुष्‍क और तीव्र सौर विकिरण वाले महानगरों में वायुमंडलीय हाइछ्रोकार्बन और वाहनों व बिजली संयंत्रों से निकलने वाली नाइट्रोजन ऑक्‍साइड सूर्य के प्रकाशमें अभिक्रिया करके कई सारे द्वितीयक प्रदूषक बनाती है, जैसे- – ओजोन, फॉर्मेल्डिहाइड और पैरॉक्‍सीएसिटिल नाइट्रेट (PAN) आदि
  • मनुष्‍यों की आंखों में बहुत ज्‍यादा जलन या उत्‍तेजना पैदा करता है – PAN
  • PAN तथा O3 मिलकर छोटी-छोटी बूंदें बना लेते हैं। वायु में मिलकर PAN तथा O3 धुंध बना लेती है। अधिक धूम्र कोहरे (Smog) के निर्माण से घट जाती है- दृश्‍यता
  • भारी ट्रक यातायात, निर्वाचन सभाएँ, पॉप संगीत, तथा जेट उड़ान में से अधिकतम ध्‍वनि प्रदूषण का कारण है – जेट उड़ान
  • किसी वस्‍तु से उत्‍पन्‍न सामान्‍य आवाज को कहते हैं – ध्‍वनि
  • ध्‍वनि की इकाई है – डेसीबल (dB)
  • अनियोजित औद्योगिक विकास, अत्‍यधिक मोटर वाहनों का प्रयोग तथा यांत्रिक दोषयुक्‍त विभिन्‍न प्रकार के वाहनों का परिचालन योगदान देते हैं – ध्‍वनि प्रदूषण करने में
  • परऑक्सिल मूलक या तो ऑक्‍सीजन के अणुओं से मिलकर ओजोन (O3) बना लेते हैं अथवा नाइट्रोजन डाइऑक्‍साइड (NO2) से मिलकर निर्माण करते हैं – पेरॉक्‍सीएसीटिल नाइट्रेट (PAN) का
  • यह क्‍लोरोप्‍लास्‍ट को नुकसान पहुंचाता है। इस वजह से प्रकाश-संश्‍लेषण की क्षमता एवं पौधे का विकास कम हो पाता है। यह कोशिका के माइट्रोकॉन्ड्रिया में होने वाले इलेक्‍ट्रॉन यातायात प्रणाली (Electron Transport Chain-ETC) को बाधित करता है। यह एंजाइम प्रणाली को भी प्रभावित करता है – PAN 
  • कार्बन मोनोऑक्‍साइड (CO) जो कि रंगहीन (colourless) तथा अति विषैली (Highly Poisonous) होती है – एक प्रमुख प्राथमिक वायु प्रदुषक (Air Pollutant) है
  • CO वायुमंडल में कम समय के लिए रहती है तथा इसका ऑक्‍सीकरण हो जाता है – CO2 में
  • एक द्वितीयक प्रदूषक नहीं है – सल्‍फर डाइऑक्‍साइड
  • वे वायु प्रदूषक जो प्रदूषक स्‍त्रोत से सीधे वायु में मिलते हैं, कहलाते हैं – प्राथमिक प्रदूषक
  • ऐसे वायु प्रदूषक जो प्राथमिक वायु प्रदूषकों तथा साधारण वातावरणीय पदार्थों की क्रिया के फलस्‍वरूप उत्‍पन्‍न होते हैं, जाने जाते हैं – द्वितीयक वायु प्रदूषक
  • ध्‍वनि की गति से तेज चलने वाले जेट विमानों से उत्‍पन्‍न शोर को कहते है – सोनिक बूम (Sonic Boom)
  • सोनिक बूम को व्‍यक्‍त किया जाता है – मैक इकाई (Mach Unit) में
  • जो वस्‍तुएं ध्‍वनि की रफ्तार से चलती हैं, उनसे उत्‍पन्‍न शोर को कहते है – मैक–1
  • सामान्‍य स्थितियों में वातावरण में प्रदूषण उत्‍पन्‍न करने वाली गैस है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड (CO)
  • अधूरे प्रज्‍जवलन के कारण मोटर कार एवं सिगरेट से निकलने वाली रंगहीन गैस है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • यह रक्‍त के हीमोग्‍लोबिन के साथ क्रिया करके एक स्‍थायी यौगिक बना लेती है, जिससे हीमोग्‍लोबिन ऑक्‍सीजन को ऊतकों तक नहीं पहुंचा पाता है। यह मानव स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अत्‍यंत हानिकारक गैस है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • मोटर वाहनों से निकलने वाली निम्‍न में से कौन-सी एक मुख्‍य प्रदूषक गैस है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • वाहनों में पेट्रोल के जलने से धातु वायु को प्रदूषित करती है – लेड
  • इंजन में नॉकिंग (Knocking) रोकने के लिए प्रयुक्‍त किया जाता है – लेड को
  • पीएएन (Peroxyacetyl Nitrate), ओजोन तथा स्‍मॉग (Smog) है – द्वितीयक प्रदूषक
  • सल्‍फर के ऑक्‍साइड (मुख्‍यत: सल्‍फर डाइऑक्‍साइड), नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड, कार्बन मोनोऑक्‍साइड हैं– प्राथमिक प्रदूषक
  • यह गैस हीमोग्‍लोबिन अणुओं से ऑक्‍सीजन की तुलना में 240 गुना से 300 गुना अधिक तेजी से संयुक्‍त हो जाती है, जिस कारण वायु में पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन होने पर भी सांस लेने में कठिनाई होती है और घुटन महसूस होने लगती है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • ओजोन, हाइड्रोजन सल्‍फाइड, कार्बन डाइऑक्‍साइड तथा कार्बन मोनोऑक्‍साइड में से जो वायु प्रदूषक सर्वाधिक हानिकारक है, वह है –कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • भूमिगत जल को दूषित करने वाले अजैविक प्रदूषक हैं – आर्सेनिक
  • भारत में कई जगहों पर भूमिगत जल आर्सेनिक से सेक्रमित होते हैं। यह संक्रमण मुख्‍यतया प्रकृति में पाए जाने वाले उत्‍पन्‍न आर्सेनिक से होता है, जो उत्‍पन्‍न होता है – बेडरॉक (Bed Rock) से
  • आर्सेनिक के लगातार संपर्क से बीमारी हो जाती है – ब्‍लैक फुट
  • बच्‍चों में दिमाग के विकास में बाधा पहुंचाता है, उनके बुद्धिलब्धि लेवल (Q .) को घटाता है तथा वयस्‍कों में हृदय व श्‍वसन संबंधी बीमारियों को उत्‍पन्‍न करता है – लेड
  • वायु प्रदूषकों में से जो रक्‍त धारा को दुष्‍प्रभावित कर मौत उत्‍पन्‍न कर सकता है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • वायु प्रदूषक ऑक्‍सीजन की अपेक्षा अधिक शीघ्रता से रक्‍त के हीमोग्‍लोबिन में घुल जाता है – कार्बन मोनोआक्‍साइड
  • यह प्रदूषण विभिन्‍न प्रकार के फसलों के माध्‍यम से मानव एवं पशुओं के आहार श्रृंखला में भी पहुंचता है तथा विभिन्‍न प्रकार की गंभीर बीमारियों से मनुष्‍य एवं पशुओं को ग्रस्‍त करता है – उर्वरक
  • अकार्बनिक पोषक जैसे फॉस्‍फेट तथा नाइट्रेट घुलकर जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में आ जाते हैं। यह जलीय पारिस्थितिकीतंत्र में बढ़ाते हैं – सुपोषण (Eutrophication) को
  • अकार्बनिक उर्वरक तथा कीटनाशक अवशेष मृदा के रासायनिक गुणों को बदल देते हैं तथा विपरीत प्रभाव डालते हैं – भूमि के जीवों पर
  • औद्योगिक मलबे से सर्वाधिक रासायनिक प्रदूषण होता है – चमड़ा उद्योग से
  • जल प्रदूषण तथा मृदा प्रदूषण के लिए प्रमुख रूप से यही उद्योग उत्‍तरदायी है – चमड़ा उद्योग
  • अम्‍ल वर्षा, निम्‍नांकित द्वारा वायु प्रदूषण के कारण होती है – नाइट्रस ऑक्‍साइड एवं सल्‍फर डाइऑक्‍साइड
  • विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ( H.O.) के मानक के अनुसार, आर्सेनिक की मात्रा होनी चाहिए –0.05 मिग्रा/लीटर
  • धान का पौधा बेहतर अवशोषक माना जाता है – आर्सेनिक का
  • भू-जल के जरिए आर्सेनिक अनाज में पहुंच रहा है। इससे प्रभावित हो रही है – समूची खाद्य श्रृंखला 
  • उर्वरक के अत्‍यधिक प्रयोग से होता है – मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण
  • अम्‍लीयता का लगभग आधा हिस्‍सा वायुमंडल से पृथ्‍वी पर स्‍थानांतरित होकर जमा होता है – शुष्‍क रूप में
  • मरूस्‍थलीय क्षेत्र में शुष्‍क से आर्द्र निक्षेप का अनुपात उच्‍च रहता है, क्‍योंकि वहां पर ज्‍यादा होता है – शुष्‍क जमाव
  • अम्‍लीय वर्षा, अम्‍लीय कोहरे और अम्‍लीय धुंध को सम्मिलित रूप से कहा जाता है – अम्‍ल निक्षेप
  • अम्‍ल वर्षा के लिए उत्‍तरदायी गैसें हैं – नाइट्रस ऑक्‍साइड एवं सल्‍फर डाइऑक्‍साइड
  • उद्योगों एवं यातायात के उपकरणों से निस्‍सृत नाइट्रस ऑक्‍साइड (N2O) तथा सल्‍फर डाइऑक्‍साइड (SO2) जैसी गैसें वायुमंडल में स्थित जलवाष्‍प से प्रतिक्रिया करके सल्‍फ्यूरिक तथा नाइट्रिक अम्‍ल बनाती हैं और ओस अथवा वर्षा की बूंदों के रूप में पृथ्‍वी पर गिरने लगती हैं। यही कहलाती है – अम्‍ल वर्षा
  • अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर सल्‍फर के उत्‍सर्जन में कमी का प्रयास किया जा रहा है – हेलसिंकी प्रोटोकॉल (1985) के तहत
  • सामान्‍यतया ऐसी वर्षा जिसका pH मान 5-6 से कम हो, कहलाती है – अम्‍ल वर्षा
  • वातावरणीय प्रदूषण, औद्योगिक नि:सृतों एवं प्रकृति में होने वाली विभिन्‍न क्रियाओं के फलस्‍वरूप उत्‍पन्‍न सल्‍फर डाइऑक्‍साइड तथा नाइट्रस ऑक्‍साइड गैसें वायुमंडल में पहुंचकर, ऑक्‍सीजन और बादल के जल के साथ रासायनिक अभिक्रिया कर क्रमश: सल्फ्यूरिक अम्‍ल तथा नाइट्रिक अम्‍ल बनाकर वर्षा के साथ पृथ्‍वी पर गिरती हैं। इससे पृथ्‍वी पर होता है – अम्‍ल का जमाव
  • SO2 को कैकिंग गैस (Cracking Gas) भी कहते हैं, क्‍योंकि यदि लगातार यह पत्‍थर पर प्रवाहित की जाए, तो पत्‍थर हो जाता है – क्षत-विक्षत
  • अधिक अम्‍लता के कारण अम्‍ल वर्षा के हाइड्रोजन आयन एवं मृदा के पोषक धनायन (यथा K+ एवं mg++) के बीच आदान-प्रदान होता है। इसके फलस्‍वरूप पोषक तत्‍वों का निक्षालन (Leaching) हो जाता है एवं समाप्‍त हो जाती है – मृदा की उर्वरता
  • अम्‍ल वर्षा में वे प्रदूषक जो वर्षा जल एवं हिम को प्रदुषित करते हैं – सल्‍फर डाइऑक्‍साइड, नाइट्रोजन आक्‍साइड
  • मथुरा की तेलशोधनशालाओं से उत्‍सर्जित SO2 से उत्‍पन्‍न अम्‍ल वर्षा, क्षति पहुंचा रही है – ताजमहल के सौंदर्य को
  • ताजमहल पर अम्‍ल वर्षा से जनित हानिकारक प्रभाव को रोकने के लिए भारत सरकार दवारा विकसित किया गया है – ताज ट्रेपिजियम( Taz trapzium) जोन
  • अम्‍ल वर्षा जहरीली धातुओं को उनके प्राकृतिक रासायनिक यौगिकों से टूटने में मदद करती है। ये धातु पीने योग्‍य जल एवं मृदा में प्रवेश कर दुष्‍प्रभाव डालते हैं – बच्‍चों के तंत्रिका तंत्र पर
  • वर्षा के पानी में घुलने से वर्षा का पानी अम्‍लीय (अम्‍ल वर्षा) हो जाता है – सल्‍फर ऑक्‍साइड के कारण
  • एक वायु प्रदूषक गैस है और जीवाश्‍म ईंधन के ज्‍वलन स्‍वरूप उत्‍पन्‍न होती है –सल्‍फर डाइऑक्‍साइड
  • वायु प्रदूषण से संबंधित नहीं है – युट्रोफिकेशन
  • जल में जब जैविक तथा अजैविक दोनों प्रकार के पोषक तत्‍वों की वृद्धि हो जाती है, तो इस घटना को कहते हैं – सुपोषण
  • अत्‍यधिक पोषकों की उपस्थ्‍िति में शैवालों का विकास तेजी से होने लगता है। इसे कहते हैं – शैवाल ब्‍लूम (Algal BIoom)
  • अम्‍ल वर्षा होती है – बादल के जल एवं सल्‍फर डाइआक्‍साअड प्रदूषकों के मध्‍य प्रतिक्रिया के फलस्‍वरूप
  • शंकुधारी वृक्षों के घने कैनौपी में पत्तियों के भूरे रंग के लिए उत्‍तरदायी होता है – अम्‍ल वर्षा का निक्षेप
  • अम्‍ल वर्षा कम हो जाता है – मृदा के pH का मान
  • जिसे वायु में मिलने से रोकने के लिए इलेक्‍ट्रोस्‍टेटिक अवक्षेपक (Electrostatic Prescipitator) या अन्‍य कण निस्‍यंदन उपकरणों का प्रयोग किया जाता है – फ्लाई ऐश
  • ‘ग्रीन मफ्लर’ संबंधित है – ध्‍वनि प्रदूषण से
  • विशालकाय हरे पौधे अधिक ध्‍वनि प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रोपित किए जाते हैं क्‍योंकि उनमें ध्‍वनि तंरगों को अवशोषित करने की क्षमता होती है। ध्‍वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले ये हरे पौधे कहलाते हैं – ग्रीन मफ्लर
  • एस्‍बेस्‍टस फाइबर से घिरे वातावरण में ज्‍यादा देर रहने से हो जाता है – एस्‍बेस्‍टोसिस
  • ‘फ्लाई ऐश’ एक प्रदूषक दहन उत्‍पाद है, जो जलाने से प्राप्‍त होता है – कोल (पत्‍थर के कोयले) को 
  • कोल के दहन से उत्‍पन्‍न प्रदूषक है – फ्लाई ऐश (Fly ash)
  • कोयला आधारित ताप विद्युत घरों से उत्‍पन्‍न होने वाले इस सूक्ष्‍म पाउडर से जीवों में होते हैं – श्‍वशन संबंधी रोग
  • मूलत: कार्बन एवं हाइड्रोजन के अणुओं के मिलने से बनता है। यह एथिलीन C2 H4 का पॉलीमर (बहुलक) होता है – पॉलि‍थीन
  • इसकी खोज 1953 ई. इटली के रसायनशास्‍त्री गिलियो नत्‍ता और कार्ल जिगलर (जर्मनी) ने की। इन्‍होंने सर्वप्रथम देखा कि कार्बन एवं हाइड्रोजन के कण आपस में एक श्रृंखला बनाते हैं तथा एकल बन्‍ध एवं द्विबन्‍ध के रूप में स्‍थापित हो जाते हैं। इस खोज के लिए गिलियो नत्‍ता एवं कार्ल जिगलर को 1963 ई. में रसायन का नोबेल पुरस्‍कार प्राप्‍त हुआ – पॉलिथीन की
  • वस्‍तु जो जीवाणुओं से नष्‍ट नहीं होती – प्‍लास्टिक
  • जैव-निम्‍नीकरणीय है – रबर
  • भोपाल गैस त्रासदी (मिथाइल आइसोसाइनेट- ‘मिक’ रिसाव) की घटना हुई थी – 3 दिसंबर, 1984 को
  • भोपाल मे यूनियन कार्बाइड फैक्‍ट्री से जो गैस रिस गई थी, वह थी – मिथाइल आइसोसायनेट
  • भोपाल गैस त्रासदी में जिस गैस के रिसने पर बड़े पैमाने पर मृत्‍यु हुई – एम.आई.सी.
  • भोपाल गैस त्रासदी में संबंधित यौगिक का नाम था – मेथाइल आइसोसायनेट
  • पॉलिथीन की थैलियों को नष्‍ट नहीं किया जा सकता, क्‍योंकि वे बनी होती हैं – पॉलीमर से
  • शैवाल तथा कवक के द्वारा होता है – लाइकेन का निर्माण
  • वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव लाइकेन पर पड़ता है क्‍योंकि ये होते हैं, बड़े – संवेदनशील
  • प्रदूषण संकेतक पौधा है – लाइकेन
  • लाइकेन्‍स सबसे अच्‍छे सूचक हैं – वायु प्रदूषण के
  • जैविक ऑक्‍सीजन आवश्‍यकता (बी.ओ.डी़.) एक प्रकार का प्रदूषण सूचकांक है – जलीय वातावरण में
  • बीओडी का अधिक होना, दर्शाता है – जल के संक्रमित होने को
  • कार्बनिक अपशिष्‍ट (जैसे-सीवेज) की मात्रा बढ़ने से अपघटन की दर बढ़ जाती है तथा O2 का उपयोग भी इसी के साथ-साथ बढ़ जाता है। इसके फलस्‍वरूप मात्रा घट जाती है – घुली ऑक्‍सीजन (Dissolved Oxygen-DO) की
  • वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते हैं, कहलाते हैं – जैव-निम्‍नीकरणीय
  • सिगरेट का टुकड़ा, चमड़े का जूता, फोटो फिल्‍म तथा प्‍लास्टिक का थैला में से जिसके क्षय होने में सबसे अधिक समय लगता है – प्‍लास्टिक का थैला
  • वायु प्रदूषण के जैविक सूचक का कार्य करता है – लाइकेन
  • नदी में जल प्रदूषण के निर्धारण के लिए घुली हुई मात्रा मापी जाती है – ऑक्‍सीजन की
  • गंगा नदी में बी. ओ. डी. सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है – कानपुर एवं इलाहाबाद के मध्‍य
  • जैव उपचारण (Bio-remediation) से तात्‍पर्य है – जीवों द्वारा पर्यावरण से विषैले (Toxic) पदार्थों का निष्‍कासन
  • इसके द्वारा किसी विशेष स्‍थान पर पर्यावरणीय प्रदूषकों के हानिकारक प्रभाव को समाप्‍त किया जा सकता है। यह जैव रासायनिक चक्र के माध्‍यम से कार्य करता है – जैव-उपचारण (Bio-remediation) Environment Notes For Prathmik Shikshak Samvida Varg 3
  • जैवोपचार यदि प्रदूषण प्रभावित क्षेत्र में किया जाता है, तो इसे कहा जाता है – स्‍व-स्‍थाने जैवोपचार (In-Situ Bio-remediation)
  • कुछ ही सहनशील प्रजातियों के जीव तथा कुछ कीटों के डिंब ही बहुत अधिक प्रदूषित तथा कम DO वाले जल में जीवित रह सकते हैं, जैसे – ऐनेलीड
  • जिस जलाशय के DO का मान 0 mgL-1 से नीचे हो जाता है। उसे रखा जाता है – संक्रमित(Contaminated) जल की श्रेणी में
  • किसी जल क्षेत्र में बी. ओ. डी. की अधिकता संकेत देती हे कि उसका जल – सीवेज से प्रदूषित हो रहा है
  • जल प्रदूषक नहीं है – सल्‍फर डाइऑक्‍साइड
  • आर्सेनिक द्वारा जल प्रदूषण सर्वाधिक है – पश्चिम बंगाल में
  • भारत के गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानी इलाकों तथा बांग्‍लादेश के पद्मा-मेघना के मैदानी इलाकों में भूमिगत जल अत्‍यधिक प्रदूषित है – आर्सेनिक प्रदूषण से
  • भारत के सात राज्‍यों- पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्‍तर प्रदेश, असम, मणिपुर तथा छत्‍तीसगढ़ के राजनांदगांव में भूमिगत जल अत्‍यधिक प्रभावित है – आर्सेनिक प्रदूषण से
  • भूजल में आर्सेनिक की अनुमेय सीमा है – 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर तक
  • चेर्नोबिल दुर्घटना संबंधित है – नाभिकीय दुर्घटना से
  • यदि प्रदूषित पदार्थ को किसी अन्‍य जगह पर ले जाकर इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है, तो इसे कहते हैं – बाह्य-स्‍थाने जैवोपचार (Ex-Situ Bio-remediation)
  • प्रदूषकों को जड़ों व पत्तियों में संगृहीत कर जैवोपचार की क्रिया करना कहलाता है – फाइटोनिष्‍कर्षण (phytoextraction)
  • जैवीय रूप से अपघिटत होता है – मल
  • स्‍वचालित वाहन निर्वातक का सबसे अविषालु धातु प्रदूषक है – लेड
  • स्‍वचालित वाहनों में एन्‍टीनॉकिंग एजेंट के रूप में प्रयोग किया जाता है – लेड (सीसा) का
  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्‍क, पाचन तंत्र इत्‍यादि प्रभावित होते हैं – लेड के कारण
  • पेयजल में कैडमियम की अधिकता से हो जाता है – इटाई-ईटाई रोग
  • पारा (मरकरी) युक्‍त जल पीने से हो जाता हे – मिनामाटा रोग
  • रूस में चेर्नोबिल (Chernobyl) स्थित परमाणु केंद्र में नाभिकीय दुर्घटना हुई थी – 26 अप्रैल, 1986 को
  • विघटित होते रेडियोएक्टिव न्‍यूक्‍लाइड्स से उत्‍पन्‍न होने वाला विकिरण स्रोत है – रेडियोएक्टिव प्रदूषण का
  • विकिरणों के प्रभाव से जीवों के आनुवंशिक गुणों पर भी पड़ता है – हानिकारक प्रभाव
  • अपने प्रदूषकों के कारण ‘जैविक मरूस्‍थल’ कहलाती है – दामोदर
  • सरसों के बीच के अपमिश्रक के रूप में सामान्‍यत: निम्‍नलिखित में से किसे प्रयोग में लाया जाता है – आर्जीमोन के बीज
  • आर्जीमोन मैक्सिकाना मेक्सिको में पाई जाने वाली पोस्‍ते की एक प्रजाति है। सरसों के तेल में इसकी मिलावट से महामारी फैल सकती है – ड्रॉप्‍सी नामक
  • प्रदूषण युक्‍त वायुमंडल को स्‍वच्‍छ किया जाता है – वर्षा द्वारा
  • वर्ष 1987 से इस अधिनियम में ध्‍वनि प्रदूषण को भी शामिल कर लिया गया है – वायु प्रदूषण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1981 के तहत
  • भारत का सर्वाधिक प्रदूषित नगर है – अंकलेश्‍वर
  • जनवरी माह में उत्‍पन्‍न मौसमी कारक था जो उत्‍तर भारत में असाधरण ठंड का कारण बना – ला नीना
  • ‘एशियाई भूरा बादल’ (Asian Brown Cloud) 2002 अधिकांशत: फैला था – दक्षिण एशिया में 
  • ‘एशियाई ब्राउन क्‍लाउड’ या एशियाई भूरा बादल उत्‍पन्‍न होता है – वायु प्रदूषण के कारण
  • एक रंगहीन, गंधहीन रेडियोएक्टिव अक्रिय गैस है – रेडान
  • फेफड़े का कैंसर (Lung Cancer) तथा रक्‍त कैंसर होने की संभावना होती है – रेडान गैस से
  • घरेलू गतिविधियों के कारण उत्‍पन्‍न होने वाले प्रदूषण को कहा जाता है – घरेलू वायु प्रदूषण
  • WHO के अनुसार, प्रतिवर्ष लाखों लोगों की मृत्‍यु होती है – घरेलू वायु प्रदूषण के कारण
  • सिगरेट के धुएं में मुख्‍य प्रदूषक है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड व बैन्‍जीन
  • भारत के समुद्री जल में हानिकारक शैवाल प्रस्‍फुटन में हो रही वृद्धि पर चिंता व्‍यक्‍त की गई है। इस संवृत्ति का/के क्‍या कारक तत्‍व हो सकता है/सकते हैं – ज्‍वारनदमुख से पोषकों का प्रस्राव, मानसून में भूमि से जलवाह, समुद्रों में उत्‍प्रवाह
  • ऐेस्‍बेस्‍टस जहरीला पदार्थ है, इसकी धूल से हो सकता है – फेफड़े का कैंसर
  • पारे की विषाक्‍तता से उत्‍पन्‍न होती हैं – उदर संबंधी समस्‍याएं
  • रक्‍त में घुलकर कोशिकीय श्‍वसन को बाधित करती है तथा यह हृदय को क्षति पहुंचाती है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • मानव शरीर में कैंसर उत्‍पन्‍न कर सकते हैं – नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड
  • भारत में इस्‍पात उद्योग द्वारा मुक्‍त किए जाने वाले महत्‍वपूर्ण प्रदूषकों में चारों ही शामिल हैं – कार्बन मोनोऑक्‍साइड (CO), सल्‍फर के ऑक्‍साइड (SOX), नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड (NO X) तथा कार्बन डाइऑक्‍साइड (CO2)
  • शरीर में श्‍वास अथवा खाने से पहुंचा सीसा (लेड) स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक है। पेट्रोल में सीसे का प्रयोग प्रतिबंधित होने के बाद से अब सीसे की विषाक्‍तता उत्‍पन्‍न करने वाले स्रोत हैं – प्रगलन इकाइयां,पेंट
  • घरों में पुताई के लिए इस्‍तेमाल किए जाने वाले पेंट में असुरक्षित स्‍तर तक है – सीसे की मात्रा
  • मनुष्‍य के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्‍क को नुकसान पहुंच सकता है – सीसे की अधि‍क मात्रा से
  • जर्मनी तथा यूनाइटेड किंगडम में स्थित मिलों से उत्‍सर्जित SO 2 तथा नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड के कारण में अधिक वर्षा होती है – नार्वे तथा स्‍वीडन में
  • अम्‍ल वर्षा को कहा जाता है – झील कातिल (Lake Killer)
  • चीन, जापान, नार्वे तथा संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका में से जिस देश में सर्वाधिक अम्‍लीय वर्षा होती है – नार्वे में
  • अंतरराष्‍ट्रीय अम्‍ल वर्षा सूचना केंद्र स्‍थापित किया गया है – मैनचेस्‍टर में
  • उत्‍सर्जन उष्‍मीय शक्ति संयंत्रों में कोयला दहन से उत्‍सर्जित होता है/होते हैं – कार्बन डाइऑक्‍साइड (CO2), नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड (N2O), सल्‍फर के ऑक्‍साइड (SO2)
  • ऑक्‍सीजन की सीमित आपूर्ति में कार्बन के ऑक्‍सीकरण से कार्बन मोनोऑक्‍साइड उत्‍पन्‍न होती है – वात्‍या भट्टी (Blast Furnace) में
  • अम्‍ल वर्षा से वे देश जो सर्वाधिक प्रभावित होते हैं – कनाडा, नार्वे
  • यह सूक्ष्‍म पाउडर होता है, जो वायु के साथ दूर तक यात्रा करता है। इसमें सीसा, आर्सेनिक, कॉपर जैसी जहरीली भारी धातुओं के कण भी होते हैं – फ्लाई ऐश में
  • अनाजों और तिनहनो के अनुपयुक्‍त रखरखाव और भंडारण के परिणामस्‍वरूप आविषों का उत्‍पादन होता है, जिन्‍हें एफ्लाटॉक्सिन के नाम से जाना जाता है, जो सामान्‍यत: भोजन बनाने की आम विधि द्वारा नष्‍ट नहीं होते। जिसके द्वारा उत्‍पादित होते हैं, वह है – फफूंदी
  • मुख्‍यतया, एस्‍पर्जिलस फ्लेवस (Aspergillus flavus) के द्वारा उत्‍पन्‍न होता है। – एफ्लाटॉक्सिन (Aflaoxin)
  • ईधन के रूप में कोयले को उपयोग करने वाले शक्ति संयंत्रों से प्राप्‍त ‘फ्लाई ऐश’ के संदर्भ में सही कथन हैं– फ्लाई ऐश का उपयोग भवन निर्माण के लिए ईंटों के उत्‍पादन में किया जा सकता है, फ्लाई ऐश का उपयोग कंक्रीट के कुछ पोर्टलैंड सीमेंट अंश के स्‍थापन्‍न (रिप्‍लेसमेंट) के रूप में किया जा सकता है
  • कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों से विघुत उत्‍पादन के फलस्‍वरूप उपोत्‍पाद (By Product) के रूप में प्राप्‍त होता हैं – फ्लाई ऐश
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण से संबंधित सही कथन हैं – यह पशुओं में आनुवांशिकी परिवर्तन लाता है, यह रक्‍त संचार में व्‍यवधान पैदा करता है, यह कैंसर पैदा करता है
  • यह तेलीय पंक तथा बिखरे हुए तेल के उपचार हेतु पारिस्थितिकी के अनुकूल विकसित प्रौद्योगिकी है – आयलजैपर
  • ऑयल जैपर एक बैक्‍टीरिया संकाय है। यह पांच बैक्‍टीरिया को मिलाकर विकसित किया गया है। इसमें उपस्थित बैक्‍टीरिया तेल में मौजूद हाइड्रोकार्बन यौगिकों को अपना भोजन बनाते हैं तथा उनको परिवर्तित कर देते हैं – हानिरहित CO 2 एवं जल में
  • अंतरराष्‍ट्रीय समुद्री संगठन का मुख्‍यालय स्थित है – लंदन में
  • एफ्लाटॉक्सिन में एक कैंसर जनक पदार्थ (Carcinogen) होता है, जो उत्‍पप्न्‍न्‍ करता है। – यकृत कैंसर Environment Notes For Prathmik Shikshak Samvida Varg 3
  • वायु प्रदूषण की रोकथाम की एक यंत्रीय विधि नहीं है – साइक्‍लोन डिवाइडर
  • कारखानों की चिमनियों से निस्‍सृत धुएं तथा कालिख के साथ मिश्रित कणकीय पदार्थों को अलग करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले विशिष्‍ट फिल्‍टर को कहते हैं – बैग फिल्‍टर
  • 50 माइक्रोमीटर से कम व्‍यास वाले कणकीय पदार्थों को पृथक करने के लिए प्रयोग किया जाता है – बैग फिल्‍टर का
  • जैव शौचालय प्रणाली में अपशिष्‍ट पदार्थों को विखंडित कर उसे पानी और गैस (मेथेन) में परिवर्तित कर देता है ‘ अवायवीय जीवाणु
  • जैव शौचालय प्रणाली में पानी को टैंक में जमा कर उसे क्‍लोरीन की मदद से साफ कर दिया जाता है जबकि गैस हो जाती है – वास्‍पीकृत
  • भारत के कुछ भागों में पीने के जल में प्रदूषक के रूप में पाए जाते हैं – आर्सेनिक, फ्लुओराइड तथा यूरेनियम
  • यह संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की विशेष एजेंसी है जिस पर अंतरराष्‍ट्रीय नौवहन के सुरक्षा सुधार संबंधी उपया करने और पोतों से होने वाले समुद्रीप्रदूषण की रोकथाम की जिम्‍मेदारी है। यह संस्‍था उत्‍तरदायित्‍व और मुआवजा से संबंधित वैधानिक मामलों को देखने के अलावा अंतरराष्‍ट्रीय समुद्री यातायात को सुविधाजनक बनाने का कार्य करती है – अंतरराष्‍ट्रीयसमुद्री संगठन (International Maritime Organization – IMO)
  • कैल्शियमी पादपप्‍लवक की वृद्धि और उत्‍तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी, प्रवाल-भित्ति की वृद्धि और उत्‍तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी। कुछ प्राणी जिनके डिम्‍भक पादपप्‍लवकीय होते हैं, की उत्‍तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी – महासागरों के अम्‍लीकरण के कारण
  • CO2 के लिए एक भंडार गृह की तरह कार्य करता है – समुद्र
  • यूरो उत्‍सर्जन नियम, उत्‍सर्जन के मानक हैं और ये एक वाहन से उत्‍सर्जन के लिए सीमा निर्धारित करने के पैकेज प्रदर्शित करते हैं। इसके अंतर्गत आच्‍छादित है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड, हाइड्रोकार्बन तथा नाइट्रोजन ऑक्‍साइड
  • ‘नॉक-नी संलक्षण’ उत्‍पन्‍न होता है – फ्लुओराइड के प्रदूषण द्वारा
  • यद्यपि पानी में अल्‍प मात्रा में उपलब्‍ध होता है जो मसूड़ों और दांतों को संरक्षण प्रदान करता है परंतु इसका अत्‍यधिक सांद्रण (Excess Concentration) फ्लुओराइड को ग्रहण (Intake) करने के परिणामस्‍वरूप संभावना बढ़ जाती है – कूबड़पीठ (Humped back) होने की
  • पैरों के मुड़ने (Bending) का कारण होता है, जिसे ‘नॉक-नी संलक्षण’ कहते हैं – उच्‍च फ्लुओराइड संग्रहण
  • BS-IV मानक भारत में लागू कर दिया गया है – 1 अप्रैल, 2017 से
  • यूरो-।। मानकों को पूरा करने के लिए अति अल्‍प सल्‍फर डीजल में सल्‍फर की मात्रा होनी चाहिए – 0.05 प्रतिशत या इससे कम
  • यूरो नार्म्‍स स्‍वचालित वाहनों में एक गैस उत्‍सर्जन की मात्रा की सीमा निश्चित करते हैं। यह गैस है – कार्बन मोनो ऑक्‍साइड
  • हमारे देश के शहरों में वायु गुणता सूचकांक (Air Quality Index) का परिकलन करने में साधारणतया वायुमंडलीय गैसों में विचार में लिया जाता है – कार्बन मोनो ऑक्‍साइड, नाइट्रोजन डायऑक्‍साइड तथा सल्‍फर डायऑक्‍साइड
  • यूरोपीय देशों में वर्ष 1992 में यूरो मानक-। तथा वर्ष 1997 में लागू कर दिया था – यूरो मानक-।।
  • वाहनों से निकलने वाले प्रदूषकों को नियंत्रित करने के लिए चरणबद्धरूप से यूरो मानकों को भारत में क्रियान्वित करने की संस्‍तुति की थी – माशेलकर समिति ने
  • स्‍वच्‍छ परिवहन पर अंतरराष्‍ट्रीय परिषद (The Internation Council Clean Transportation : ICCT) ने भारत को इस बात की छूट दी है कि वह वर्ष 2020 में यूरो V के बदले अपना सकता है – सीधे यूरो VI को
  • वाहनों में उत्‍सर्जित कार्बन मोनो ऑक्‍साइड (CO) को कार्बन डाइ ऑक्‍साइड (CO2) में परिवर्तित करने वाली उत्‍प्रेरक परिवर्तन की सिरेमिक डिस्‍क स्‍तरित होती है – पैलेडियम से
  • उर्वरक, पीड़कनाशी, कीटनाशी और शाक-नाश्‍ी मृदा के प्राकृतिक, भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों को नष्‍ट करके मृदा को बेकार कर देते हैं। रासायनिक उर्वरक नष्‍ट कर देते हैं – मृदा के सूक्ष्‍म जीवों को
  • भारत के जिस महानगर में वार्षिक प्रति व्‍यक्ति सर्वाधिक ठोस अपशिष्‍ट उत्‍पन्‍न होता है – दिल्‍ली
  • कई घरेलू उत्‍पादों, जैसे गद्दो और फर्नीचर की गद्दियों (अपहोल्‍स्‍टरी), में ब्रोमीनयुक्‍त ज्‍वाला मंदकों का उपयोग किया जाता है। उनका उपयोग कुछ चिंता का विषय है, क्‍योंकि – उनमें पर्यारण में निम्‍नीकरण के प्रति उच्‍च प्रतिरोधकता है, वे मनुष्‍यों और पशुओं में संचित हो सकते हैं
  • रासायनिक, जैविक तथा फोटोलिटिक (Photolytic) प्रक्रियाओं द्वारा पर्यावरण में निम्‍नीकरण के प्रति प्रतिरोधी कार्बनिक यौगिकोंको कहते हैं – पॉप्‍स (POPs : Persistent Organic Pollutants)अर्थात् चिरस्‍थायी कार्बनिक प्रदूषक
  • भारत में आठ मुख्‍य प्रदूषकों के आधार पर बनाया जाता है – वायु गुणता सूचकांक (Air Quality Index)
  • शहरों में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा राष्‍ट्रीय वायु गुणवत्‍ता सूचकांक (National Air Quality Index : NAQI) जारी किया गया था – 17 अक्‍टूबर, 2014 को
  • यह सूचकांक शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्‍तर बताने के लिए एक संख्‍या-एक रंग-एक विवरण (One Number-One Colour-One Discription) के रूप में कार्य करता है। उल्‍लेखनीय है कि इस पहल को आरंभ किया गया है – स्‍वच्‍छ भारत अभियान के तहत
  • झारखंड राज्‍य गंगा नदी संरक्षण प्राधिकरण गठित हुआ – वर्ष 2009 में
  • जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम लागू हुआ – वर्ष 1974 में
  • विश्‍व जल संरक्षण दिवस मनाया जाता है – 22 मार्च को
  • जैविक संसाधन नहीं है – शुद्ध जल
  • भारत सरकार द्वारा ‘केंद्रीय गंगा प्राधिकरण’ का गठन किया गया – वर्ष 1985 में
  • सितंबर, 1995 में इसका नाम बदलकर ‘राष्‍ट्रीय नदी संरक्षण प्राधिकरण’ (NRCA) कर दिया गया – केंद्रीय गंगा प्राधिकरण का
  • ‘स्‍थायी जैव प्रदूषकों पर स्‍टॉकहोम अभिसमय’ (Stockholm Convention on Persistent Organic Pollutants) द्वारा कुछ चिरस्‍थायी कार्बनिक प्रदूषकों की सूची में शामिल किया है – ब्रोमीन युक्‍त ज्‍वाला मंदकों‘ (Brominated Flame Retardants) को
  • विभिन्‍न उत्‍पादों के विनिर्माण में उद्योग द्वारा प्रयुक्‍त होने वाले कुछ रासायनिक तत्‍वों के नैनों-कणों के बारे में कुछ चिंता है, क्‍योंकि – वे पर्यावरण में संचित हो सकते हैं तथा जल और मृदा को संदूषित कर सकते हैं, वे खाद्य श्रृंखलाओं में प्रविष्‍ट हो सकते हैं, वे मुक्‍त मूलकों के उत्‍पादन को विमोचित कर सकते हैं
  • NGBRA का लक्ष्‍य है कि गंगा को उसमें प्रवाहित होने वाले औद्योगिक उपशिष्‍ट व अशोधित सीवेज जल से मुक्ति दिला दी जाए – वर्ष 2020 तक
  • वर्ष 2009 में भारत ने स्‍वच्‍छ गंगा के लिए स्‍थापित किया – राष्‍ट्रीयगंगा नदी तलहटी प्राधिकरण
  • जिस पर्यावरणविद् को ‘जल पुरुष’ के नाम से जाना जाता है – राजेंद्र सिंह
  • ‘तरुण भारत संघ’ नामक गैर सरकारी संगठन के चेयरमैन हैं – राजेन्‍द्र सिंह
  • पीने के पानी को शुद्ध करने के लिए प्रयोग में जिसे लाया जाताहै – क्‍लोरीन को
  • मरुस्‍थल क्षेत्रों में जल ह्रास को रोकने के लिए पर्ण श्रपांतरण होता है – कठोर एवं मोमी पर्ण, लघु पर्ण अथवा पर्णहीनता, पर्ण की जगह कांटों में
  • नेशनल गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी की स्‍थापना की गई – फरवरी, 2009 में
  • केंद्रीय बजट, 2014 में समन्वित गंगा संरक्षण अभियान को कहा गया है – नमामि गंगे
  • राष्‍ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGBRA) का गठन किया गया है – फरवरी, 2009 में
  • कई डॉफिन संयोग से मछली पकड़ने वाले जाल में फंस जा‍ती हैं। इसे कहते हैं – बाई कैच (By Catch)
  • गंगा नदी डॉल्फिन संरक्षण कार्यक्रम आरंभ किया गया था – वर्ष 1997 में
  • भारत का राष्‍ट्रीय जल जीव (National Aquatic Animal) घोषित किया गया है – डॉल्फिन को
  • रेगिस्‍तान में पाए जाने वाले पौधों की पत्तियां जल-हानि को रोकने के लिए प्राय: बदल जाती हैं – कांटों में
  • गंगा नदी डॉल्फिन की समष्टि में ह्रास के लिए शिकार-चोरी के अलावा और क्‍या संभव कारण हैं? – नदियों पर बांधों और बराज़ों का निर्माण, संयोग से मछली पकड़ने के जालों में फंस जाना, नदियों के आस-पास के फसल-खेतों में संश्लिष्‍ट उर्वरकों और अन्‍य कृषि रसायनों का इस्‍तेमाल
  • IUCN ने इन्‍हें रेड लिस्‍ट सूची में संकटग्रस्‍त (Endangered) वर्ग में रखा है – मैंगेटिक डॉल्फिन
  • 30 जून, 2008 को जलवायु परिवर्तन पर राष्‍ट्रीय कार्य-योजना (National Action Plan on Climate Change : NAPCC) आरंभ की गई थी। इसी कार्ययोजना का एक भाग है – राष्‍ट्रीय जल मिशन 
  • वाटर (प्रिवेन्‍शन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्‍यूशन) सेस एक्‍ट लागू किया गया – 1977 में
  • चेन्‍नई, कानपुर, कोलकाता तथा मुबंई में से पेयजल में संखिया प्रदूषण सर्वाधिक है – कोलकाता में
  • जल शुद्धीकरण प्रणालियों में पराबैंगनी (अल्‍ट्रा-वायलेट, UN) विकिरण की भूमिका है – यह जल में उपस्थित नुकसानदेह सूक्ष्‍मजीवों को निष्क्रिय/नष्‍ट कर देती है।
  • पराबैंगनी विकिरण एक प्रकार का है – विद्युत चुंबकीय विकिरण
  • यदि राष्‍ट्रीय जल मिशनसही ढंग से और पूर्णत: लागू किया जाए, जो देश पर उसका प्रभाव पड़ेगा – शहरी क्षेत्रों की जल आवश्‍यकताओं की आंशिक आपूर्ति अपशिष्‍ट जल के पुनर्चक्रण से हो सकेगी, ऐसे समुद्रतटीय शहर, जिनके पास जल के अपर्याप्‍त वैकल्पित स्रोत हैं, की जल आवश्‍यकताओं की आपूर्ति ऐसी समुचित प्रौद्योगिकी व्‍यवहार में लाकर की जा सकेगी, जो समुद्री जल को प्रयोग लायक बना सकेगी।
  • श्री श्री रविशंकर की संस्‍था ‘आर्ट ऑफ लिविंग‘ द्वारा ‘वर्ल्‍ड कल्‍चर फेस्टिवल‘ आयोजित किया गया था – 11-13 मार्च, 2016 के बीच
  • वर्तमान में ‘मैली से निर्मल‘ यमुना पुनरुद्धार योजना, 2017 चलाई जा रही है। यह स्‍वच्‍छता में महत्‍वपूर्णभूमिका निभाएगी – यमुना की
  • ‘राष्‍ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण‘ (National Ganga River Basin Authority-NGRBA) की प्रमुख विशेषताएं हैं – नदी बेसिन, योजना एवं प्रबंधन की इकाई है, यह राष्‍ट्रीय स्‍तर पर नदी संरक्षण प्रयासों की अगुवाई करता है।
  • जल को जीवाणु मुक्‍त करने हेतु प्रयुक्‍त होता है/होते हैं – ओजोन, क्‍लोरीन डायऑक्‍साइड, क्‍लोरैमीन
  • यमुना एक्‍शन प्‍लान औपचारिक रूप से प्रारंभ किया गया था – 1993 में
  • ‘यमुना कार्य योजना‘ (Yamuna Action Plan) तथा ‘गोमती कार्य योजना‘ (Gomati Action Plan) को अप्रैल, 1993 मे अनुमोदित किया गया – गंगा कार्य योजना – द्वितीय चरण के तहत
  • NLCP के अंतर्गत ओडिशा की झील शामिल है – बिंदुसागर
  • राष्‍ट्रीय झील संरक्षण परियोजना के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है – भीमताल को
  • फरवरी, 2013 में ‘राष्‍ट्रीय झील संरक्षण परियोजना‘ और ‘राष्‍ट्रीय नम भूमि संरक्षण कार्यक्रम‘ को समन्वित कर आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा स्‍वीकृत प्रदान की गई – राष्‍ट्रीय जलीय पारिस्थितिक-तंत्र संरक्षण योजना
  • ‘विश्‍व पर्यावरण दिवस, 2018‘ का मुख्‍य विषय (थीम)था – प्‍लास्टिक प्रदूषण को समाप्‍त करो (Beat Plastic Pollution)
  • इसके अध्‍यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं। उन राज्‍यों के मुख्‍यमंत्री जिनसे गंगा होकर बहती है, इस प्राधिकरण के सदस्‍य होते हैं, वह प्राधिकरण है – राष्‍ट्रीयगंगा नदी बेसिन प्राधिकरण
  • प्रदूषण नियंत्रण के उद्देश्‍य से राष्‍ट्रीय झील संरक्षण योजना (NLCP) के अंतर्गत जिन शहरी क्षेत्रों में पड़ने वाले जलमग्‍न भूमि को चुनागया है, वे हैं – भोज-मध्‍यप्रदेश, सुखना-चंडीगढ़, पिचोला-राजस्‍थान
  • अंटार्कटिका में भारत के तृतीय शोध केंद्र का नाम है – भारती
  • भारती की स्‍थापना की गई – वर्ष 2012 में
  • यह 21वीं सदी में विश्‍व पर्यावरण संरक्षण हेतु एक कार्ययोजना है – एजेंडा 21
  • सतत् विकास के संदर्भ में संयुक्‍त राष्‍ट्र की गैर-बद्ध स्‍वैच्छिक कार्य योजना है – एजेंडा 21
  • यह कार्य योजना वर्ष 1992 में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में सम्‍पन्‍न ‘पर्यावरण एवं विकास पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन‘ (UNCED) के दौरान सृजित की गई थी – एजेंडा 21
  • भारत सरकार के विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय (DMI) द्वारा जारी एक गुणवत्‍ता प्रमाणन चिह्न है –AGMARK
  • जिसे ‘दक्षिण गंगोत्री‘ के नाम से जाना जाता है – भारत का प्रथम अंटार्कटिक शोध केंद्र
  • इसकी स्‍थापना वर्ष 1983-84 में की गई – दक्षिण गंगोत्री
  • भारत ने अपने दूसरे अनुसंधान केंद्र ‘मैत्री‘ की स्‍थापना की – वर्ष 1988-89
  • भारत का वन्‍य जीव संस्‍थान (Wildlife Institute of India) स्थित है – देहरादून में
  • आयुर्वेद का राष्‍ट्रीय संस्‍थान (National Institute of Ayurveda) स्थित है – जयपुर में
  • नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ नेचुरोपैथी स्थित है – पुणे में
  • जलपुर में ‘जंतर-मंतर‘ को यूनेस्‍को द्वारा विश्‍व धरोहर का दर्जा घोषित होने के साथ भारत में अगस्‍त,2010 तक कितने स्‍थलों को यह दर्जा प्राप्‍त हो चुका है – 28
  • ‘एजेंडा-21′ जिस क्षेत्र से संबंधित है – सतत् विकास
  • उत्‍तर प्रदेश में प्रथम बायो-टेक पार्क स्‍थापित किया गया है – लखनऊ में
  • पोषण का राष्‍ट्रीय संस्‍थान (National Institute of Nutrition) स्थित है – हैदराबाद में
  • भारत में ‘रैली फॉर वैली‘ प्रोग्राम का आयोजन निम्‍न में से जिस एक समस्‍या को उजागर करने के लिए किया गया था, वह है – विस्‍थापितोंके पुनर्वास की समस्‍या
  • विश्‍व परिवेश दिवस मनाया जाता है – 5 अक्‍टूबर को
  • विश्‍व तंबाकू निरोध दिवस प्रति वर्ष मनाया जाता है – 31 मई को
  • 19 नवंबर जिस दिवस के रूप में मनाया जाता है – विश्‍व शौचालय दिवस
  • भारत के प्रधानमंत्री ने ‘स्‍वच्‍छ भारत अभियान‘ आधिकारिक रूप से प्रारंभ किया – गांधी जयंती पर 
  • डायनासोन जीवाश्‍म राष्‍ट्रीय पार्क की स्‍थापना जिस जिले में की जा रही है, वह है – धार
  • केंद्रीय शुष्‍क क्षेत्र अनुसंधान संस्‍थान (काजरीऋ अवस्थित है – जोधपुर में
  • यूनेस्‍को की विश्‍व विरासत सूची में सम्मिलित की गई इमारत है – महाबोधि मंदिर
  • सुनामी की उत्‍पत्ति जिसके द्वारा होती है, वह है – समुद्र के भीतर उत्‍पन्‍न होने वाले भूकंप से
  • प्रत्‍येक वर्ष दिए जाने वाले इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्‍कार का आधार होता है – पर्यावरण के क्षेत्र में सार्थक योगदान
  • मौसम विज्ञान संबंध प्रे‍षण के लिए, जिसको गुब्‍बारों को भरने में उपयोग में लाया जाता है – हीलियम
  • मानवीय जनसंख्‍या के श्रेष्‍ठतर जीवनयापन के लिए जो कदम सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण है – वनारोपण
  • अगर किसी क्षेत्र का लैंडसेट (LANDSAT) आंकड़ा आज मिलता है, तो उसके पश्चित में स्थित क्षेत्र का आंकड़ा कब उपलब्‍ध होगा – उसी समय (स्‍थानीय समय के अनुसार) कुछ दिनों बाद
  • हरिकेन ने सन् 2012 में यू.एस.ए. के उत्‍तर-पूर्व एवं पूर्वी तटीय प्रांतों को दुष्‍प्रभावित किया – सैंण्‍डी
  • धूल प्रदूषण रोकने के लिए उपयुक्‍त वृक्ष है – सीता अशोक
  • एजेंडा-21 में समझौते हैं – 4
  • इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट अवस्थित है – नई दिल्‍ली में
  • एगमार्क एक्‍ट भारत में लागू किया गया – वर्ष 1937 में
  • विज्ञान का वह क्षेत्र जिस एक में बोरलॉग पुरस्‍कार दिया जाता है – कृषि
  • भारत का राष्‍ट्रीय जलीय प्राणी है – गंगा की डॉल्फिन
  • विश्‍व की 98 प्रतिशत जनसंख्‍या, भू-भाग व रासायनिक कारखानों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं – OPCWके सदस्‍य देश
  • ‘हरित भारत मिशन‘ (Green India Mission) के उद्देश्‍य को सर्वोत्‍तम रूप में वर्णित करता है – वन आच्‍छादन की पुनर्प्राप्ति और संबर्धन करना तथा अनुकूलन (अडैप्‍टेशन) एवं न्‍यूनीकरण (मिटिगेशन) के संयुक्‍त उपायों से जलवायु परिवर्तन कर प्रत्‍युत्‍तर देना
  • प्रतिष्ठित ‘टायलर पुरस्‍कार‘ जिस क्षेत्र में प्रदान किया जाता है – पर्यावरण सुरक्षा
  • राजीव गांधी पर्यावरण पुरस्‍कार दिया जाता है, श्रेष्‍ठतर योगदान के लिए – स्‍वच्‍छ प्रौद्योगिकी एवं विकास
  • ‘ग्‍लोबल 5000‘ पुरस्‍कार प्रदान किए जाते हैं – पर्यावरण प्रतिरक्षा के लिए
  • यह नए शस्‍त्रों के प्रादुर्भाव को रोकने के लिए रासायनिक उद्योग का अनुवीक्षण करता है, यह राज्‍यों (पार्टियों) को रासायनिक आयुध के खतरे के विरुद्धसहायता एवं संरक्षण प्रदान करता है। – रासायनिक आयुध निषेध संगठन (Organization for the prohibition of Chemical Weapons – OPCW)
  • इस समय 192 सदस्‍य देश हैं, जो विश्‍व को रासायनिक हथियारों से मुक्‍त करने हेतु प्रतिबद्ध है – OPCWमें
  • भारत में, पूर्व-संवेष्टित (प्रीपैकेज्‍ड) वस्‍तुओं के संदर्भ में साद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग और लेबलिंग) विनियम, 2011 के अनुसार, किसी निर्माता को मुख्‍य लेबल पर जो सूचना अंकित करना अनिवार्य है, वह है – संघटकों की सूची, जिसमें संयोजी शामिल हैं, पोषण-विषयक सूचना शाकाहारी/मांसाहारी
  • जो भारतीय वैज्ञानिक, ‘यूनेप‘ (UNEP) द्वारा ”फादर ऑफ इकोनॉमिक इकोलॉजी” अभिम्‍यत है – एम.एस.स्‍वामीनाथन
  • यह क्रिया-आधारित अनुसंधान, शिक्षा एवं लोक जागरूकता के माध्‍यम से प्रकृति को बचाने का प्रयास करता है, यह आम जनता के लिए प्रकृति खोज-योत्राओं एवं शिविरों का आयोजन एवं संचालन करता है– बंबई नेचुरल हिस्‍ट्री सोसाइटी (BNHS)
  • प्राकृतिक आपदा ह्रासीकरण का अंतरराष्‍ट्रीय दशक माना जाता है – वर्ष 1990-1999 को
  • प्रत्‍येक मास के अंतिम शनिवार को राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छता दिवस मनाता है – सिएरा लियोन
  • जिसे मेगा-डाइवर्स देश के रूप में जाना जाता है – ऑस्‍ट्रेलिया
  • जिसे ‘डाइनोसोरस का कब्रिस्‍तान‘ कहा जाता है – मोन्‍टाना
  • ‘इको मार्क‘ योजना 1991 में उपभोक्‍ताओं को ऐसे उत्‍पादों को खरीदने के लिए प्रोत्‍साहित करने हेतु आरंभ की गई जिनका पर्यावरणीय प्रभाव कम हानिकर हो। उपभोक्‍ता उत्‍पादों में से इस योजना के अंतर्गत अधिसूचित हैं – साबुन एवं अपमार्जक, कागज एवं प्‍लास्टिक, सौंदर्य प्रसाधन एवं ऐरोसॉल
  • यह हिमालय के दक्षिण में उष्‍ण कटिबंधीय एशिया में पाया जाने वाला पक्षी है। इसका मुख्‍य आहार आर्द्रभूमि के छिछले जलीय स्‍थलों में पाई जाने वाली छोटी म‍छलियां हैं – चित्रित बलाक (Painted Stork)
  • देश में ‘विंटर लाइन‘ की प्राकृतिक परिघटना जिस नगर में दृश्‍यमान होती है, वह है – मसूरी
  • प्रायद्वीपीय भारत निम्‍न हिम युगों में से जिस युग में हिमानीकृत हुआ, वह है – प्‍लीस्‍टोसीन हिम युग 
  • यदि आप ग्रामीण क्षेत्र से होकर गुजरते हैं, तो आपको यह देखने को मिल सकता है कि अनेक प्रकार के पक्षी, चरने वाले पशुओं/भैंसों के पीछे-पीछे चलते हैं और उनके घास में चलने से अशांत होने वाले कीटों को पकड़ते हैं। ऐसा पक्षी है – साधारण मैना
  • यह जिब्‍बत के पठार, भूटान तथा भारत के अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख आदि में पाया जाता है। यह सर्वभक्षी है जो पौधों की जड़, कंदमूल, आलू, कीड़े-कमोड़े, मछलियां, मेंढक, अनाज सभी कुछ खाता है। किंतु मुख्‍य रूप से कटाई के पश्‍चात खेतों में अन्‍न के अवशेषों को अपने आहार के रूप में प्रयोग करता है – काली गर्दन वाला सारस (Black-Necked Crane)
  • सदाबहार फल वृक्ष है – लोकाट
  • मौसम अनुश्रवण युक्ति सोडार स्‍थापित है – कैगा तथा कलपक्‍कम में
  • शीतोष्‍ण कटिबंधी वन, उष्‍णकटिबंधी वन, शीतोष्‍ण कटिबंधी घास प्रदेश तथा उष्‍ण कटिबंधी सवाना में से जिसकी औसत शुद्ध प्राथमिक उत्‍पादकता सबसे कम है – शीतोष्‍ण कटिबंधी घास प्रदेश
  • भारत का राष्‍ट्रीय सामुद्रिक पार्क स्थित है – कच्‍छ की खाड़ी में
  • ‘भितरकणिका‘ जिसे विश्‍व धरोहर स्‍थल की सूची में सम्मिलित किया गया है, अवस्थित है – ओडिशा में
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आज की इस पोस्ट में पर्यावरण से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी गयी है।पर्यावरण question and answer pdf, पर्यावरण question and answer 2019, पर्यावरण के क्वेश्चन आंसर, पर्यावरण question and answer 2018, पर्यावरण वस्तुनिष्ठ प्रश्न, पर्यावरण प्रश्नोत्तरी 2018, पर्यावरण परीक्षा प्रश्न, पर्यावरण वस्तुनिष्ठ प्रश्न pdf आप सभी को यह जानकारी कैसी लगी आप मुझे कमेंट करके जरूर बताये।

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